आघात-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Aaghat

Hindi Story: शाम गहराती जा रही थी, सूर्य डूब चुका था और सड़क पर वाहन भी कम होते जा रहे थे,ये एक सुनसान इलाका था और रागिनी अपने बॉस मिस्टर प्रधान के साथ घर लौट रही थी।
“गाड़ी धीमी क्यों कर दी सर?हम पहले ही बहुत लेता गए हैं,पेरेंट्स इंतजार कर रहे होंगे मेरे। “ वो घबराई सी बोली।
“देखो!सामने कोई लेटा हुआ सा दिख रहा है,या तो किसी का एक्सीडेंट हुआ है या कोई बेहोश हो गया है?”
रागिनी ने उतर के देखा तो ये कोई अधेड़ उम्र की महिला थी जो औंधे मुंह पड़ी थी,सीधा किया उसे रागिनी ने तो वो कराहने लगी,उसके मुंह पर पानी के छींट डालने पर वो उठने को तत्पर हुई…
“कहां जाना है मांजी!” रागिनी बोली तो बेसाख्ता उसके मुंह से निकला…”पुलिस स्टेशन…वो लोग मार डालेंगे उसको।”
रागिनी और मिस्टर प्रधान चौंक गए थे बुरी तरह…मतलब किसी ने ज्यादती की है किसी के साथ जिसे सजा दिलाने चली है ये।
तभी वो औरत फिर बेहोश हो गई और वो उसे हॉस्पिटल लेकर जाने लगे।
अगले दिन,ऑफिस में मिस्टर प्रधान ने सबसे पहले रागिनी को बुलवा भेजा।
“मॉर्निंग सर!” रागिनी ने मधुर आवाज में उन्हें विश किया।
“क्या समाचार लाई हो?” मिस्टर प्रधान ने उसे देखते ही पूछा।
“करुणा नाम है उस महिला का,चार बेटियों की मां है वो,पति शायद उसे बहुत पहले छोड़ चुका है या कहीं मर खप गया होगा,कल रात ही उसे मेंटल हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया गया था…” रागिनी एक सांस में बोलती गई।
“ओह!मेंटल हॉस्पिटल में क्यों?वो तो पुलिस स्टेशन जाना चाहती थी?” मिस्टर प्रधान ने पूछा।
“आप इजाजत दें तो दो दिन मुझे दे दें उसकी सारी जानकारी मुहैया करा दूंगी मैं…”
“ओके,यू मे गो…” प्रधान ने कहा और रागिनी तीर की तरह निकल गई।
रागिनी पहुंच गई थी उस मोहल्ले में जहां वो औरत रहती थी।
“करुणा जी यहीं रहती थीं न?”उससे पड़ोस वाले घर में जाकर पूछा।
“जी..आप कौन?” वहां एक वृद्ध व्यक्ति ने पूछा था रागिनी से,वो करुणा के बारे में बात करने से कतरा रहा था।
उनका एक्सीडेंट हो गया था कल..वो हॉस्पिटल में हैं,रागिनी ने कहा और उनकी आंखों में देखा,शायद जानना चाह रही थी उनकी प्रतिक्रिया।

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“अरे!बस ये ही निकला उनके मुंह से…बड़ी दुखियारी हैं बेचारी!”अब के से बोले वो।
“आप कुछ और बताएंगे उनके बारे में?रागिनी ने प्रार्थना करते कहा उनसे।वो दरअसल मेंटल हॉस्पिटल भेज दी गई हैं।”
“क्या??ओह!इतने आघात से किसी का भी मानसिक संतुलन बिगड़ ही जायेगा”,वो वृद्ध दुखी होते बोले।
“अंकल जी ,प्लीज कुछ बताएं उनके बारे में,शायद तभी मैं उनकी सहायता कर सकूं?उनका परिवार,बच्चे कहां हैं?कौन हैं?”
“बस ये समझ लीजिए कि वो चार बेटियों की बदनसीब मां है जिसने अपना पूरा जीवन होम कर दिया उनकी जिंदगी संवारने में और आज जैसा की आप बता रही हैं वो मानसिक एसाइलम में जा पहुंची।”
“थोड़ा डिटेल में बताएंगे अंकल जी,ऐसी कौन सी बेटियां हैं जो अपनी मां की सुध भी नहीं लेती और इनके पति?वो कहां हैं?”रागिनी ने फिर पूछा।
सबसे बड़ा कलप्रिट इसका पति सुरेश ही था जिसने एक के बाद एक चार बेटियां पैदा करने के जुर्म में उसे छोड़ दिया।कायर कहीं का!क्या लड़कियां उसकी अकेली की थीं लेकिन करुणा ने हिम्मत न हारी।वो पढ़ी लिखी थी,छोटी मोटी नौकरी कर अपनी बच्चियों को पालती रही।
वो काफी जवान थी जब उसका पति उसे छोड़ के गया था,चाहती तो दूसरी शादी भी कर सकती थी पर नहीं किया उसने ऐसा सिर्फ अपनी बच्चियों के भविष्य के लिए।
जब उसकी बच्चियां बड़ी हुई,उसे उनके विवाह की फिक्र खाने लगी।आजकल बिना दान दहेज के अच्छे घर वर कहां मिलते हैं?ऐसा सोचना था उसका भी।
जहां जाती,पूरे उत्साह से अपनी लड़कियों का गुणगान करती,शायद किसी को उसकी लड़की समझ आ जाए,उसकी लड़कियां थी भी बहुत रूपवान और गुणवती।बस कमी थी तो एक ही और वो थी रुपए पैसे की।पर करुणा के प्रयासों से उसकी बड़ी बेटी दिव्या को एक बहुत अमीर खानदान ने अपनी बहू बना लिया।बस उनकी एक ही शर्त थी कि शादी के बाद दिव्या,अपने मायके से कोई संबंध नहीं रखेगी।
बेटियों की मां थी ना,बेटी के सुरक्षित भविष्य के लिए ये आघात सह गई,अगर उसकी बेटी को वो लोग इसी शर्त पर खुश रखें तो उसे आपत्ति न थी।
दूसरी बेटी चंद्रा,जिस घर में खाना बनाती थी,वहां की मालकिन को इतना भाई कि उन्होंने उसका हाथ अपने बड़ी उम्र के तलाकशुदा बेटे के लिए मांग लिया और करुणा उसके लिए भी तैयार हो गई।मजबूरी व्यक्ति से क्या क्या नहीं करवाती।वो भी कुछ दिनो बाद ये देश छोड़कर यू एस में बस गए।
दोनो छोटी बेटियों ने कसम खाई,वो अपनी मां को छोड़कर शादी कर नहीं जाएंगी कहीं पर करुणा ने उनकी एक न सुनी।एक मां के लिए इससे बड़ा संतोष और क्या होगा कि उसकी बच्चियां अपने घर सुखी हैं…इस बात को आधार बना उसने तीसरी बेटी गौरी की शादी वहीं पास के एक बेरोजगार लड़के से ही कर दी,पर उसकी बेटी घर चलाने लायक कुछ कमा लेती थी,उससे उनका गुजारा चलने लगा।
सबसे छोटी रेखा,मां की बहुत प्यारी थी,उसकी सुंदरता पर रीझकर पड़ोस के शहर से एक ज्वेलर के लड़के ने उससे शादी करने की इच्छा प्रकट की।करुणा ने भगवान का लाख शुक्र अदा किया,उसने अपना मकान गिरवी रखकर अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च कर उनको संतुष्ट करना चाहा।कुछ दिनो की शांति के बाद,अक्सर रेखा जब घर आती,उसका मुंह,शरीर सूजा हुआ होता।उसके न बताने पर भी करुणा उसका सारा हाल जान जाती।बड़े क्रूर लोग थे वो,लालची और बद दिमाग।
एक दिन,रेखा की पहली डिलीवरी हुई और उसे बेटी हुई बस उसकी बेटी उसकी बदनसीबी का सबब बनती चली गई।अभी तक उसकी ससुराल वालों को कुछ उम्मीदें थी शायद उससे लेकिन अब उनका कहर टूट पड़ा उस बेचारी पर।रोज रोज उनकी मांगे बढ़ती गई और करुणा टूटने लगी।
वो रेखा को कहती कि तू अपनी बच्ची संग मेरे पास चली आ लेकिन वो न आ सकी।अपनी बूढ़ी मां पर बोझ बनना नहीं चाहती थी शायद।फिर एक दिन खबर आई कि रेखा स्टोव पर खाना बनाते हुए बुरी तरह जल गई है और जिंदगी मौत से जूझ रही है।कब तक जूझती बेचारी,छोटी सी जान को मां के आंचल में छोड़कर चल बसी।
करुणा इस आघात को न सह सकी,वो तब से पागल जैसे हो गई थी,हरवक्त डरती कि वो लोग आएंगे और उसकी नन्हीं बेटी सिया को मार डालेंगे,वो तैश में आकर कहती कि मैं पुलिस स्टेशन जाऊंगी और उनकी शिकायत करूंगी पर डरती भी रहती थी कि वो मेरी सिया को वैसे ही मार डालेंगे जैसे रेखा को मारा था।
“अब सिया कहां है अंकल?” रागिनी ने पूछा।
“उसे पास के अनाथालय भेज दिया है,कोई तो देखभाल करता उसकी,जब से करुणा का दिमागी संतुलन बिगड़ा था,डर रहता था कि नन्हीं बच्ची के संग कुछ ऊंच नीच न हो जाए।”
ओह!सचमुच बड़ी दुखभरी कहानी है,इतने आघात कोई एक ही जीवन में कैसे सह सकता है?लेकिन क्या बेटियों की मां होना इतना बड़ा गुनाह है अंकल?रागिनी बोली।
“नहीं बेटा!ऐसा नहीं है,कुछ लोग स्वभाव से दुष्ट होते हैं ,वो जुबान से बेटियों को देवी देवी कहते नहीं थकते पर व्यवहार में उन्हें बोझ समझते हैं,ऐसे लोगों ने पूरे समाज को बदनाम कर रखा है।” वो वृद्ध बोले।
“लेकिन क्या उनकी बेटियों का फर्ज नहीं था कि कभी अपनी मां की सुध लेती?रागिनी बोली,एक मां ने अपना दायित्व निभाया उनकी शादी करवा के पर उन्होंने क्या किया?”रागिनी की आवाज का आक्रोश साफ झलक रहा था।
यहां कुछ दोष हमारे समाज का भी है,बेटियों को पढ़ाते लिखाते जरूर हैं पर उन्हें शिक्षा ये ही देते हैं कि शादी बाद उनकी जिम्मेदारी सिर्फ उनकी ससुराल है, मायका नहीं।पर अब उसमे बदलाव आ रहा है बेटा।
सही कहा आपने अंकल!रागिनी गहरी सांस लेते बोली,आप मुझे इनकी किसी बेटी का एड्रेस दे सकते हैं?
तीसरी बेटी गौरी का ही पता है मुझे,उससे बात कर लो ,शायद कुछ हेल्प हो?
जी जरूर!रागिनी,उसका एड्रेस लेकर तुरंत वहां जा पहुंची।
एक साधारण से परिवार में गौरी,अपने पति उमेश के साथ मिली उसे।
तुम्हारी मां के साथ इतना कुछ हो गया और तुम्हें खबर ही नहीं?क्या ये ही दायित्व है एक बेटी का अपनी मां के लिए?रागिनी ने गौरी को डांटते हुए पूछा।
आप ठीक कह रही हैं दीदी!पर मां ने अपनी कसम दी थी हम दोनो को कि हम उनकी जिंदगी में कभी कोई दखल न दें,वो अपने हिसाब से अपनी बेटियों के घर संसार बसाना चाहती थीं पर आज मै वो कसम तोड़ रही हूं। मैं अपनी भांजी को अपने पास रखूंगी,मां का भी इलाज कराऊंगी ,उनका दामाद भी कमाने लगा है अब,जो उनके बेटे से कम नहीं।
रागिनी के चेहरे पर संतोष की मुस्कान खिल गई।उसे लगा कि शायद अब वक्त आ गया था जब चार बेटियों की मां को उसके बलिदानों का सबब मिलने वाला था।