Funny Story in Hindi: एक थे चंपकलाल पहले वह थे और उनकी खुशहाल जिंदगी थी । एक हंसती मुस्कुराती दुनिया जिसमें एक आज्ञाकारी पत्नी थी।जो उनके एक आवाज पर दौड़ी चली आती थी जिसकी सुबह और शाम चंपकलाल को ही देखकर हुआ करती थी। फिर उनके जीवन में शनि की महादशा शुरू हुई उनका बुरा वक्त आ गया ।जो पत्नी उनकी सुनती थी अब उन्हें रात दिन सुनाती है। आत्मा को जो चोट लगती है सो लगती है जेब को भी चोट लगाती है। पहले उसका महीने का खर्च दो चार सौ था अब हजारों में है।
देखिए ऐसा कैसे हुआ.. एक दिन चंपक लाल की मति मारी गई ।उन्होंने अपनी पत्नी से उसके जन्मदिन पर पूछा –“तुम्हें अपने जन्मदिन पर उपहार में क्या चाहिए”
“अपनी पड़ोसन मिसेज चंद्रा के जैसे बिल्कुल लेटेस्ट मॉडल का स्मार्टफोन मुझे चाहिए”— पत्नी बोली।
चंपकलाल जी मूर्ख और नादान थे। सोचा घर में सब के पास स्मार्टफोन है सिर्फ पत्नी के पास नहीं है देने में कोई बुराई नहीं है आजकल छोटी-छोटी बच्चियां लेकर घूम रही हैं अनपढ़ मूर्ख गवार भी लेकर घूम रहे हैं । तो मेरी श्रीमती तो पढ़ी लिखी और स्मार्ट महिला हैं और ज्यादा से ज्यादा स्मार्ट फोन से क्या करेंगी । अपने मायके और रिश्तेदारों से बात करेगी अतः उन्होंने एकदम नया लेटेस्ट मॉडल लाकर दे दिया।
लेकिन चंपकलाल जी को यह नहीं पता था स्मार्टफोन सिर्फ नाम के लिए स्मार्ट नहीं है वह अपने चलाने वाले को भी स्मार्ट बनाता है। सुबह से शाम नहीं हुआ सर्वप्रथम उसमें फेसबुक उसके बाद इंस्ट्रा उसके बाद ट्विटर उसके बाद हर सोशल मीडिया साइट पर विजिट कर चुकी थी।
चंपकलाल जी यह देखकर हैरान रह गए कि मात्र एक से दो दिन में हजारों फ्रेंड और फॉलोअर्स बन गए जाने यह खाली खुली बैठे लोग आते कहां से हैं। जिस पत्नी का सजना सवरना सिर्फ चंपकलाल जी के लिए था अब उसको सराहना के लिए हजारों लोग हैं। जिस पत्नी का समय काटे नहीं कटता था अब उसको समय अभाव रहने लगा।
अब चंपकलाल जी का हाल यह है कि उन्हें पहले उनकी पत्नी उनके खाली समय की राह देखती थी और अब यह आलम है कि चंपकलाल जी को राह देखनी पड़ती है कि कब पत्नी देवी खाली हो। जो कभी होती ही नहीं है।
ऐसा नहीं है कि चंपकलाल जी को किसी ने पत्नी को स्मार्टफोन देने के यह मूर्खता भरा कदम उठाने के लिए मना नहीं किया था। चंपकलाल जी के बच्चों ने भरपूर कोशिश की थी कि….” पापा मम्मी को स्मार्टफोन मत दिलवाइऐ… क्यों अपने सुखमय जीवन को दुखी बनाना चाहते हैं पापा आपको शायद पता नहीं है लेकिन एक बार मम्मी के हाथ में स्मार्टफोन आ गया तो आप के खर्चे बढ़ जाएंगे आप तरस जाओगे कि पांच मिनट आपके ऊपर ध्यान दें”।
लेकिन चंपकलाल जी ने बच्चों की बातें बचपना मानकर अनसुना कर दिये थे । सत्य ही कहा गया है बच्चे भगवान का रूप होते हैं और चंपकलाल जी ने अपने भगवान की नहीं सुनी। जिसकी सजा कभी जली हुई रोटी तो कभी कभी जली हुई सब्जी के रूप में खा रहे हैं। अपने तो खुद भुगत रहे हैं औरअब दूसरों को आगाह कर करके समझा रहे हैं कि… भैया सब कुछ करना लेकिन पत्नी को स्मार्टफोन मत दिलवाना। क्योंकि एक बार यह दे दिया। आपकी क्या किसी की भी नहीं सुनती वैसे तो पहले भी किसी की सुनती नहीं थी। कुछ बंटाधार सास बहू वाले सीरियलों ने पहले ही कर रखा था और जो रही सही कसर थी अभी यह स्मार्टफोन पूरा कर रहा है।
आप भी चंपकलाल की बातों पर गौर फरमाइएगा हो सकता है आप का भी भला हो जाए।