abaka dhyaan aapakee or tha story in Hindi
abaka dhyaan aapakee or tha

sabaka dhyaan aapakee or tha story in Hindi : फारस के बादशाह ने बीरबल की बुद्धि की बड़ी प्रशंसा सुनी थी। इसलिए उसके मन में बीरबल को देखने की बड़ी प्रबल इच्छा हुई। उसने अकबर के पास एक पत्र लिखकर भेजा। पत्र में उसने बीरबल को बुलाने की बात लिखी थी। एक अहलकार कई दिन की मंजिल तय कर दिल्ली पहुँचा और बादशाह को अदब से सलाम कर फारस के बादशाह का पत्र दिया।

फारस के बादशाह का पत्र पढ़कर अकबर बहुत खुशी हुई। उन्होंने अहलकार को सराय में आराम करने की आज्ञा दी। वहाँ उसके आराम की सभी व्यवस्था की गई। दूसरे ही दिन बादशाह ने बड़े ठाट-बाट के साथ बीरबल को फारस भेज दिया।

फारस पहुँचकर बीरबल ने शहर के बाहर एक बाग में अपना डेरा खड़ा किया और अहलकार को अपने आने की सूचना देने के लिए फारस के बादशाह के पास भेजा।

जब बादशाह ने सुना कि बीरबल नगर के बाहर हुक्म का इंतजार कर रहा है तो वह अपने सभी दरबारियों को अपने जैसे परिधानों से सुसज्जित कराकर सबके साथ दरबार में जा बैठा और बीरबल को आने की आज्ञा दे दी।

बादशाह के बुलावे का संदेश पाकर बीरबल राजमहल में उससे मिलने आया। बीरबल ने देखा कि सब लोग एक ही तरह की पोशाक पहने हुए, बैठे हुए थे।

बीरबल एक तरफ से सबको लक्ष्य करता हुआ धीरे-धीरे बादशाह के पास पहुँचा और उसे अदब से सलाम कर उसके पास बैठ गया।

बादशाह ने बीरबल का स्वागत किया। उसके बाद उनसे पूछा, ‘बीरबल, तुमको कैसे मालूम हुआ कि मैं ही फारस का बादशाह हूँ?’

बीरबल ने उत्तर दिया, ‘गरीबपरवर! आपकी दृष्टि सब पर थी और सबका ध्यान आप पर था। इससे मैंने आपको बिना परिश्रम के ही आसानी से पहचान लिया।’

Top 10 Panchantantra Stories in Hindi-पंचतंत्र की कहानियां

पंचतंत्र की कहानियां:नीति, ज्ञान और मनोरंजन का अनमोल खजाना हैं पंचतंत्र एक प्राचीन भारतीय साहित्यिक कृति है जो जानवरों की…