Hindi Story: भोलानाथ जी के परिवार में सबसे छोटे बेटे के घर जब तीन बेटियों के बाद बेटे ने जन्म लिया तो उनके परिवार में खुशी की लहर कुछ इस तरह से दौड़ गई जैसे उनके घर का कोई सदस्य बिना चुनाव लड़े ही प्रधानमंत्री बन गया हो।
भोलानाथ जी के दूसरे सभी बेटों के घर में पहले से केवल बेटियां होने के कारण इस नये मेहमान के आगमन की खुशी का स्वागत कुछ जोरदार तरीके से ही किया जा रहा था। एक लम्बे अरसे के बाद कई बेटियों के बाद घर में बेटे के जन्म का समाचार मिलते ही घर के हर सदस्य के साथ दोस्त, रिश्तेदार और पड़ोसी तक अपने सभी जरूरी काम बीच में ही छोड़ कर नये मेहमान के दर्शन करने के लिए मुंह उठाये भोलानाथ जी के घर की तरफ भागते हुए नजर आ रहे थे।
विदेशों में इस तरह के मौके पर क्या रस्मों-रिवाज होते हैं इस बारे में तो ठीक से कुछ नहीं कहा जा सकता, क्यूंकि विदेश जाना तो दूर कुछ लोगों ने अभी तक दिल्ली शहर में हवाई जहाजों का बस अड्डा भी ठीक से नहीं देखा। हमारे देश में ऐसा मानना है कि बच्चे को जन्म से अच्छे संस्कार और गुणकारी प्रभाव देने के लिये किसी महापुरुश या घर के सबसे विद्वान एवं ज्ञानी व्यक्ति के हाथों से घुट्टी पिलाने की प्रथा कई पीढ़ियों से निभाई जा रही है। हर कोई लाभदायक फल पाने हेतु अपने रिवाजों के मुताबिक इस रस्म को निभाने के लिये गुड़, दूध, मक्खन, शहद आदि का प्रयोग करते हैं। अपने पोते को जन्म घुट्टी की रस्म का अमली जामा पहनाने का ध्यान आते ही भोलानाथ और उनकी पत्नी के चेहरे से सारी खुशी एक पल में छूमंतर हो गई। अच्छी-खासी सर्दी होने के बावजूद भी दोनों बुजुर्गों के माथे पर पसीने की बूंदें साफ चमकने लगी थी।
भोलानाथ जी अपनी पत्नी के साथ सलाह-मशवरा करते हुए इस बात को लेकर गहरी सोच में डूबे हुए थे कि अपने पोते को ज्ञानी, निष्ठावान और समझदार इंसान बनाने के लिये जन्म घुट्टी पिलायें तो किसके हाथ से? अगर वो खुद घुट्टी पिलाने की इस रस्म को अंजाम देने के बारे में सोचते हैं तो दामाद और बेटियों के ससुराल वालों के नाराज होने का बहुत बड़ा खतरा दिखाई दे रहा था। अब यदि यह हक बच्चे के पिता यानी सबसे छोटे बेटे को दे दिया जाता है तो घर के बड़े बहू-बेटों की शान धूल-मिट्टी में मिलने का जोखिम एक बुरे खतरे की तरह मंडरा रहा था। बहुत सोच-विचार के बाद भोलानाथ जी ने इस विकट समस्या का हल ढूंढने के लिये अपने गुरु जी की शरण में जाना उचित समझा। गुरु जी ने गहन सोच-विचार के बाद भोलानाथ जी को कहा कि आप घर के किसी भी एक सदस्य को यह हक देने की बजाए सभी परिवार के सदस्यों से आशीर्वाद लेकर नवजात बच्चे को जन्म घुट्टी क्यूं नहीं पिला देते? इससे आपके सारे परिवार के सदस्यों की दुआयें और उनके सभी संस्कार इस बच्चे को मिल जायेंगे। गुरु जी के मुख से इतना सुनते ही भोले-भाले भोलानाथ जी चक्कर खाकर गिरते-गिरते बचे।
गुरु जी ने जब भोलानाथ की इस घबराहट का कारण जानना चाहा तो उन्होंने इतना ही कहा कि अब आप के आदेश को हम मना तो कर नहीं सकते, लेकिन इसे निभाना भी सारे परिवार में कलह गड़बड़ पैदा करने से कम नहीं है। आपका यह आदेश तो बिल्कुल उसी तरह से है जैसे कुन्ती मां ने द्रौपदी को जीत कर घर लाने पर बिना सोचे-समझे पांडवों को दिया था। गुरु जी ने जब भोलानाथ से बच्चे को जन्म घुट्टी पिलाने की रस्म के मसले की कठिनाई के बारे में पूछा तो उन्होंने सच्चे मन से कहा कि आप तो सब कुछ जानते हैं, अब आप से क्या छिपाऊं? मेरे दामाद तो ठहरे पराये घर के उनको किसने घुट्टी पिलाई थी यह तो भगवान ही जाने, लेकिन मेरे अपने बहू-बेटे ही एक दूसरे को नापसंद करते हैं।
मेरे घर के कुछ लोग तो मंत्रियों की भाषा में बात करते हैं, जिनके स्वर अचानक कब और किस मुद्दे पर पलट जाये, कोई नहीं जानता। नशे और जुए की लत के कारण मेरा एक बेटा बीमारी और कर्ज में बुरी तरह उलझा हुआ है। मेरी छोटी बहू देखने में तो बिल्कुल भोली-भाली देवी समान दिखाई देती है, लेकिन वो किसी विष कन्या से कम नहीं है। उसकी रगों में न जाने कौन-सी जन्म घुट्टी दौड़ रही है कि हर समय उसके मन में नफरत की आग ही जलती रहती है। अपने ही घरवालों से बदला लेने के लिये वो मौका मिलते ही ईंट का जवाब पत्थर से देने में भी नहीं चूकती। उसका बस चले तो हम सभी को पल भर में गोली मार दे। मेरा एक दामाद इंसान होते हुए भी मेरी बेटी के साथ पशुओं जैसा व्यवहार करता है। दूसरों के बनते हुए काम में रोड़े अटका कर और धोखा देकर खुद को दुनिया का सबसे महान आदमी समझता है। दूर से देखने में आपको चाहे कुछ भी लगे, लेकिन मेरे सारे घर की व्यवस्था बहुत ही खस्ताहाल में है।
गुरु जी ने भोलानाथ के मन की भावनाओं को समझते हुए कहा कि उत्तम जीवन जीने के लिये किसी प्रकार की जन्म घुट्टी पिलाने से अधिक महत्त्व इस बात का होता है कि आप अपने बच्चों को किस प्रकार के कर्म और संस्कार देते हो। एक अच्छा नेक इंसान होते हुए उन्हें किस तरह से धर्म-अधर्म के बारे में पूर्ण रूप से जागरूक बनाते हो। भगवान ने हमें अच्छा सुंदर शरीर दिया है तो हमें अपने हाथों से सदैव नेक काम करने का प्रयास करना चाहिये। अपने साथ-साथ बच्चों में भी देवी गुणों का आह्वान करने का प्रयत्न करे तो अवगुण खुद ब खुद हम से दूर भाग जाते हैं।
किसी बच्चे के आने वाले भविष्य को यदि हम जन्म घुट्टी जैसे अंधविश्वास से जोड़कर भयभीत होते हैं तो वर्तमान में मिलने वाली खुशियों के सभी अवसरों को भी खो देते हैं। आप अपने बच्चों को चाहे कितनी ही बढ़िया जन्म घुट्टी क्यूं न पिला ले परंतु काम, क्रोध, अहंकार जैसे अहंभाव के आने से किसी भी मानव में वे सारे लक्षण आ जाते हैं, जिनसे वह अप्रिय बन जाता है। जहां तक हो सके बच्चों को बचपन से ही जरूरतमंदों की सेवा और मदद करने के लिये प्रेरित करते रहना चाहिये। इसी से परिवार और समाज को प्रसन्नता मिलती है। वास्तव में कोई भी बच्चा विद्वान तभी बन सकता है, जब वह अपनी इच्छा त्यागकर परमात्मा की इच्छा से कार्य करता है। असल जीवन में वही बच्चा भाग्यशाली होता है जो दूसरों से ईर्ष्या नहीं बल्कि प्यार करता है। गुरु जी का सन्देश सुनने के बाद जौली अंकल के मन में भी यही विचार आ रहे हैं कि अपने बच्चों को जीवन में सबसे बड़ी शक्ति देने के लिये उन्हें जन्म घुट्टी में केवल प्रेम-प्यार की घुट्टी पिलाई जाये तो उनका जीवन खुशबूदार फूलों की तरह महक उठेगा। किसी के काम जो आए उसे इन्सान कहते हैं, पराया दर्द अपनाये उसे भगवान कहते हैं।
ये कहानी ‘कहानियां जो राह दिखाएं’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं–
