Karele ki Kichadi Story: अरे मम्मा आज तो अधीरा बहुत अच्छी खिचड़ी ले के आई थी मुझे बहुत पसंद आई ” विधि स्कूल का बैग रखते हुए स्वाती जी से बोली।
स्वाती जी- अच्छा ये बताओ ऐसी किस चीज़ की खिचड़ी थी जो तुम्हें बहुत पसन्द आई। मैं इतनी तरह-तरह की खिचड़ी बनाती हूँ , तब तो तुमने कभी ऐसा नहीं कहा। और एक बात बताओ अधीरा तो वही साउथ इंडियन लड़की हैं ना जिसने इसी साल तुम्हारे स्कूल में दाखिला लिया। विधि- हाँ मम्मा वही है पर एक बात बताऊँ उस खिचड़ी में क्या था, ये सुनोगे तो आप मुझ पर विश्वास ही नहीं करोगे।
स्वाती जी- हे भगवान आज ये लड़की पता नहीं क्या खा के आई है, स्कूल से आई तब से हल्ला मचा रखा। ठीक हैं बताओ क्या•• कैसी खिचड़ी थी??
विधि अपने मुहँ पर हाथ रखते हुए धीमी हँसी के साथ बोली “मम्मा वो करेले की खिचड़ी थी।
स्वाती जी आश्चर्य से बोली – क्या करेले की खिचड़ी!!! और वो भी मेरी बेटी ने खाई ।
जिसे घर में रखा करेला आँखों नहीं सुहाता, वो आज करेले की खिचड़ी खा के आई है। ये चमत्कार कैसे हुआ??
विधि – मम्मा सच्ची बहुत टेस्टी था, आप अधीरा की मम्मा से बात करके उनसे बनाना सीख लो ना पक्का मैं अब करेला खाऊंगी। स्वाती जी , ठीक है मैं पूछ लूँगी अभी तू फ्रेश हो के आजा।
स्वाती जी ने अधीरा की माँ यानी निर्मला जी को कॉल लगाया और सारी बात बता कर रेसिपी पूछी।
तब निर्मला जी ने बताया की वो इस खिचड़ी को चावल के साथ खाते हैं।
यह सुन कर स्वाती जी के आश्चर्य की सीमा ही नहीं थी क्यूँ की वो अभी तक सोच रही थी जैसे उत्तरी भारत के हर घर में खिचड़ी बनती है वैसी ही होगी पर यहाँ तो चावल के साथ खाने की बात हो रही हैं मतलब यह अलग ही है।
निर्मला जी ने रेसिपी बताना शुरू किया तो स्वाती जी अपने ख्यालों से बाहर आई।
निर्मला जी बोली – करेले को अच्छे से धो कर बारीक काट लीजिए फिर उसमें हरी मिर्ची ,करी पत्ता, थोड़ा सा नारियल क्रस कर के और नमक स्वादानुसार डाल कर घी में राई का तड़का डाल कर करेले को अच्छे से लाल होने तक पकाए।
स्वाती जी सुनते हुए ह्म्म ह्म्म जवाब दिए जा रही थी ताकि निर्मला जी आगे बता सके।
निर्मला जी आगे बोलती हैं- फिर दूसरी तरफ एक बड़ी कटोरी या बाउल में दही को निकाल के थोड़ा फेंट लीजिए।
उसके बाद फ्राई किए करेले को दही में डाल का मिक्स कर लीजिए। नमक चेक कर के कम ज्यादा लगे तो बराबर कर दीजिए।
खिचड़ी को हम लोग चावल सांभर के साथ साइड डिश की तरह खाते हैं ।
स्वाती जी ने पूछा क्या करेले के बीज निकालने हैं??
निर्मला जी बोली- नहीं बीज निकालने की जरूरत नहीं है, आप करेले को एक दम बारीक काट लीजिए बीज भी साथ में कट जाएगे।
स्वाती जी ने फिर पूछा- क्या यह कडवा नहीं होगा क्यूँ की हम करेले का सब्जी बनाते वक्त करेले को धो कर थोड़ी देर नमक लगा कर रखते हैं!!!
निर्मला जी ने जवाब दिया- नहीं जी पहले जब हम करेले को अच्छे से फ्राई करते हैं तो पहली बार कड़वाहट कम होती है , फिर दही में डालने से और भी कम हो जाती हैं थोड़ी बहुत रहती हैं जो खिचड़ी के स्वाद को निखारती हैं।
स्वाती जी ने निर्मला जी को धन्यवाद किया और बोली अब वह तो ये खिचड़ी पक्का बनाएगी । उन्हें भी इसका स्वाद तो पता चले की करेले से भागने वाली उनकी बेटी आज एक रेसिपी की वज़ह से करेले की फेन हो गई।
शाम को स्वाती जी ने निर्मला जी के बताएं अनुसार करेले की खिचड़ी बनाई और साथ में जैसा निर्मला जी ने बताया था चावल और सांभर भी बनाया।
आज तो विधि के साथ घर के सभी लोग करेले से प्यार करने लग गए थे ।
एक कहानी के साथ एक रेसिपी भी शेयर करने की मेरी यह कोशिश आपको कैसी लगी कमेंट्स में बताएं।
करेले की खिचड़ी-गृहलक्ष्मी की कहानियां
