Hindi Funny Story: मेरी नई-नई शादी हुई थी, पतिदेव भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हो देहरादून ट्रेनिंग पर थे व मैं अपनी ससुराल मेरठ थी| हर गुरूवार जब भी मेरे पतिदेव घर आते, तो गेट से ही सीटी बजाते हुए अंदर घुसते और उनकी आवाज़ सुनते ही मैं उनसे मिलने बातें करने के लिए आतुर हो जाती|
एक दिन शुक्रवार की सुहानी शाम थी, करीब 6 बजे का समय था तभी सीटी की मधुर आवाज़ कानों में सुनाई दी सुनकर लगा, आज इतनी जल्दी! क्योंकि इनका आने का समय अधिकतर
8-9 बजे के आसपास ही रहता|
पर सोचने का समय किसके पास- तत्परता से बाहर की ओर भागी तो देखा मेरे देवर सीटी बजाते
और गुनगुनाते आ रहे हैं, मुझे देखते ही कहने लगे-काश! हमारे लिए भी कोई ऐसा हमसफर होता,
हमारी सीटी पर भागा चला आता…..दौड़ा चला आता!
उन्हें देखते ही अपनी सफाई में कुछ कहने को नहीं सूझा, बस आंखें शर्म से झुक गईं और
मैं शर्म से लाल हो गई|
8 बजे के करीब जब पति महाशय आए और सीटी सुनाई दी तब मेरे देवर हँसते हुए बोले-
अब यह सीटी की सही आवाज़ है, दौड़ो और मिलो…
एक साथ फिर घरवालों की मिश्रित हंसी से वातावरण गूँज उठा और मैं अपने कमरे की ओर भागी|
आज भी जब यह वाक्या याद आता है तो हम सभी की हंसी छूट जाती है व अब भी
हाय! मैं शर्म से लाल हो जाती हूँ|
मेरे पतिदेव सीटी बजाकर अपने आने की सूचना देते थे
