सच्चा सुख—गृहलक्ष्मी की कहानियां: Saccha Sukh Story
Saccha Sukh Story

Saccha Sukh Story: हर कोई सच्चे सुख की तलाश में भटकते रहता है। जिंदगी इतनी भी आसान नहीं होती,आखिर सच्चा सुख मिलता कहां है???आज मोनिका के पति को बिजनेस के सिलसिले में गए हुए तीसरा दिन था।एक महीने की ये ट्रिप थी………।
मोनिका को तीसरे दिन ही मन नहीं लग रहा था। जबकि दोनों बच्चे भी पास थे। तभी काम वाली दीदी ने कॉफी का मग देते हुए लीजिए भाभी कॉफी पीजिए। अचानक कॉफी पीते-पीते मोनिका अपनी बचपन की दुनिया में चली जाती है ।

जब मोनिका अपनी मां से पूछती थी बताओ ना, सच्चा सुख कैसे प्राप्त होता है,तुम कहती कड़ी मेहनत और संघर्ष से। छोटे चाचा दिन भर इतना मेहनत करते हैं उन्हें सुख की प्राप्ति है। मेरी मां हमेशा कहती बड़ी होगी तो खुद समझ जाएगी। समझाओ ना जिद करने लगी मैं, मां ने कहा देखो तुम्हारे पापा इतना कमाते हैं लेकिन उनके पास तुम्हें और हमें देने के लिए समय नहीं है।मैं भी चाहती हूं कि दो पल दिल की बात करूं,वो भी हमारे पास बैठे लेकिन उन्हें दुनिया के होर में आगे बढ़ने की जिद है पैसे कमाने की भूख है। इस वजह से ना खुद सुकून महसूस करते हैं ना हम लोगों को सुकून महसूस करवाते हैं। छोटे चाचा को देखो वो भी काम करता है ,भले यह शहर नहीं है तो थोड़ी कम इनकम होती है लेकिन अपनी पत्नी बच्चों की आंखों के सामने रहता तो है। कम से कम दो वक्त अपने बच्चे और पत्नी के साथ बैठकर सुकून का खाना तो खाता है। सच में सच्चा सुख तो यही है इसी में आनंद,और अंतर्मन की तृप्ति होती है।

एक तुम्हारे पापा अधिक पैसे के चक्कर में घर छोड़ बाहर कमाने गए। पैसा जरूरी है लेकिन सब कुछ पैसा नहीं बेटा……….। उस समय मोनिका को यह सब बातें समझ उतनी नहीं आई थी।लेकिन मां के कहे शब्द बड़ी होगी तो खुद समझ जाएगी।सच में आज सच्चे सुख की परिभाषा मुझे समझ आ रही है। पति ट्रिप पर गए हुए हैं, यह दूरी मुझे सारे सुख रहते हुए भी सच्चे सुख से वंचित कर रहा है..।

यह भी देखे-जिज्ञासु मन-गृहलक्ष्मी की कहानियां