apshagun
apshagun

एक राजा शिकार के लिए निकला। महल के दरवाजे पर ही उसका हज्जाम उसकी आंखों के सामने आ गया। बेचारे हज्जाम की एक आंख चेचक के कारण चली गई थी। राजा ने इसे अपशकुन समझा और अपने सिपाहियों को उसे चार कोड़े मारने के आदेश दे दिए कि वह सुबह-सुबह राजा के सामने क्यों आ गया।

संयोग से वह दिन राजा के शिकार के लिए बहुत अच्छा रहा और अच्छे शिकार उसके हाथ लगे। प्रसन्न होकर राजा जब शिकार से वापस आया तो उसे हज्जाम की याद आई और उसने हज्जाम को बुलाकर उससे क्षमा माँगी कि उसने एकदम से उसे अपशकुनी समझ लिया, जबकि उसके लिए पूरा दिन बेहद भाग्यशाली रहा। इस पर हज्जाम ने कहा कि आपका दिन अच्छा रहा होगा महाराज, लेकिन मेरा दिन तो बहुत बुरा गुजरा।

सुबह-सुबह आपके सिपाहियों से चार कोड़े खाए, दिन भर भूखा रहा और अभी खाना खाने जा रहा था कि आप ने बुला लिया। इस पर राजा बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने हज्जाम को अच्छा भोजन कराकर उचित पुरस्कारों के साथ वापस भेजा।

सारः किसी व्यक्ति को अशुभ मानना मनुष्यता नहीं है।

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)