Hindi Story: कोरोना की दूसरी लहर का कहर किसी से छिपा नहीं है, इसकी भयावहता देख कर इस नरसंहार पर यकीन करना मुश्किल था, कभी-कभी तो ऐसा लगता था कि शायद ये कोई सपना है, या फिर कोई नाटक जिसमें अंत में सब ठीक हो जाएगा …पर अफसोस कि ये वास्तविक जीवन है और इस भयानक वास्तविकता का अंत कैसे होगा …किसी को समझ नहीं आ रहा था।
इस बार ये कोरोना मुझे भी कड़वी यादों का पिटारा दे गया पर मैं यहाँ उन कड़वी यादों को साझा करने नहीं आयी हूँ ,कड़वी यादों के घूँट तो हममें से अधिकांश लोग पी ही रहे हैं तो क्या फायदा दोहराने का??
मैं तो यहाँ हाजिर हुई हूँ कमला बुआ की आपबीती लेकर …न न… ये न समझियेगा कि दुःख भरी आपबीती…अरे भाई समय चाहे कभी अच्छा, कभी खराब हो तो हो,पर हँसने पर टैक्स कभी भी नहीं लगता है।
कमला बुआ दरअसल हमारी मम्मी की बुआ हैं तो जाहिर सी बात है कि बुजुर्ग होंगी पर मजाल है कि कोई उनसे उनकी सही उम्र उगलवा ले, जन्मदिन तो हर साल एक जनवरी को मना लिया करतीं हैं पर कौन से सन् में वो इस धरती पर अवतरित हुईं थीं ये उनसे आज तक तो कोई न उगलवा सका।
यूँ तो वो हमेशा से ही सर्वगुण सम्पन्न थीं पर उन्हें ताउम्र एक ही चीज़ का मलाल रहा कि उन्हें फर-फर करके अंग्रेजी बोलना नहीं आया, ब्याह के बाद अपने पति परमेश्वर यानि मम्मी के फूफा जी के सामने उन्होंने अपनी इच्छा प्रकट भी की थी पर, “अरे कहाँ अंगरेजी फंगरेजी के चक्कर में पड़ रही हो ,तुम्हारी मीठी आवाज़ में तो अपनी भाषा ही अच्छी लगती है” कह कर फूफाजी तो कमला बुआ को चने के झाड़ पर चढ़ा कर निकल लिए थे और कमला बुआ की अंग्रेजी बोल पाने की तमन्ना मन में ही दबी रह गयी।
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हर बीतते दिन और नयी-नयी जिम्मेदारियों के बीच फूफाजी को लगा था कि कमला बुआ इस बात को भूल चुकी हैं ,काफी हद तक वो सही भी थे…घर गृहस्थी और बालक बच्चों की चिल्ल-पों में सचमुच कमला बुआ का अंग्रेजी प्रेम कहीं दम तोड़ गया था,लेकिन अब…जब वो अपनी सारी जिम्मेदारियों से बरी हो चुकीं थीं तो वो अधूरा सपना उनके मन के आँगन में फिर से करवटें लेने लगा था ।
नाती पोतों वाली हो चुकीं कमला बुआ अब उनसे अंग्रेजी के नये-नये शब्द सीखतीं और अपनी बोलचाल की भाषा में उनका खूब प्रयोग करतीं, अब ये दूसरी बात है कि प्रयोग अक्सर उल्टा पुल्टा हो जाता।
हद तो तब हुई जब अंग्रेजी भाषा की दीवानी कमला बुआ को नया फोन मिला…वो भी टच स्क्रीन वाला स्मार्ट फोन…इस फोन पर उनकी भाषा में व्हाट्सऔप (व्हाट्सऐप)बड़ी कमाल की चीज़ थी, जिसे चाहो फोटो खींच कर भेज दो और जिसको मन करे बोल कर मैसेज कर दो…लेकिन वाॅयस मैसेज भेजना कमला बुआ की शान के खिलाफ था, वो क्या कोई अनपढ़ हैं जो लिख नहीं सकतीं??
वो लिख कर मैसेज भेजती थीं और वो भी अंग्रेजी में, चाहे गलत हो या सही…कमला बुआ तो अंग्रेजी में मैसेज भेज देतीं थी अब सामने वाला अपना सिर फोड़ता रहता था कि वो कहना क्या चाहती हैं, गनीमत थी कि फोन पर बातचीत होती थी तो बिना कमला बुआ की जानकारी के उनके मैसेज का अर्थ स्पष्ट कर लिया जाता था, वैसे भी…हाल-चाल ही तो कहना सुनना होता था व्हाट्सऐप पर भी, इसलिए कभी कोई विशेष रूप से उल्लेखनीय बात हुई नहीं और बुआ जी का नयी तकनीक का प्रयोग कभी किसी को खला नहीं….जब तक उनके अंग्रेजी प्रेम से जुड़ा एक ठो कांड नहीं हो गया…हम सब जानते हैं कि कोरोना महामारी के समय सभी सगे संबंधी फोन के जरिए ही एक दूसरे से जुड़े हुए महसूस कर रहे थे, रोते हुए को हँसाना हो या निराशा से घिरे अपने किसी अज़ीज़ को आशा की किरण दिखानी हो…इस मोबाइल फोन ने उस वक्त हमारा भरपूर साथ निभाया था, पता नहीं कितनी जानें सोशल मीडिया पर चलने वाली मुहिम के कारण बची थीं और ये सब संभव हुआ था स्मार्ट फोन की बदौलत,माफ कीजिएगा विषय से थोड़ा भटक गयी हूँ पर आजकल भावनाओं का ज्वार एकदम से आता है …
…..बहरहाल बात हो रही थी कमला बुआ की …तो हुआ यूँ कि परिवार में बुआ जी की समधन की तबीयत कुछ खराब थी और सभी चिंतित थे कि कहीं वो भी कोरोना की चपेट में न आ गयी हों …टेस्ट वगैरह कराये गये तो पता चला कि ऐसा कुछ नहीं है बस सामान्य वायरल बुखार है, समधियाने की बात थी इसलिए सभी हाल चाल पूछ रहे थे, कमला बुआ को भी अपनी समधन की फिक्र हुई और उन्होंने बातचीत करने के बाद उन्हें आराम करने की सलाह देते हुए लिख दिया…. रैस्ट इन पीस( RIP)…आगे आप स्वयं समझ सकते हैं कि क्या हुआ होगा..कमला बुआ की बेटी को तो अपनी माँ के अंग्रेजी प्रेम के लिए बहुत कुछ सुनना ही पड़ा, फूफाजी ने खिसियाकर बुआ जी का स्मार्ट फोन स्विच ऑफ किया और अपने पास रख लिया ,जिसके विरोध में बुआ जी के मुँह से कैसी भी आवाज़ नहीं निकली..ना हिंदी में और ना ही अंग्रेज़ी में।
परिवार के छोटे बच्चों की हँसी रोके नहीं रुक रही थी और कहीं न कहीं सब को बुआ जी के लिए खराब भी लग रहा था कि वो तो बेचारी अपनी तरफ से कुछ अच्छा सीखने का प्रयास कर रहीं थीं पर कहते हैं न …”होईये वही जो राम रचि राखा”…
अपनी इस गलती से घबराई बुआ जी वापस अपने पुराने फोन पर मसरूफ हैं और बिना किसी की जानकारी में आये अब वो बच्चों से व्हाट्सऐप की ये भाषा सीख रही हैं। क्या पता भविष्य में उन्हें अपना स्मार्ट फोन वापस मिल जाए…भई!!उम्मीद पे तो दुनिया क़ायम है …मैं भी इस उम्मीद के साथ कि आप सब स्वस्थ और खुशहाल रहेंगे..आप सबसे विदा लेती हूँ,तब तक ज़िंदगी को भरपूर जीने का प्रयत्न करें क्योंकि कमला बुआ की भाषा में यो लो
