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गृहलक्ष्मी कहानियां – काउंसलर ने सारी बात सुनकर कहा, ” ऐसे केसों में, पति का पत्नी के प्रति , प्रेम में विश्वास ही हेल्प करता है “।

“तो क्या आपको ऐसा लगता है कि, मैं पत्नी से प्रेम नहीं करता”? सुमित थोड़ा आश्चर्य चकित होकर बोला।

तब काउंसलर ने कहा,” आपकी शादी को अभी बहुत साल नहीं हुए हैं। पत्नी और पुरुष के संबंध से शायद आप वाकिफ नहीं है “।

इस पर सुमित ने पूछा,” मैं उसे कैसे समझ सकता हूं”?

तब काउंसलर ने कहा ,”अपना प्रेम और विश्वास उसके मन में पैदा करके, आप उसके मन तक पहुंच सकते हैं । प्रेम कीजिए। प्रेम वह अनुभूति है , जो  जीवन को आसान बना देती है। केवल  पति है, जो अपनी पत्नी के दिल तक पहुंच सकता है। ऐसे में आपको सहयोगी रवैया अपनाने की जरूरत है। अभी तक आप पत्नी को कहां समझ पाए। आप उसे ऐसा माहौल दीजिए कि आप से वह बात खुल कर कह सके। अब तक तो सुमित, रेवा को दोषी मान रहा था। लेकिन अब सुमित को अपने में ही कमी नजर आने लगी, और सच्चाई भी तो यही है। वह सोच रहा था,” हम में से  बहुत कम पुरुष ही, अपनी पत्नियों को अच्छा माहौल दे पाते हैं । वह तो बस यौन संबंध बनाने के लिए उतावले रहते हैं। प्रेम, विश्वास, आस्था भी कोई चीज है, पर वे यह सब  नहीं मानते। जब तक पत्नी अपनी बात खुलकर नहीं कह सकती, तब तक संबंधों में मधुरता नहीं आती।  मधुरता, यानी मिठास जो स्त्री-पुरुष को एक दूसरे के करीब लाने का काम करती है”।

सुमित ने सोचा,” रेवा के लिए यह जरूरी है कि, वह उस से हर उस विषय पर बात करे, जिसे वह हिचक या समय की कमी या किसी और कारणवश उससे शेयर नहीं कर पाती”।

काउंसलर से हुई बात के बाद, अब  सुमित, अपने और रेवा के बीच के इस ठंडे रिश्ते को एक दूसरे के प्रति सहज और सुलभ बनाने के लिए आतुर था।

काउंसलर ने सुमित से कहा,” ध्यान रखना, कि पुरुष प्रेम करते हैं, सिर्फ सेक्स पाने के लिए और स्त्री सेक्स संबंध बनाती हैं, प्यार पाने के लिए। इस मामले में स्त्री और पुरुष में बहुत अंतर है। जब तक पुरुष की सोच इस संबंध में स्त्री की सोच की तरह नहीं होगी तब तक, स्त्री का सहयोग, व प्यार उसे प्राप्त नहीं होगा”।

सुमित  को समझ आ गया था कि, रेवा को पाना है तो, उस की तरह ही सोचना पड़ेगा। आपसी संबंधो की मजबूती के लिये, आपस की छोटी छोटी बातों को महत्व देना जरूरी है। सुमित कहां, रेवा के साथ दोस्ताना रिश्ता रख पाया था। वह तो बस सेक्स संबंध को ही पति का अधिकार और पत्नी से रिश्ता मानता था।   जबकि यह गलत है। सेक्स सबके बाद बात  थी। प्यार किसी से तभी होता है, जब उसके प्रति मन में  भरोसा, विश्वास हो। यही सब सोचते हुए कब घर आ गया, सुमित को पता ही नही चला।

जब रेवा ने दरवाजा खोला तो सुमित ने रेवा की आंखो में देखा। उसकी आंखो में बहुत से सवाल और चेहरे से बेचैनी साफ पता चल रही थी। जैसे ही रेवा वापिस मुड़ी …. सुमित ने रेवा को अपनी ओर खींचा और घुटने के बल बैठ कर उसने रेवा का हाथ अपने हाथ में लिया और कहा;” आई लव यू  रेवा,  आई लव यू वेरी मच”।

यह सुनते ही रेवा की आँखें भर आईं। उसने आगे कहा,” इतनी आसानी से थोड़े ही छोड़ दूंगा। जिंदगी भर का साथ है। हमेशा साथ रहेंगे। आज से एक नई शुरुआत करते हैं। चलो आज डिनर पर चलते हैं। उसके बाद बहुत ही फिल्मी अंदाज में सुमित ने कहा …,” ऐ आती क्या खंडाला “?

रेवा भी अब तक अपने को संभाल चुकी थी। उसने भी हंसते हुए कहा,” क्या “?

सुमित को मालूम था कि अब तक न तो रेवा ने कुछ खाया होगा और ना ही कुछ बनाया होगा।

इसलिए उसने हंसते हुए बात पूरी की, ” खायेंगे, पियेंगे, ऐश करेंगे और क्या”?  

अब रेवा का शक यकीन में बदल गया था कि, “सुमित  उसे बहुत प्यार करते हैं और बहुत अच्छे पति हैं। आज उसने अपना प्यार पा लिया था। आज मिली थी, अनुभूति प्यार की।

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