Hindi kids story

Hindi kids story: पुराने समय की बात है। उस समय शरीर के सभी अंगों में अच्छा तालमेल था इसलिए शरीर भी बड़ा स्वस्थ और पुष्ट रहता था, पर एक दिन शरीर के अंगों ने सोचा, ”हम सब इतनी मेहनत करते हैं, लेकिन पेट तो कुछ भी नहीं करता। उसे बिना बात खाने को मिल जाता है, तो फिर भला हम पेट काे बिना बात क्यों खिलाएँ?”

लिहाजा हाथों ने सोचा, ”हम कोई चीज मुँह में नहीं डालेंगे, ताकि वह निठल्ले पेट को न मिले। शरीर के दूसरे अंगों ने भी कहा, ”हाँ, यह बिल्कुल ठीक है। हममें से कोई देखने का काम करता है, कोई बोलने का, कोई सुनने का, कोई चलने-फिरने का और कोई चीजें उठाने-करने का। मुँह के दाँत खाने को चबाने का काम करते हैं ताकि वह आसानी से पेट में जाए, लेकिन पेट तो कोई काम नहीं करता इसलिए हमें इसे कुछ भी खिलाना नहीं चाहिए।”

उस दिन के बाद सबका कहना मानकर हाथों ने पक्का निश्चय कर लिया कि वे भोजन को उठाकर मुँह में नहीं रखेंगे, जिससे पेट को भी थोड़ी सीख मिले।

और वाकई हाथों ने यही किया। एक-एक कर कुछ दिन बीते, पर जल्दी ही शरीर के सब अंगाें को लगा कि यह तो भारी गड़बड़ हो गई क्योंकि पेट में खाना नहीं गया, तो हाथ में कुछ उठाने- करने की और पैरों में चलने की ताकत नहीं रही।

आँख, कान, नाक और शरीर के दूसरे अंग भी ढीले पडऩे लगे। कुछ समय बाद उन्हें लगा कि वे बिल्कुल काम के नहीं रहे।

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आखिर सब अंगों ने मिलकर हाथों से कहा कि तुम जल्दी से मुँह में कुछ डालो। मुँह से कहा, तुम जल्दी-जल्दी खाने को पचाने लायक बनाओ, ताकि यह पेट में जाए। फिर हममें ताकत आएगी और हम अपना-अपना काम कर सकेंगे।

हाथों और मुँह ने यही किया और धीरे-धीरे सब अंगों में जान आ गई। उस दिन के बाद शरीर के अंगों काे पता चल गया कि पेट में जो खाना पहुँचता है, उसी सबको ताकत मिलती है। उन्होंने अपना-अपना काम फिर से करना शुरू कर दिया। उस दिन के बाद उनमें आपस में कभी झगड़ा नहीं हुआ।

सीख: सभी एक-दूसरे की मदद करें और मिल-जुलकर रहें, तभी समाज उन्नति करता है।

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