दुनिया में एक कायदा सालों से चला आ रहा है और वह यह हैं कि जब भी आप कोई अलग काम करते हैं, तो पहले लोग आप पर हंसते हैं फिर आपका विरोध शुरू कर देते हैं और अंत में जाकर आपके साथ हो जाते हैं। वैसे भी संयमी व्यक्ति आलोचना का नकारात्मक प्रभाव अपने उपर नहीं पड़ने देता। वह देखता है कि उसकी आलोचना क्यों हुई? तत्पश्चात् वह अपनी गलती को सुधारता है और आलोचक को अपना सबसे बड़ा शुभचिंतक मानता है।
‘भागो मत जागो’ पुस्तक में इसका बड़ा ही सटीक उदाहरण पढ़ने को मिलता है। एक देश के राष्ट्राध्यक्ष ने पद संभालते ही अपने मुख्य सचिव से कहा कि वह उसके आलोचकों की लिस्ट तैयार करे। जिस व्यक्ति ने कभी भी, चाहे थोड़ी ही सही उसकी आलोचना की हो उसका नाम इस लिस्ट में होना चाहिए, यह आदेश दिया। सचिव ने तुरंत लिस्ट तैयार की। फिर उसने कहा- “अब जो मेरे कट्टर आलोचक हैं, उनके नाम अलग छांट लो।” सचिव ने ऐसा ही किया। फिर पूछा- ‘अब बताइये, इनके साथ कैसा सलूक किया जाए? क्या सजा दी जाए? राष्ट्राध्यक्ष ने कहा- कैसी सजा? इन सभी को सम्मानपूर्वक यहाँ बुलाइये। मैं इन्हें अपना प्रमुख सलाहकार नियुक्त करना चाहता हूँ। सचिव देखता रह गया।
तब राष्ट्राध्यक्ष ने कहा- “आज मैं जिस पद पर पहुँचा हूँ उसमें इन लोगों का बड़ा योगदान है। समय-समय पर मेरी आलोचना करके यदि ये मुझे सचेत न करते तो शायद इतनी जल्दी मैं इस पद पर नहीं पहुँच पाता। आप भी आलोचना से कभी आहत न हों, बल्कि उसे चुनौती मानकर आगे बढ़ें। अपना आत्मनिरीक्षण करें। अपनी गलतियों को तुरंत सुधारें। आप पाएंगे कि आपने जो सोच रखा था उसे आपने बड़ी तेजी से हासिल कर लिया। याद रखें, अनुचित आलोचना छुपी हुई प्रशंसा है। कोई भी मरे हुए कुत्ते को लात नहीं मारता।” अब्राहम लिंकन ने अपनी स्टडी टेबल के सामने किसी पुस्तक की एक प्रति मंगवाकर रखी थी। उसमें लिखा था कि अगर मैं अपनी सारी आलोचनाएं पढ़ने की कोशिश करूँ तो मैं कोई दूसरा काम कर ही नहीं पाऊंगा। मैं अपनी समझ से सबसे अच्छा तथा अपनी क्षमता के हिसाब से सर्वश्रेष्ठ काम करता हूँ। मैं अंत में सफल हो जाता हूँ। तो मेरी आलोचना का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। इसलिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करें और उसके बाद अपना छाता खोल लें ताकि आलोचना की बारिश आपके गले के पीछे से बहती हुई नीचे न आ जाए।
ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं–Anmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)
