इस संसार में ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है जो भाग्य पर भरोसा करते हैं। भाग्य के ऊपर निर्भर रहने वाले सोचते हैं कि भाग्य में जो लिखा है वही होगा। एक राजा था जो हर बात के लिए अपने ज्योतिषी की सलाह लिया करता था। इसका परिणाम यह हुआ संपूर्ण राज्य में अराजकता फैल गई। एक बार राजकाज के विषय में मंत्रणा करने के लिए राजा अपने ज्योतिषी के साथ एक संत के पास जा रहा था।
रास्ते में एक किसान मिला जो अपने हल व बैलों के साथ खेत की तरफ जा रहा था। ज्योतिषी ने किसान को रोककर कहा- “आज मुहूर्त ठीक नहीं है तुम्हें इस दिशा में नहीं जाना चाहिए। किसान विनम्रता से बोला- ज्योतिषीजी मेरे सारे खेत इसी दिशा में हैं। मैं आपकी बात मानकर इस दिशा में नहीं जाऊंगा तो खेतों में पैदावार कैसे होगी। फिर तो मेरा परिवार भूखों मर जाएगा।
ज्योतिषी ने किसान की बात सुनकर अपनी झेंप मिटाते हुए कहा- वत्स, अपने हाथों को दिखलाओ? “तुम्हारा भाग्य क्या है?” किसान ने तुरंत उत्तर दिया- “महाराज मैं किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता। मैं स्वयं मेहनत करके अपने भाग्य का निर्माण करता हूँ।” किसान की बात सुनकर राजा को भी समझ आ गई। वह संत से बगैर मिले महल लौट आया और स्वयं के विवेक से राज्य संचालन करने लगा।
ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं– Indradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)
