Hindi Moral Story: मक्खन चंद जी पूरे मोहल्ले के सबसे सम्मानित और समाजसेवी व्यक्ति हैं । शहर के हर होने वाले फंक्शन सामाजिक भलाई से संबंधित सेमिनार , गोष्ठियों में वह पहुंच जाते हैं। जहां तक उनकी पहुंच हो सकती है । वह अतिथि के रूप में पहुंच जाते। मंच और मंच पर माइक हाथ में आते ही पर्यावरण से फायदा होने संबंधी और पर्यावरण से जनता को होने वाले लाभ संबंधित इतनी बातें बताते हैं । कि मन करता है शहर की सारी खाली पड़ी जमीन पर पौधरोपण करके चला आऊ। धरती पर पैदा होने के अनेक कर्तव्य में से यह महत्वपूर्ण कर्तव्य पूरी निष्ठा एवं सुचिता के साथ पूरा करके अपना एक जिम्मेदार और जागरूक पर्यावरण प्रेमी नागरिक होने के कर्तव्य को पूरा करूं ।
अभी हाल ही में पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक क्षेत्रीय समाचार पत्र में बड़े ही सुंदर स्लोगन के साथ पौधारोपण पढ़ते हुए उनकी फोटो छपी थी । हर एंगल से उनकी फोटो छपी थी। जिसको उन्होंने पूरे मोहल्ले के बच्चे बड़े बुजुर्ग सबको घूम -घूम कर दिखाया । यहां तक कि उनकी फोटो गली के आवारा कुत्तों तक ने भी कई-कई बार देख लिया होगा। और उन्होंने देखने दिखाने के स्वर्गीक आनंद से किसी को भी वंचित नहीं किया।
जल दिवस व पर्यावरण दिवस और पृथ्वी दिवस हो चाहे कोई भी सामाजिक सरोकार से संबंधित गोष्ठी हो या सबसे आगे रहते । वह समाचार पत्रों में अपने आप को अजेस्ट कर ही लेते हैं। या यह कहिए समाचार पत्र उनको अपने आप में अर्जेस्ट कर लेता। कभी दरवाजे पर पौधरोपण करते हुए फोटो खिचवाकर पर्यावरण दिवस मना लेते। कभी नल की टोटी को बंद करते हुए जल बचाओ अभियान को वह चला लेते। मोहल्ले के दल सबसे जागरुक व्यक्ति हैं । सजग समाजसेवी के रूप में मोहल्ले में अपनी छवि चमका रखी है। सभी जगह का तो नहीं पता लेकिन मोहल्ले में लोग उन्हें आदर्श समाजसेवी मानते हैं। अब उनके हर दूसरे तीसरे दिन समाचार पत्रों में निकलने वाले फोटो तो जनता और मोहल्ले में में उनकी यही छवि स्थापित करता है।
आज सुबह-सुबह उनके दरवाजे पर लगे नीम के पेड़ को कटते हुए देखा । तो मेरे अंदर भी एक सजग देशवासी और सजग समाज सेवी पर्यावरण प्रेमी की तरह पर्यावरण की रक्षा करने की इच्छा जागृत हो गयी। और मैं उनके दरवाजे चला गया कि…. धरती का इतना बड़ा अनर्थ एक पर्यावरण प्रेमी के दरवाजे पर कैसे हो हो रहा है? तो सामने कुर्सी पर बैठकर मक्खन चंद जी आराम से पेपर पढ़ रहे थे ।
तो मैंने उनसे पूछ लिया-” अरे भाई साहब यह नीम का पेड़ क्यों कट रहा है यह तो पर्यावरण को शुद्ध रखने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी है और आप जैसे पर्यावरण प्रेमी के सामने यह अनर्थ कैसे हो रहा है??”
मक्खन चंद जी अपने खीसे निपोरते हुएं बोले –“अरे भाई साहब क्या बताएं बेटे ने नई कार ले ली है अब उसके पार्किंग के लिए कुछ ना कुछ तो व्यवस्था करनी ही थी। और इस जगह पर टीनशैड डालकर कार पार्किंग बनवाना है। इस नीम के पेड़ से आंधी आने पर पत्तों से पूरा घर भर जाता था। श्रीमती जी को बहुत तकलीफ होती थी । अब क्या करें लाचारी है लेकिन चिंता की कोई बात नहीं मोहल्ले में हर तरफ तो पेड़ ही पेड़ लगे हैं ।अब क्या अपना और क्या पराया देखना”
मैं उनका उत्तर सुनकर उनके पर्यावरण प्रेम की हकीकत जानकर उनकी टूटी हुई छवि के साथ एवं निराश होकर निराशा से वापस अपने घर को चल पड़ा । और सोचता जा रहा था सच ही किसी ने कहा हाथी के दांत खाने के कुछ और होते हैं और दिखाने के कुछ और होते हैं।
