kaho nahi karo
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एक व्यक्ति को चूहे बहुत परेशान कर रहे थे। एक दिन वह बाजार से एक पुस्तक खरीदकर लाया, जिसमें चूहों से छुटकारा पाने के एक सौ एक तरीके समझाए गए थे। उसने पुस्तक लाकर मेज पर रख दी और स्वयं हाथ-मुंह धोने चला गया। इतने में चूहों की नजर उस पुस्तक पर पड़ी। पुस्तक का रंगीन कवर देखकर वे आकर्षित हो, उसके पास जा पहुँचे और उस पर चढ़कर उछलकूद मचाने लगे।

उनका दुस्साहस देख पुस्तक का पारा चढ़ गया। उसने हिकारत से उन्हें फटकारते हुए कहा कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की। जानते नहीं, मैं तुम्हारा काल हूँ और मेरे भीतर लिखे एक सौ एक तरीकों में से कोई भी तुम्हारा अंत करने के लिए काफी है। इस पर चूहे ठहाका मारकर हंस पड़े और पुस्तक पर टूट पड़े। कुछ ही पल में पुस्तक चिंदियों के ढेर में तब्दील हो चुकी थी।

सारः जब तक अमल में न लाया जाए, हर उपाय निरर्थक है।

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)