कर भला तो हो भला: गाड़ी की जादुई वापसी
Kar Bhala to ho Bhala

Short Story: एक शहर में एक शिक्षक की सरकारी नौकरी लगी। उनके पास पैसे कम थे, इसलिए वह रोज़ाना चार-पांच किलोमीटर पैदल स्कूल जाते थे। जैसे-जैसे उनकी सैलरी बढ़ी, उन्होंने एक गाड़ी खरीदी और गाड़ी से स्कूल आने-जाने लगे। शिक्षक ने तय किया कि वे रास्ते में किसी भी पैदल चलने वाले को लिफ्ट देंगे, क्योंकि उन्होंने भी पहले लिफ्ट की मदद ली थी।

शहर के लोग मास्टर जी की गाड़ी को पहचानने लगे और उनका इंतजार करने लगे। मास्टर जी हर दिन किसी न किसी को लिफ्ट देते थे, जिससे सभी खुश रहते थे। लेकिन एक दिन, एक व्यक्ति उनकी गाड़ी में बैठकर अचानक चाकू दिखाता है और कहता है, “गाड़ी मुझे दे दो और खुद भाग जाओ।” मास्टर जी ने स्थिति को समझा और कहा, “गाड़ी ले जाओ, लेकिन किसी को मत बताना कि तुमने इसे चुराया है। मैं भी किसी को नहीं बताऊंगा, वरना लोग जरूरतमंदों को लिफ्ट देना बंद कर देंगे।”

अगले दिन, मास्टर जी पैदल स्कूल गए और फिर अपने कमरे पर लौटे। उन्होंने भगवान को कोसा और सो गए। सुबह, उन्होंने देखा कि उनकी गाड़ी उनके घर के सामने खड़ी है, और उस पर एक पर्ची चिपकी हुई है। पर्ची पर लिखा था:

“गाड़ी लेकर मैं इसे बेचने कबाड़ी के पास गया। वहां कबाड़ी ने कहा, ‘यह तो मास्टर साहब की गाड़ी है, इसे तुम्हारे पास कैसे आई?’ फिर मैंने होटल पर रुका, जहां होटल वाले ने भी यही कहा। पुलिस चेकिंग में भी पुलिस वालों ने वही पूछा। मैं किसी तरह से बच गया, लेकिन यह गाड़ी तुम्हारी है और तुम्हें ही मुबारक। अगर मुझे पकड़ा जाता तो मुश्किल हो जाती।”

मास्टर जी ने भगवान का धन्यवाद किया और समझा कि उनकी सच्चाई और नेकदिली से उनकी गाड़ी लौट आई।

 कहानी का सार है: “कर भला तो हो भला।” अगर हम दूसरों की मदद करते हैं और अच्छे कर्म करते हैं, तो ऊपर वाला भी हमारी मदद करता है।

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