गृहलक्ष्मी की कहानियां : रिदम और रूद्राक्ष की प्रेम कहानी
Stories of Grihalaxmi

गृहलक्ष्मी की कहानियां : अक्सर जब किताबों में कोई प्रेम कहानी पढ़ती थी, तब मन में एक उधेड़बुन पैदा हो जाती है। मन में आता कि क्या ये सब असल जिंदगी में होता होगा, क्या कोई लड़का ऐसा भी होगा जो किसी लड़की के लिए अपनी जान दे दे। मुझे उस वक्त कहां पता था कि मेरी जिन्दगी में भी कभी कोई आएगा और मेरी हर सांस पर अपना काम लिख जाएगा। मेरे सपने में हमेशा एक राजकुमार आता और मुझे घोड़े पर बिठाकर ले जाता अपने राजमहल में। एक दिन मेरा सपना रूद्राक्ष के रूप में हकीकत बन गया। वह कोई राजकुमार नहीं था, पर मेरे लिए किसी राजकुमार से कम भी नहीं था। उसमें तो सारे गुण थे, जो उसे एक योग्य साथी बनाते थे।

रूद्राक्ष मेरी सहेली सिमी का बड़ा भाई था। मैं उससे सिमी के जन्मदिन पर मिली थी। उसे देखते ही उसकी ओर आकर्षित हो गई वो था ही इतना आकर्षक। उसकी आवाज में मानो सरस्वती विराजती हो। बड़ी ही मधुर आवाज थी उसकी। सिमी ने हम दोनों का जब परिचय कराया तो ऐसा लगा मानो एक पतली सी ओझल डोर हम दोनों को एक दूसरे की ओर खींच रही हो। कुछ ही दिनों में वह पतली सी डोर काफी मजबूत हो गई। बरबस ही हम-दूसरे के साथ आ बैठे। हम खामोश भी होते तो हमारी आंखें बहुत कुछ बोल जाती। दुनिया के शोर-गुल में भी हम एक-दूसरे की धड़कनाें को सुन सकते थे। उसे पा कर मानो मुझे सारा जहां मिल गया। जब हम साथ होते तो वो पल हमारे लिए सबसे खास बन जाता। जी में आता कि ये वक्त यहीं ठहर जाए, ये लम्हा यहीं थम जाए। पर वक्त कभी ठहरता है क्या। आज भी वो सारी यादें बिल्कुल खिलते हुए गुलाब की तरह तरो-ताजा है। 

वो दिन मैं आज तक नहीं भूल पाई, जब अस्पताल में मैं जिदंगी और मौत से लड़ रही थी। एक्सीडेंट हुआ था। रूद्राक्ष ड्राइव कर रहा था पर चोटें मुझे ज्यादा आई थी। उसने पूरी रात ईश्वर से प्रार्थना की मेरे लिए। ईश्वर को भी उसकी जिद के आगे झुकना पड़ा, लौटा दिया उन्होंने उसका प्यार।

जब मेरी आंखें खुली तो वो बस रूद्र को ही तलाश रही थी। पर मेरी आंखें कहां जानती थी कि शायद उन्हें फिर कभी उसका दीदार न होगा। उस दिन वह बहुत खामोश था पर उसकी आंखें बहुत कुछ बयां कर रही थी। मुझे एहसास हो गया था। कि मेरा प्यार मुझसे दूर जा रहा है। उसकी आंखों में एक दर्द था जो आज से पहले मैंने कभी नहीं देखा। खत्म हो रही थी रूद्र और रिदम की प्रेम कहानी।

उस दिन के बाद से आज तक मैं उससे मिल नहीं पाई। उसने मुझसे मिलने के हर रास्ते को बंद कर दिया है। पर मुझे विश्वास है कि जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तब ऊपरवाला एक रास्ता खोलता है । मेरे लिए भी एक रास्ता खुल गया वो रास्ता थी सिमी। 

उससे मिलने पर मैंने हम दोनों की जुदाई का कारण जाना। मैं तो जानती ही थी कि मेरा रूद्र मुझसे कभी बेबफाई नहीं कर सकता और आज यकीन हो गया। वो मेरे एक्सीडेंट का कारण खुद को समझता था और इसलिए ईश्वर के सामने उसने प्रतिज्ञा ली थी कि मेरे ठीक हो जाने पर वह मुझसे बहुत दूर चला जाएगा। शायद उसे यह मालूम न था कि मेरी जिंदगी तो उसमें ही बसती है। 

उसने पीछे न मुड़ने की कसम खाई है, पर मैं तो उसके पास जा सकती हूं। मैंने भी उस दिन तय कर लिया  कि मेरे जिंदगी का एक ही मकसद है, रूद्र को पाना। अब तो ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वो मुझे उससे मिलवा दे। मुझे पूर्ण विश्वास है कि ईश्वर मेरी प्रार्थना सुनेंगे। बहुत जल्द रिदम को उसका रूद्र मिल जाएगा, पूरी हो जाएगी हम दोनों की प्रेमकहानी। मैंने अपनी मंजिल की ओर कदम बढ़ा दिये हैं। इन्तजार है तो बस ….. अपने प्यार को दोबारा पाने का। 

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