Hindi Story: संजना अपने नए सूट और हल्के मेकअप में बहुत सुंदर दिख रही थी। आज उसके पिता के पुराने मित्र अपनी पत्नी और बेटे आर्यन के साथ उनके घर आ रहे थे। वह जानती थी कि वो सिर्फ़ मिलने नहीं बल्कि दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने के इरादे से आ रहे हैं। अंजना पूरे मन से शादी के लिए तैयार नहीं थी पर अपने पिता के सामने कुछ कहने की उसकी हिम्मत नहीं थी। थोड़ी देर में दरवाज़े की घंटी बजती है…….
“अरे शर्मा क्या हाल हैं? बहुत साल बाद मिलना हुआ। नमस्ते भाभी! आओ बेटा।” संजना ने अपने पिता को बोलते हुए सुना। वह रसोई में अपनी मां के पास गई। दोनों की आंखें मिलीं। मां अपनी बेटी की इच्छा जानते हुए चुप लगा गई। एक तो घर का माहौल और दूसरा, वो कहीं ना कहीं यह भी जानती थी के आर्यन बहुत सुलझा और अच्छा लड़का है। वैसा ही परिवार भी।
कमरे में सबके लिए चाय नाश्ता रखने के बाद एक औपचारिक तरीके से परिचय करवा कर संजना के पिता ने कहा, “संजना, आर्यन को घर दिखा दो।” संजना और आर्यन बातें करते हुए छत पर आए। बातों बातों में ही आर्यन को एहसास हो गया था कि संजना बहुत ही बुद्धिमान है। वह उससे पूछता है, “हमेशा स्कूल में अव्वल नंबर लाना और कॉलेज में भी गोल्ड मेडल लाई हो, घर के भी काम जानती हो। इतनी होशियार होने के बाद भी तुमने आम से कॉलेज से पढ़ाई करी और फिर आगे कुछ भी नहीं सोचा। ऐसा फैसला क्यों करा, मैं समझ नहीं पा रहा हूं?”
संजना की आंखों में अलग सी चमक और विश्वास दिखने लगा। वो आर्यन से कहती है, “यूं तो मैंने इस बारे में कभी किसी से बात करना तो क्या खुद भी सोचना बंद कर दिया था लेकिन क्योंकि हमारी शादी की बात चल रही है और खासकर तुमने जिस तरीके से मेरी पढ़ाई को लेकर दिलचस्पी दिखाई है उसे किसी ने भी नहीं समझा। अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के लिए मेरा दाखिला यहां के सबसे अच्छे कॉलेज में हो गया था, वह भी पहले दर्जे पर।”
आर्यन ने चौंक कर पूछा, “तुम्हें भी उसी कॉलेज में दाखिला मिला था। मैंने तो अपनी पढ़ाई वहीं से करी है। फिर यह आम सा कॉलेज क्यों?”
संजना कहती है, “ हां! जो पढ़ाई मैंने चाही थी वह भी मुझे मिली थी। फिर मैंने कॉलेज जाना शुरू करा। मैं बहुत खुश थी। आगे डॉक्टर की डिग्री की भी सारी योजना बना ली थी। शुरू के कईं दिन बहुत अच्छे निकले। फिर एक दिन जब मैं कॉलेज से घर गई और किताब निकालने लगी तभी मेरे बैग से एक लिफ़ाफ़ा गिरा। इससे पहले कि मैं उसे उठा पाती मेरे पिता ने वह लिफ़ाफ़ा उठा लिया। उसे खोल कर देखा तो उसमें उन्हें कुछ तस्वीरें और एक खत मिला। तस्वीर में मैं किसी लड़के के साथ थी और उस लड़के ने अपना नाम रवि लिखकर मुझे प्यार भरी बातें लिखी थीं। वह खत पढ़ते ही पिताजी ने मुझे बहुत डांटा और मुझसे कहा कि मैं अपना कॉलेज छोड़कर किसी दूसरे पास के कॉलेज में दाखिला लूं। आखरी बार जब कॉलेज गई तो मेरी निगाहें चारों तरफ़ उस लड़के को ढूंढ रही थीं जिसके घटिया मज़ाक ने मेरा सपना बर्बाद कर दिया। नए कॉलेज में पिताजी ने दाखिला तो दिला दिया लेकिन उनकी जासूसी नज़रें हमेशा मुझ पर रहने लगीं। वह जासूसी नज़र और बात बात पर तानों ने मेरी आगे पढ़ने की हिम्मत तोड़ दी। पिताजी भी यही चाहते थे।” कहते हुए संजना ने वह लिफ़ाफ़ा आर्यन को देते हुए कहा, “ आज भी यह खत इसीलिए रखा है कि कभी तो शायद वह लड़का दिखे और मैं उससे अपनी गलती पूछूं जिसने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दिलाई। मैंने तुम्हें सब सच बता दिया। झूठ के पांव से तुम्हारी ज़िंदगी में नहीं आना चाहती थी। अब जो भी तुम्हारा फ़ैसला हो मुझे मंज़ूर है।”
संजना के कहते कहते आर्यन ने लिफ़ाफ़ा खोला और बिना कुछ कहे नीचे आकर अपने मां पिता से घर चलने के लिए कहा। घर जाकर आर्यन अपने कमरे में जाकर पलंग पर लेटता है और संजना के उस लिफ़ाफ़े के बारे में सोचता है। उसे कॉलेज के शुरू के दिन याद आते हैं जब रैगिंग के नाम पर उसने और उसके दोस्तों ने कईं बच्चों के साथ मज़ाक किया था। एक दिन उन्हें किसी ने बताया कि संजना को अपनी सहेली के साथ हुई रैगिंग का बहुत बुरा लगा था। उन्होंने संजना की रैगिंग करने के लिए एक अलग तरीका निकाला। कंप्यूटर पर अलग देश के अलग-अलग लड़कों की तस्वीरों को मिलाकर उन्होंने एक तस्वीर बनाई। संजना की तस्वीर किसी तरह से निकाली और उसे एक हीरोइन के साथ जोड़ दी। फिर उन्होंने उस लड़के के साथ वह तस्वीर मिलाकर एक नई तस्वीर बनाई। एक लिफ़ाफ़े में वह तस्वीर और खत रखकर उन्होंने चालाकी से संजना के बैग में रखवा दिया था। उन लोगों ने सोचा कि जब वह देखेगी तो घबरा जाएगी और तब यह लोग उसका मज़ाक बनाएंगे। लेकिन बात उसके घर तक पहुंच जाएगी और इस हद तक उस बेचारी लड़की को इतना झेलना पड़ेगा उन्होंने सोचा भी नहीं था।
आर्यन की गिल्यानी उसके पश्चात के आंसुओं में साफ़ झलक रही थी। गीली पलकों के साथ वह कब सो गया उसे पता नहीं चला। सुबह लेकिन उठते ही वह अपने मां पिता के पास गया, “ पिताजी, मुझे संजना पसंद है। आप शादी के लिए हां कर दीजिए।” सब कुछ तय करके पूरे रीति रिवाज के साथ दोनों का विवाह संपन्न हुआ।
शादी की पहली रात आर्यन ने एक तोहफ़ा संजना को दिया। तोहफ़ा खोलते ही संजना की आंखें चमक उठीं, “ इससे अच्छा तोहफ़ा कभी किसी पति ने अपनी पत्नी को नहीं दिया होगा।” संजना ने कांपते हाथों से अपने पसंदीदा सबसे अच्छे कॉलेज का फॉर्म उठाया और उस पर दस्तखत करे।
अगले दिन से संजना ने कॉलेज का काम शुरू कर दिया। आर्यन की मदद से वह पूरा घर संभालकर अपनी पढ़ाई भी करती। आखिरकार संजना की मेहनत और आर्यन का साथ रंग लाया। आज कॉलेज ने उसे अर्थशास्त्र में डॉक्टर संजना की उपाधि दी।
वह जब उपाधि लेकर आर्यन के पास आई तो आर्यन की आंखों में आंसू देख कर बोली, “ मेरी खुशी के इतने आंसू?” आर्यन ने जवाब दिया, “ तुम्हारी खुशी से ज़्यादा पश्चाताप के आंसू हैं।” “पश्चाताप?” संजना चौंक कर पूछती है।
आर्यन उसको सारी बात बता कर कहता है, “ मैं जानता हूं तुम नाराज़ होगी। शायद मुझे माफ़ भी ना कर पाओ। वह वक्त तुम्हें वापस तो नहीं ला सकता था लेकिन तुम्हारी ज़िंदगी की इच्छा पूरी करने की मैंने पूरी ईमानदारी से कोशिश करी है।”
संजना मुस्कुराते हुए कहती है, “ नाराज़ तो बहुत थी उस लड़के के ऊपर। तुमने लेकिन जो आज दिया है, मैं सब भूल गई हूं। इस उपाधि का जश्न मनाने कहीं घूमने चलें…..पहली बार।”
अपना नाम रवि लिखकर मुझे प्यार भरी बातें लिखी थीं। वह खत पढ़ते ही पिताजी ने मुझे बहुत डांटा और मुझसे कहा कि मैं अपना कॉलेज छोड़कर किसी दूसरे पास के कॉलेज में दाखिला लूं। आखरी बार जब कॉलेज गई तो मेरी निगाहें चारों तरफ़ उस लड़के को ढूंढ रही थीं जिसके घटिया मज़ाक ने मेरा सपना बर्बाद कर दिया। नए कॉलेज में पिताजी ने दाखिला तो दिला दिया लेकिन उनकी जासूसी नज़रें हमेशा मुझ पर रहने लगीं। वह जासूसी नज़र और बात बात पर तानों ने मेरी आगे पढ़ने की हिम्मत तोड़ दी। पिताजी भी यही चाहते थे।” कहते हुए संजना ने वह लिफ़ाफ़ा आर्यन को देते हुए कहा, “ आज भी यह खत इसीलिए रखा है कि कभी तो शायद वह लड़का दिखे और मैं उससे अपनी गलती पूछूं जिसने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दिलाई। मैंने तुम्हें सब सच बता दिया। झूठ के पांव से तुम्हारी ज़िंदगी में नहीं आना चाहती थी। अब जो भी तुम्हारा फ़ैसला हो मुझे मंज़ूर है।”
संजना के कहते कहते आर्यन ने लिफ़ाफ़ा खोला और बिना कुछ कहे नीचे आकर अपने मां पिता से घर चलने के लिए कहा। घर जाकर आर्यन अपने कमरे में जाकर पलंग पर लेटता है और संजना के उस लिफ़ाफ़े के बारे में सोचता है। उसे कॉलेज के शुरू के दिन याद आते हैं जब रैगिंग के नाम पर उसने और उसके दोस्तों ने कईं बच्चों के साथ मज़ाक किया था। एक दिन उन्हें किसी ने बताया कि संजना को अपनी सहेली के साथ हुई रैगिंग का बहुत बुरा लगा था। उन्होंने संजना की रैगिंग करने के लिए एक अलग तरीका निकाला। कंप्यूटर पर अलग देश के अलग-अलग लड़कों की तस्वीरों को मिलाकर उन्होंने एक तस्वीर बनाई। संजना की तस्वीर किसी तरह से निकाली और उसे एक हीरोइन के साथ जोड़ दी। फिर उन्होंने उस लड़के के साथ वह तस्वीर मिलाकर एक नई तस्वीर बनाई। एक लिफ़ाफ़े में वह तस्वीर और खत रखकर उन्होंने चालाकी से संजना के बैग में रखवा दिया था। उन लोगों ने सोचा कि जब वह देखेगी तो घबरा जाएगी और तब यह लोग उसका मज़ाक बनाएंगे। लेकिन बात उसके घर तक पहुंच जाएगी और इस हद तक उस बेचारी लड़की को इतना झेलना पड़ेगा उन्होंने सोचा भी नहीं था।
आर्यन की गिल्यानी उसके पश्चात के आंसुओं में साफ़ झलक रही थी। गीली पलकों के साथ वह कब सो गया उसे पता नहीं चला। सुबह लेकिन उठते ही वह अपने मां पिता के पास गया, “ पिताजी, मुझे संजना पसंद है। आप शादी के लिए हां कर दीजिए।” सब कुछ तय करके पूरे रीति रिवाज के साथ दोनों का विवाह संपन्न हुआ।
शादी की पहली रात आर्यन ने एक तोहफ़ा संजना को दिया। तोहफ़ा खोलते ही संजना की आंखें चमक उठीं, “ इससे अच्छा तोहफ़ा कभी किसी पति ने अपनी पत्नी को नहीं दिया होगा।” संजना ने कांपते हाथों से अपने पसंदीदा सबसे अच्छे कॉलेज का फॉर्म उठाया और उस पर दस्तखत करे।
अगले दिन से संजना ने कॉलेज का काम शुरू कर दिया। आर्यन की मदद से वह पूरा घर संभालकर अपनी पढ़ाई भी करती। आखिरकार संजना की मेहनत और आर्यन का साथ रंग लाया। आज कॉलेज ने उसे अर्थशास्त्र में डॉक्टर संजना की उपाधि दी।
वह जब उपाधि लेकर आर्यन के पास आई तो आर्यन की आंखों में आंसू देख कर बोली, “ मेरी खुशी के इतने आंसू?” आर्यन ने जवाब दिया, “ तुम्हारी खुशी से ज़्यादा पश्चाताप के आंसू हैं।” “पश्चाताप?” संजना चौंक कर पूछती है।
आर्यन उसको सारी बात बता कर कहता है, “ मैं जानता हूं तुम नाराज़ होगी। शायद मुझे माफ़ भी ना कर पाओ। वह वक्त तुम्हें वापस तो नहीं ला सकता था लेकिन तुम्हारी ज़िंदगी की इच्छा पूरी करने की मैंने पूरी ईमानदारी से कोशिश करी है।”
संजना मुस्कुराते हुए कहती है, “ नाराज़ तो बहुत थी उस लड़के के ऊपर। तुमने लेकिन जो आज दिया है, मैं सब भूल गई हूं। इस उपाधि का जश्न मनाने कहीं घूमने चलें…..पहली बार।”
किसी पति ने अपनी पत्नी को नहीं दिया होगा।” संजना ने कांपते हाथों से अपने पसंदीदा सबसे अच्छे कॉलेज का फॉर्म उठाया और उस पर दस्तखत करे।
अगले दिन से संजना ने कॉलेज का काम शुरू कर दिया। आर्यन की मदद से वह पूरा घर संभालकर अपनी पढ़ाई भी करती। आखिरकार संजना की मेहनत और आर्यन का साथ रंग लाया। आज कॉलेज ने उसे अर्थशास्त्र में डॉक्टर संजना की उपाधि दी।
वह जब उपाधि लेकर आर्यन के पास आई तो आर्यन की आंखों में आंसू देख कर बोली, “ मेरी खुशी के इतने आंसू?” आर्यन ने जवाब दिया, “ तुम्हारी खुशी से ज़्यादा पश्चाताप के आंसू हैं।” “पश्चाताप?” संजना चौंक कर पूछती है।
आर्यन उसको सारी बात बता कर कहता है, “ मैं जानता हूं तुम नाराज़ होगी। शायद मुझे माफ़ भी ना कर पाओ। वह वक्त तुम्हें वापस तो नहीं ला सकता था लेकिन तुम्हारी ज़िंदगी की इच्छा पूरी करने की मैंने पूरी ईमानदारी से कोशिश करी है।”
संजना मुस्कुराते हुए कहती है, “ नाराज़ तो बहुत थी उस लड़के के ऊपर। तुमने लेकिन जो आज दिया है, मैं सब भूल गई हूं। इस उपाधि का जश्न मनाने कहीं घूमने चलें…..पहली बार।”
अपना नाम रवि लिखकर मुझे प्यार भरी बातें लिखी थीं। वह खत पढ़ते ही पिताजी ने मुझे बहुत डांटा और
