हर गृहणी की समस्या: आज खानें में क्या बनाएं: Houswife Story
Har Grahani Ki Samasya

Houswife Story: ऐसा सभी गृहणियों का डंके की चोट पर कहना होता है। स्वाभाविक भी है कि रोज वही-वही काम करते हुए पुरुष हो या स्त्री परेशान हो जाते हैं। शाम होते ही राहुल की मां ने जोर से पूछा, ‘बेटा आज रात के खाने में क्या बनाना है बता देना।’ राहुल ने कहा, ‘मम्मी आप पापा से भी पूछ लिया करो’ मुस्कराते हुए मम्मी ने कहा, ‘बेटा पापा की चिंता मत कर, जो मैं बना देती हूं वो खा लेते हैं। तेरे ही नखरे ज्यादा रहते हैं। मम्मी ये बनाना, मम्मी वो बनाना।’

राहुल गुस्से में कहता है, ‘मम्मी आप रोज मुझसे पूछती हो आज खाने में क्या बनायें और मैं बता भी देता हूं पर मैंने देखा जो आपको बनाना है आप वही बनाती हैं।’ सही मायनों में गृहणी को अगर आपने आलू के पराठे बनाने के लिए कह दिया तो वो कहेंगी, ‘आलू खाने से वजन बढ़ जाएगा’ और बाहर से खाना लाने की बात कहेंगे तो कहेंगी, ‘महंगा पड़ेगा’ ऐसा कह कर टाल देंगी। वो इस इंतजार में रहती है कि कोई कह दे कि आज रात में खिचड़ी बना लो। और आप सब जानते हैं खिचड़ी बच्चों को बिलकुल पसंद नहीं। आपने अपनी पसंद का कोई खाना बनाने के लिए कहा तो कहेंगी, ‘अरे इसके बनाने के लिए ये नहीं है वो नहीं है।’ अगर आपने लाने के लिए कहा तो कहेंगी- अब कहां जाओगे लाने को खाना बनाने में देर हो जाएगी बच्चों को भूख लग जाएगी।’

हर घर की यही समस्या हैं। खाना बना-बना कर घर की महिलाएं भी परेशान हो जाती हैं। इसी बीच यदि कोई शादी समारोह हो या कोई अन्य कार्यक्रम हो जिसमें खाने का न्यौता मिला हो तो महिलाएं खुश हो जाती हैं। जिस घर में बड़े बेटे-बेटियां होती हैं वो अपने माता-पिता के साथ इन पार्टियों में जाने से कतराते हैं। तब इनकी माताओं को बड़ा कष्ट होता है कि अब इन बेटे-बेटियों का खाना बनाने के लिए उन्हें किचन में घुसना पड़ेगा। तब इन बच्चों की मां हिदायत देती है कि ‘अगर हमारे साथ पार्टी में नहीं आये तो अपने खाने का इंतजाम खुद कर लेना मैं खाना बनाने वाली नहीं हूं। मुझे खाना बनाने से कभी कभार तो छुट्टी मिलती है। जैसे आप लोगों को सप्ताह में रविवार और अन्य अवकाश मिल जाता है पर मुझे तो कभी भी खाना बनाने से छुट्टी नहीं मिलती।’

ऐसा सभी गृहणियों का डंके की चोट पर कहना होता है। स्वाभाविक भी है कि रोज वही-वही काम करते हुए पुरुष हो या स्त्री परेशान हो जाते हैं। इन सब परेशानी के अलावा हर घर की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि रोज-रोज खाना क्या बनायें। घर में चार सदस्य हैं तो चारों को अलग-अलग तरह का खाना पसंद है। ऐसे में क्या खाना बनायें? ये उस घर की गृहणी की सबसे बड़ी समस्या है। होम शॉपिंग की तरह खाने की होम डिलीवरी का चलन इन दिनों बहुत बढ़ गया है। ऑफिस काम से थका मांदा व्यक्ति इन होम डिलेवरी से खाना मंगाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाता है। तभी तो बच्चे अपनी मां को कहते हैं, ‘मम्मी आज शहर की सबसे बड़ी होटल से खाना बुलवाने पर बहुत बड़ा डिस्काउंट दिया जा रहा है। तो आज वहीं से खाना मंगा लेते हैं।’ बच्चों की मम्मी भी तैयार हो जाती है।

अब तो घर पर दावत रखने का फैशन भी कम हो गया है क्योंकि अब ये दावतें आलिशान होटलों में हो रही है। बच्चों से पूछा जाता है कि ‘बेटा चौबे आंटी के यहां दावत रखी है हम सब को चलना है।’ तब उनका बेटा कहता है, ‘मम्मी चौबे आंटी खाना अच्छा नहीं बनाती मैं नहीं जाने वाला उनके यहां।’ तब उसकी मम्मी कहती हैं की ‘चौबे आंटी ने शहर की शानदार होटल में दावत रखी है’ तो उनका बेटा झट से हां कह देता है। हर किसी की यही मंशा होती है कि वह अच्छा मन पसंद खाना खाए सिर्फ पेट भरने के लिए खाना नहीं खाना चाहता। कुछ को तो यह भी शिकायत है कि पत्नी को अच्छा महंगा मोबाइल लेकर दिया कि वह अच्छी-अच्छी रेसिपी बनाना सीख जाए पर देखा पूरा डाटा खत्म हो जाता है पर नई रेसिपी घर पर नहीं बनती।

खाना बनाने वाली माताओं और पत्नियों का परिवार के सदस्यों से रात में ही कल सुबह के खाने में क्या बनाएं? और दोपहर में ही रात के खाने में क्या बनाएं? पूछा जाता है। इससे आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि खाना बनाने वाली ये गृहणियां कितने तनाव में रहती हैं। दूसरी तरफ परिवार के सभी सदस्य अपनी-अपनी पसंद का खाना बनाने पर जोर डालते हैं। अब ये हर घर की समस्या नहीं रही। विकल्प के तौर पर विचार किया जाए तो खाना बनाने वाली बाई या बावर्ची को घर पर इस काम के लिए बुला सकते हैं, जिससे इन खाना बनाने वाली बेरोजगार बाई और बावर्ची को रोजगार भी मिल सके। हालांकि मध्यम और उच्च मध्यम वर्गीय परिवार में यह समस्या अधिक होती है। गरीब तो खुद अपना खाना बना लेते हैं। और अमीर घरों में तो बाबर्ची ही खाना बनाते हैं।

इस समस्या को घर के सदस्य मिल कर भी सुलझा सकते हैं। अपनी माताजी और पत्नी को खाना बनाने में सहायता करके पुरुष भी खाना बना सकते हैं। पर उनके आगे अहम आडे आता है। ससुराल में खाना बनाना पड़ेगा इसलिए बेटियों को उनकी माताएं खाना बनाना सिखाती हैं। आजकल कुछ मातायें अपने बेटों को भी खाना बनाना सिखाती हैं ताकि नौकरी के लिए दूसरे शहर में जाने पर घर पर ही कभी-कभी खाना बना सके। हमें भी हमेशा खाने की तारीफ करते रहना चाहिए ताकि गृहणियों का खाना बनाने के प्रति उत्साह बना रहे। लेकिन आज खाने में क्या बनाएं? इस समस्या का क्या होगा?