हे श्रीराम! आखिर रावण कब तक मरेगा: Hindi Vyang
Hey Shree Ram Aakhir Ravan Kab Tak Marega

Hindi Vyang: सोटागुरु का खैनी बनाने का अंदाज ही जुदा है। उनकी अदा पर लाखों फ़िदा हैं। सोटागुरु के खैनी बनाने का अंदाज उस समय बेइंतहा हो जाता है जब सिर पर पगड़ी बधी हो और मूछे नागिन डांस करती हों। उनकी खैनीवाली अदा के लाखों दीवाने हैं। सोटागुरु कहते हैं ‘अस्सी चुटकी नब्बे ताल, तब देखो खैनी की चाल।’ चौपाल पर सोटागुरु का खैनीडांस जब होता है तो कितने युवा मस्ती में खुद को खो बैठते हैं। वह जमींन पर होते हुए भी क्रूज की सैर कर आते हैं। सोटागुरु को देश दुनिया की अच्छी जानकारी है। बस, उन्हें कोई छेड़ दे तो बात बन जाए।
खबरीलाल ने सोटागुरु को एक गंभीर खबर सुनाकर आखिर छेड़ ही दिया। खबर सुनते ही सोटागुरु के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगीं। वह धर्मसंकट में पड़ गए। उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखने लगीं। उन्होंने स्पष्टीकरण मांगते हुए इस खबर की अंतिम पुष्टि की इच्छा से पूछा। खबरीलाल क्या तुम सच कहत हौ। जी बिल्कुल! सोटागुरु, पक्की खबर है। अबकी दशहरे पर रावण ने हड़ताल कर दिया है। उसने प्रभु श्रीराम को व्हाट्सेप, मैसेंजर, इंस्टाग्राम, फेसबुक और मेल के जरिए संदेश भेज दिया है कि अबकी दशहरे पर वह नहीं मरेगा। रावण ने लंका में इंटरनेशनल मीडिया की प्रेस ब्रीफ भी बुलाकर अपनी इच्छा जाहिर कर दी है। दुनिया भर में यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गयी है। इस पर इहलोक और परलोक में डिबेट छिड़ गई है।
रामजी को भेजे संदेश में रावण ने साफ कहा है कि त्रेता से लेकर हम मरते-मरते कलयुग तक आ पहुंचे। पांच हजार साल से कलयुग में भी मरते आ रहे हैं। लेकिन हमने अब मुफ्त में मरने का इरादा छोड़ दिया है। रावण ने कहा है- कितनी बार मैं मरूंगा? युगों-युगों तक मरने का ठेका क्या हमी ने ले रखा है। पूरे देवलोक में इस खबर से खलबली मच गई है। जबकि इससे भी बड़ी आश्चर्य की बात तो यह है कि रामजी ने रावण की हड़ताल को जायज बताया है।उन्होंने कहा है कि रावण की हड़ताल बिलकुल जायज और लोकतांत्रिक है। प्रभु की इस लोकतांत्रिक इच्छा से विष्णुलोक में खलबली मच गई। जबकि रावण की लंका में इसे श्रीराम का समदर्शी न्याय बताते हुए मुक्त कंठ से प्रशंसा हो रही है।
खबरीलाल ने सोटागुरु को बताया कि देवलोक की मीडिया इस खबर को युगान्तकारी बताते हुए ब्रेकिंग चला रही है। सभी चैनल इस पर डिबेट कर रहे हैं। देव और दैत्यलोक के विश्लेषक अपने-अपने तरीके से इस पर डिबेट कर रहे है कि भविष्य में इसका क्या असर होगा। मीडिया में रामजी ने रावण के हड़ताल का समर्थन क्यों किया इसकी वजह तलाशी जा रही है। देवलोक चाहता है कि प्रभु श्रीराम इसका स्पष्टीकरण दें। जबकि रावण की लंका में इस पर खूब जश्न मनाया जा रहा है, लेकिन विभीषण परेशान हैं। आखिर यह सब हुआ कैसे।

सोटागुरु ने कहा निशानेबाज तुमने यह खबर सुनाकर त्यौहार का मजा किरकिरा कर दिया। हमने सोचा था कि दशहरा करीब है और कोरोना चरसी नींद में है। अबकी सबकुछ अच्छे से मनेगा। लेकिन रावण ने तो होलियाना मूड में भांग पीकर फैसला सुना दिया। त्यौहारी और चुनावी मौसम में सोचा था कुछ खैरात का सरकारी गिफत मिल जाएगा। लेकिन भिया, रावण को क्या बोले वह तो रावण ठहरा। सोटागुरु, रावण कह रहा था कि डीजल, पेट्रोल और राई का तेल महंगा हो गया है। हमारे ‘एक लाख पूत और सवालाख नाती’ बेकारी और बेगारी झेल रहे हैं। अनगिनत को मुए कोरोना ने लूट लिया। किसी तरह मुझे बख्श दिया है। फिर इस महंगाई के दौर में आखिर मुफत क्यों मरूं। जब सब कुछ बिक रहा है तो मेरी भी तो बोली लगनी चाहिए। आखिर दशहरा तो अपुन का टाइम है भाय। सरकार तो हर साल दशहरा और दिवाली पर अपने लोगों को बोनस और इंक्रीमेंट देती है। ऊपर से लोग काजू कतली का गिफ्ट भी पाते हैं। मुझे तो हर साल मुफत में मरने का भी बोनस नहीं मिलता।
सोटागुरु गंभीर चिंतन में चले गए। गहरी सांस लेते हुए कहा अब क्या होगा खबरीलाल। होगा क्या गुरु, अबकी ऊंट ने करवट बदल ली है। सूत्रों से खबर आयी है कि देवलोक की अपातकाल मीटिंग में रामजी खासे नाराज हैं। उन्होंने कहा है कि रावण की बात जायज और लोकतांत्रिक है। उसने सच कहा है कि एक गुनाह की सजा उसे कितनी बार दी जाएगी। उसका कथन तर्कसंगत है कि प्रभु! हमने तो मां सीता का सिर्फ एक बार हरण किया था। जिसकी सजा में मुझे त्रेता से लेकर कलयुग तक मरना पड़ा। जबकि यहां तो हर रोज सीता का हरण होता है। रोज जलायी जाती हैं। चीरहरण आम बात है। मैं तो उस दौर में अकेला रावण था अब तो लाखों हैं जो मां सीता को रोज हरते हैं। हर गली, मोहल्ले, चौराहे और घर में हैं नाथ। फिर प्रभु, मेरे भी तो लोकतांत्रिक और मानवीय अधिकार हैं। अबकी दशहरे में मुझे माफ करो। प्रभु, पहले हर मन और घर में बैठे लाखों उस रावण को मारिए, फिर मुझ पर विचार करिए।

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