गुलाब मुस्कुरा रहे हैं—गृहलक्ष्मी की कहानी
Gulab Mushkra Rahe Hain

Hindi Love Story: सुकुमार के अचानक  वीडियो काल आने से  बच्चे खुश हो बातें करने लगे, जल्दी आने की फरमाइश करने लगे। जब  सुकुमार ने सुमिता से कहा, “अकेले रहकर मैं थक गया हूं, एक सप्ताह की छुट्टी लेकर घर आ रहा हूं,और हेड आफिस को भी लेटर भेजा है, जल्दी मेरी वापसी करे।”

“वाह यह तो बहुत अच्छी खबर सुनाई, इधर मन बहुत परेशान हो रहा था।”

फोन रख सुमिता ने चैन की सांस ली, उसके मन पर छाने वाली शक की दीवार भी ढ़ह गई।

सुकुमार के ट्रांसफर हुए एक वर्ष होने जा रहा है, पर पिछले छह महीने से सुमिता परेशान रहने लगी है । अब वह पहले की तरह रोज बातें नहीं करता और छुट्टियों में भी उसने आना कम कर दिया है। हरेक समय उसके पास अधिक काम का बहाना रहता है।

अब सुमिता को लगने लगा है कि उसने गलत निर्णय ले लिया। अरे पाँच वर्ष का तो बेटा है, अच्छे स्कूल में एडमिशन ही उसके यहाँ अकेले रहने का कारण  बन गया है । पर, केवल उसकी पढ़ाई के लिए यहां अकेले रहना बुद्धिमानी है क्या ? आजकल आए दिन उसके स्कूल से शिकायत आ रही है । छोटी बेटी तो प्ले स्कूल जा रही है पर उसे भी संभालना मुश्किल हो रहा है।

एक दिन तो उसे बेटे के स्कूल में इंचार्ज ने मिलने को बुलाया और ऐसे पूछताछ  करने लगी  मानों वह अपराधी हो। जब इंचार्ज को पता चला कि पति साथ नहीं रहते,उनकी पोस्टिंग दूसरी जगह है तो उसने कहा कि बेटे के चिड़चिड़ापन और तोड़फोड़ करने के पीछे यह कारण हो सकता है। आप कोशिश कीजिए कि साथ रहें। 

जब सुमिता ने बेटे और उसके स्कूल के बारे में सुकुमार को फोन पर बताया तो कहने लगा,

“अरे,ये सब बड़े स्कूल के चोंचले हैं,अब बच्चा बड़ा हो रहा है,कुछ न कुछ व्यवहार में परिवर्तन तो आएगा ही। तुम थोड़ा उस पर विशेष ध्यान दो।”

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उसने तो आसानी से कह दिया। लेकिन वह कस्बे में जो गुल खिला रहा है,वह तो अपने घर में किसी से नहीं कह सकता। जिंदगी में पहली बार उसके मन का हो रहा है। अभी तक तो उसके बाबूजी ने जो चाहा,उनके अनुसार हुआ- पढ़ाई, प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी और फिर शादी भी। जिंदगी का इतना बड़ा निर्णय उन्होंने बिना उससे पूछे ही ले लिया। उसकी शादी क्या हुई,उसके पिछले पांच- छह वर्षों से चला आ रहा सपना टूट गया। 

कालेज के शुरुआती समय से उसकी दोस्त बनी स्नेह लता को वह मन ही मन चाहता था। उस समय तो उनका हर पल का साथ था। उसे वह प्यार से लता ही कहता। उनकी दोस्ती से उनके मित्र वाकिफ थे और सलाह देते कि शादी कर ही डालो। वह भी तब अपने कैरियर को बनाने में लगी थी। सुकुमार ने सोचा कि वह अपने पैरों पर खड़ा हो जाए तो घर में इसकी जानकारी देगा।

 पिता ने सुकुमार को मौका ही नहीं दिया । नौकरी के लिए चयन होते ही उन्होंने  हर तरह से संपन्न एक परिवार से रिश्ता जोड़ लिया। बिना मांगे इतना  दहेज कि उसकी दो बहनों का पार लग जाए। सुकुमार ने उस समय पिता से नाराज़गी ज़ाहिर की। उसने मां से कहा कि वे पिता यानी बाबूजी को समझाए। पर, उन्होंने उसकी तीन बहनों की जिम्मेवारी का हवाला देकर उसकी एक न सुनी। अब सुकुमार के लिए शादी बिना बुलाए मेहमान की तरह आ गई। पहले प्यार को भुलाकर  जिंदगी को आगे बढ़ाना पड़ा। शादी के छह वर्षों में दो प्यारे से बच्चे भी आ गए। 

शादी के बाद से ही  सुमिता को लगता कि सुकुमार कभी खुलकर बातें नहीं करता। वह उसकी ज़रूरतों का ख्याल तो रखता,पर उसे पति का लगाव एवं प्रेम महसूस नहीं होता।

 एक बार तो  उसने अपनी छोटी ननद से जानना भी चाहा, तो उसने कहा,

” भाभी, भूलकर भी ऐसा मत सोचिएगा। भईया तो बड़ा ही सीधा- सादा है,वह तो आपको बहुत प्यार करता है।”

सुमिता भी सोचती कि कोई- प्रेम विवाह तो उसका है नहीं, दोनों के माता-पिता के द्वारा तय विवाह है तो प्रेम धीरे- धीरे ही बढ़ेगा। 

सुकुमार का ट्रांसफर क्या हुआ, उसकी तो लॉटरी लग गई । एक दिन वहां बैंक में अचानक उसकी भेंट स्नेह लता से हुई, वह वहीं नौकरी  करती है। एक दो बार मिलने से  पता चला कि लता ने अभी तक शादी नहीं की है। सुकुमार अपराध ग्रस्त हो गया, उसे लगा कि उसकी इस स्थिति का जिम्मेवार कहीं वही तो नहीं है। प्रायः शाम का समय दोनों का साथ बीतता। छुट्टियों में भी वह अपने पत्नी- बच्चों के पास न जाकर उसी के साथ आसपास घूमने निकल जाता ।  उसे लगता कि उसके पुराने दिन लौट आए हैं। आजकल तो उसे न पत्नी और न ही बच्चे की याद आती है। सारा दिन बस उसे लता ही नज़र आती है । 

लता को क्या था,जब वही मेहरबान था। उसके साथ होने से खुशी उसे भी होती,पर वह दिल के साथ दिमाग का इस्तेमाल करती। उसने अभी तक शादी नहीं की क्योंकि उसके ऊपर अपने दो छोटे भाई -बहनों की जिम्मेवारी है। पिता रहे नहीं,घर में बड़ी है। उसे पता चल गया कि सुकुमार अपराध ग्रस्त है,लेकिन उसे कम करने से उसका क्या फायदा? वैसे भी पुरुष वर्ग पर वह अब विश्वास नहीं रखती।

एक दिन बातों- बातों में सुकुमार ने उसने कहा ,

 “अब वह उसको नहीं खोना चाहता, सारी उम्र उसके साथ बिताना चाहता है । “

इस पर लता ने बिना लाग लपेट के कहा,

” अगर साथ रहना है तो शादी करनी होगी और शादी तभी होगी जब वह पहली पत्नी को तलाक देगा।”

 तलाक के नाम से सुकुमार सपनों की दुनिया से धरातल पर आ गिरा। 

वह तुरंत अपने क्वार्टर पर लौट आया। अचानक उसे सुमिता से लगाव महसूस होने लगा। उसे लगा कि पढ़ी-लिखी, पैसे वाले घर की बेटी होकर भी एक पैसे का घमंड नहीं। सबके बारे में वह सोचती है। उसके सभी काम बिना बोले पूरी कर देती है। मां- बाबूजी तो उसका गुणगान करते नहीं थकते। लेकिन उसने कभी उसे वह प्रेम नहीं दिया। फिर बच्चों की क्या गलती है, नहीं वह तलाक नहीं दे् सकता। 

और तुरन्त वीडियो काल कर जब उसने पत्नी, बच्चों को अपने घर आने की खबर दी तो सचमुच लगा कि बाहर खिले गुलाब मुस्कुरा रहे हैं।