Maya Mili na Ram
Maya Mili na Ram

Motivational Story in Hindi: आज की दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी होती जा रही है रील बनाकर पैसे कमाने की। चाहे वह फेसबुक इंस्टाग्राम हो या युट्यूब। बस दिमाग लगाने की देर है ,पैसे कमाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं !
लोगों को देखकर कैसे-कैसे रील बनाकर रुपए कमा रहे हैं किसी का भी दिल बहक  जाए तो यह बड़ी बात नहीं।
वही हाल चंचल का भी था। वह आज के जमाने की महिला थी मगर उसके पति राकेश को यह पसंद नहीं था। चंचल किसी की सुनती भी तो नहीं थी ।उसे बस जुनून  था किसी तरह से फेमस हो जाऊं और लाखों में आमदनी हो।

वह नए-नए कपड़े खरीदती। उन्हें पहनकर डांस करती‌।फिल्मी धुन लगाकर गाना गाती। कभी बारिश के मौसम में छत पर जाकर डांस करती ।
कुछ दिनों में उसके वीडियो और रील चलने लगा और लाइक्स बढ़ने लगे ।
वह इनमें ही मगन रहने लगी।।थोड़े ही दिनों में पैसे आने लगे तो पैसे कमाने का नशा उसके अंदर बढ़ता गया।

फेसबुक ,यूट्यूब और तमाम सोशल साईट्स में उसके लाइक्स और फालोवर्स बढ़ते जा रहे थे और लोगों की लाइक्स और कमेंट्स भी। चंचल को यही चाहिए था  मगर राकेश को पसंद नहीं था।

वह उसे मना करता था। उसका कहना भी सही था।
“ चंचल गलत तरीके से पैसे कमाना हमेशा गलत हो जाता है। हम मिडिल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करते हैं। हमारी अपनी इज्जत है।कुछ भी गलत हो जाए तो समाज हमपर  थूकेगा और लोग हंसेंगे वो अलग!
तुम्हें रिल बनाना है तो किसी जेनुइन थीम पर बनाओ ना ।
उल्टे सीधे कपड़े पहन कर डांस कर, गाना गाकर लाइक और तारीफें बटोर कर क्या मिलेगा ?”
लेकिन चंचल को पैसे का नशा चढ़ गया था। वह किसी की बात सुनती भी नहीं थी। पति राकेश के अलावा परिवार के सारे लोग उसे समझा कर हार गए थे।

उसके दिमाग में पैसे कमाने का भूत चढ़ गया था।
कुछ दिनों से वह यह कह रही थी कि मुझे मॉडलिंग या टीवी का ऑफर आ जाए तो मैं चली जाऊंगी काम करने ।”
राकेश अपना सिर पीट लेता था। वह कहता “तुम पागल हो गई हो चंचल !दो बच्चे तुम्हें दिखाई नहीं दे रहे हैं?वे दोनों तुम्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
अपनी मर्यादा अपनी इज्जत को अपने हाथों से मत गंवाओ।”
लेकिन चंचल कब राकेश की बात सुनी थी जो अब सुनती।
राकेश बहुत ही परेशान हो गया था।वह टेलीफोन एक्सचेंज में मामूली सा कर्मचारी था‌ सुबह से शाम तक गधे की तरह काम करने के बाद जब वह घर लौटता  तो चंचल कभी घर से नदारत मिलती तो कभी सज-संवरकर घर के छत पर या पीछे के बागान में।न तो उसका ध्यान
राकेश पर था न ही दोनों बच्चों पर।
बाकी राकेश के माता-पिता तो उसके लिए किसी बोझ से कम नहीं थे।

उस दिन, दिन भर से बारिश हो रही थी। वह थकहार कर घर लौटा था।उसका मन हो रहा था कि चंचल उसे गरमा गरम चाय और पकौड़े  खिलाए।
उसने आवाज भी दिया लेकिन चंचल घर में रहती तब तो! वह तो पिछली गली की सड़क पर नाच रही थी।
वह बड़ा ही दुखी हो गया “इसी दिन के लिए मैंने शादी किया था !मैं दिन भर थकहार कर घर लौटूं और यह गुलछर्रे उड़ाती रहे।
राकेश के रोक-टोक के बाद चंचल ने अपना एक नया प्रोफाइल बनाया था।
 जिसका नाम  “तितली शो” कर दिया था। जिससे राकेश को पता ना चले।

कुछ दिन पहले राकेश का चचेरा भाई बृज आया हुआ था जो राकेश का ही हमउम्र था। इससे  चंचल की बिल्कुल भी नहीं बनती थी।
राकेश को हैरान परेशान देखकर उसने उसे उसका हाल-चाल पूछा ।
परेशान राकेश ने सारी बातें बता दिया।

बृजने उसके कंधे थपथपाते हुए उसे एक बहुत ही अच्छा आईडिया दिया।
“भाई सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगा और ये ऑनलाइन इश्क के भूत से बाहर निकल आएंगी।”
“हम्म…!”राकेश ने चमकती हुई आंखों से अपने भाई की ओर देखा ब्रिज ने उसे फिर से समझाते हुए कहा
“भाभी इस पागलपन से बाहर भी निकल आएंगी और तुम्हारे रिश्तो में कोई दरार भी नहीं आएगा।”
“ठीक है!” राकेश खुश हो गया।

तत्काल उसने दुकान में जाकर एक और सिम खरीद लाया।
 उसी के सहारे उसने फेसबुक इंस्टा और यूट्यूब में एक नई आईडी से प्रोफाइल बनाया।
“आर.एस.कन्नौज- स्पार्कलिंग स्टार!”
उसने अपने प्रोफाइल में अपना परिचय दिया था कि वह ओटीटी फिल्म मेकर है । मॉडल भी बनाता है और फिल्मों में काम भी दिलवाता है ।
उसने अपने परिचय और इमेज में कई फिल्म विज्ञापन के फोटो लगाए हुए थे ।कई उसे मॉडल के भी फोटो डाले हुए थे।

सबसे पहले उसने फेसबुक पर चंचल को फ्रेंड रिक्वेस्ट डाला फिर तितली शो को।
चंचल ने उसका फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लिया।
 अब दोनों के बीच चैट बॉक्स में मैसेज चलने लगे।
चंचल ने उसे अपना नाम राहा बताया था पहले हाय हेलो से शुरू हुआ अब लव और प्रेम की बातें फिर अतरंगी बातें।
चंचल खुलकर जवाब दिया करती थी उसे नशा हो रहा था कि इतना बड़ा फिल्म मेकर उससे बातें करता है।
 धीरे-धीरे उसने चंचल को अपनी बातों में ऐसा फंसाया ।चंचल मदहोश सी उसके बातों में उलझती चली गई।
फिर राकेश ने उसका फोन नंबर मांगा।

 चंचल पहले तो दारी डर गई लेकिन फिर उसनेने उसे फोन नंबर भी दे दिया।
अब वह उससे बार-बार बातें करता था। चंचल को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि यह कोई और नहीं बल्कि उसका पति है जो उससे ऐसे प्रेम प्यार की बातें कर रहा है!!

“आप इतने बड़े फिल्म मेकर हैं और मुझसे बातें करते हैं, मुझे बहुत अच्छा लगता है।”
“सचमुच …!मुझे भी बहुत अच्छा लगता है! राहा जी। अगर आप चाहे तो मैं आपको काम दिलवा सकता हूं।”
“ सचमुच …लेकिन !!”चंचल निराश हो गई।
“ क्या बात है राहा! आप इतने परेशान क्यों हैं ?”
“मेरे पति बिल्कुल भी नहीं चाहते! वह तो यह भी नहीं चाहते कि मैं फेसबुक रिल वगैरा बनाऊं।”
“ अब उन्हें छोड़िए अगर आपको मेरी फिल्म और विज्ञापन में काम करना है तो बताइए  मैं बहुत जल्दी ही अपनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म शुरू करने जा रहा हूं। मैं आपको अपना ऑफिस का एड्रेस भेज रहा हूं आप वहां आ जाइए। “
“यह क्या कह रहे हैं मैं मुंबई कैसे आ सकती हूं इतनी जल्दी?”
“मैं मुंबई में नहीं आपके शहर में ही हूं डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के लिए मुंबई में रहना कोई जरूरी तो नहीं राहा जी।
आपके बिना मुझे रहना भी मुश्किल हो रहा है। जब तक मैं आपको सामने से ना देखूं, मुझे चैन नहीं पड़ने वाला।आप प्लीज आ जाइए।”

चंचल दो मिनट तक चुप रही फिर उसने कहा” ठीक है मैं आती हूं।”
“ये हुई ना बात! मैं आपका इंतजार कर रहा हूं।
चंचल उस फिल्म मेकर के प्यार में इतनी पागल हो चुकी थी कि वह उससे मिलने के लिए तैयार हो गई।
उसने राकेश को भी नहीं बताया और न ही घर की किसी सदस्य को।

वह सज सवरकर घर के सारे कैश,एटीएम कार्ड लेकर उस ऐड्रेस के लिए निकल गई।

उसने थ्री व्हीलर लिया । लगभग एक घंटे तक चलने के बाद वह उसके ऑफिस में पहुंची।
जैसे ही वह वहां पहुंची। उसका सेक्रेटरी वहां बैठा हुआ था। उसने कहा
“आपको सर अंदर बुला रहे हैं!”
चंचल सीधे कमरे के भीतर चली गई। वहां एक कुर्सी में राकेश बैठा हुआ था।

राकेश को देखते ही चंचल की हवा गायब हो गई । वह धप्प से जमीन पर बैठ गई।

“आ…प… य…हां!!!!” उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।
“चंचल यह सब क्या है ?राकेश बहुत ही गंभीरता से उसके पास जमीन में ही बैठ गया।
उसने उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए कहा “देखो राहा…! मतलब चंचल, ये ऑनलाइन इश्क ऐसा ही होता है, जिसमें कुछ भी सच्चाई नहीं होती।
पिछले 4 महीनों से तुम मेरे साथ क्या कर रही थी? मान लो  मेरी जगह कोई दूसरा होता तो आज घर के सारे  कैश ,एटीएम कार्ड ,सब कुछ स्वाहा हो जाता और तुम्हारा क्या होता ?
किसी बाजार में बिकी हुई मिलती!”

चंचल रोने लगी।” आप सही कहते हैं ,मैं बहुत गलत हूं । मैंने आपको सच में दुख दिया है। आज मुझे एहसास हो रहा है कि मैं बहुत बड़ी गलती की‌ मुझे माफ कर दीजिए।”
चंचल रोते हुए हाथ जोड़ ली ।
“सुबह का भूला शाम को आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते! बस अपनी मर्यादा में रहो और जिम्मेदारी में!
 कितना गुण है तुम्हारे अंदर, कितनी हुनर है। उन हुनर को, उस गुण को बाहर निकालो ना ।उन्हें उभारो। देखो दुनिया तुम्हारे तुम्हें कैसे सराहेगी।”
“अब मैं यही करूंगी राकेश! आप सचमुच बहुत अच्छे हैं।”
 राकेश ने उसे गले से लगा लिया ।