Jataka Story in Hindi : घने वन में, बहुत विशाल पेड़ पर, कौओं का राजा अपनी पत्नी के साथ रहता था। वे दोनों एक-दूसरे को बहुत चाहते थे। एक दिन वे दोनों एक साथ घूमने निकले व उड़ते-उड़ते वाराणसी के राजा के महल के ऊपर जा पहुंचे। कौए राजा ने नीचे देखा, महाराजा के लिए मेज पर स्वादिष्ट पकवान परोसे गए थे। उसने पत्नी से भी नीचे देखने को कहा। कौए की पत्नी के मुँह में तो पानी भर आया। उसने आह भरी! ‘‘काशः मै भी इसमें से थोड़ा सा चख पाती!’’
वे दोनों असंतुष्ट होकर घोंसले में लौट आए। कौए राजा ने मंत्री को बुला कर बताया कि उसकी पत्नी, वाराणसी के महाराज के लिए परोसा गया भोजन खाना चाहती है। कौए राजा का आदेश सुन कर मंत्री ने कहा – ‘‘महाराज! चिंता न करें। मैं महारानी का मनपसंद भोजन लाऊँगा।’’

मंत्री कौआ अपने अन्य कौए सिपाहियों के साथ उड़ कर, महल के पीछे जा पहुँचा। सबसे पहले उन्होंने पता लगाया कि वह रसोईघर कहाँ था, जहाँ से राजा का भोजन जाता था। मंत्री ने उन्हें रसोई घर की खिड़की में उतरने का आदेश दिया। जब सभी बैठ गए तो उसने अगली योजना बताते हुए कहा ‘‘जब रसोईया यहाँ से महाराज के भोजन का थाल लेकर गुजरेगा तो मैं ऐसी हरकत करूँगा कि थाल उसके हाथ से छूट जाए। उसी समय तुम चार अपनी चोंच में ‘चावल की बिरयानी’ और बाकी चार ‘मछली का झोल’ भर लेना। फिर झट से रानी के पास उड़ जाना’’। सिपाहियों को तरकीब पसंद आई। वे सभी रसोइये का इंतजार करने लगे।


थोड़ी ही देर में रसोईया रसोई से निकलता दिखाई दिया। उसके हाथ में स्वादिष्ट व्यंजनों का थाल था। मंत्री कौआ थाल के ऊपर से इस तरह उड़ा कि रसोइए के हाथ से थाल छूट गया, सारा भोजन जमीन पर बिखर गया। आठों कौए झट से नीचे ऊतरे व अपनी अपनी चोंच में बिरयानी व मछली का झोल भर लिया।
रसोइया कुछ समझ ही नहीं पाया कि क्या हुआ?

एक पल बाद, जब उसे समझ आया तो वह चिल्लाया।
‘‘दुष्ट कौए को पकड़ो, इसे जाने मत देना’’ राजा के सिपाहियों ने उसी समय जाल बिछा दिया और मंत्री कौए को पकड़ लिया। उसे महाराज के समाने पेश किया गया। रसोइए ने सारी कहानी सुनाई व महाराज से कहा कि कौए को सजा मिलनी चाहिए।
महाराज को भी गुस्सा आ गया। उन्होंने कौए से पूछा, ‘‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई। तुमने अपनी जान भी खतरे में डाल दी?’’ मंत्री कौए ने हाथ जोड़े-‘‘महाराज! मैंने तो सिर्फ अपने कौए राजा के हुक्म का पालन किया है। मैं उनका मंत्री हूँ। हमारी रानी वह भोजन चखना चाहती थी, जो आपको परोसा जाता है।
मैंने उन्हें वचन दिया था कि किसी भी कीमत पर उनकी इच्छा पूरी करूँगा?’’
‘‘श्रीमान, आप मुझे कोई भी सजा दे सकते हैं?
महाराज कौए की वफादारी से बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने सिपाहियों से कहा-‘कौए मंत्री को छोड़ दो। इसने अपने राजा के लिए प्राण संकट में डाले थे। इसे तो इनाम मिलना चाहिए।
उन्होंने रसोइए को आदेश दिया- ‘‘आज से तुम हर रोज़्ा कौए राजा-रानी के लिए मेरे भोजन का कुछ हिस्सा रखा करो।’’ मंत्री कौआ उड़ कर अपने राजा के पास पहुँचा व सारी कहानी सुनाई तो उन्होंने भी उसकी बहादुरी व वफादारी के लिए उसकी पीठ थपथपाई।
शिक्षा:- हमे अपने मालिक के प्रति वफादार रहना चाहिए।

