पीसीओएस के कारण बढ़ रहे वजन में मददगार है योगासन: Yoga Asanas for PCOS
Yoga Asanas for PCOS

Yoga Asanas for PCOS: आजकल खराब जीवनशैली के कारण महिलाओं में कई तरह की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, जिनमें से एक बीमारी पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है। इससे ग्रसित महिलाओं में हॉर्मोन असंतुलित होने लगते हैं। इसके साथ ही प्रजनन से संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं। जिन महिलाओं में यह बीमारी होती है उनमें पुरुष हार्मोन यानी टेस्टोस्टेरॉन का स्तर ज्यादा होता है। वहीं इनमें इंसुलिन का उत्पादन भी कम होने लगता है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को सबसे पहले अपने खानपान में बदलाव लाने की आवश्यकता है। स्टडीज के अनुसार लगभग 20 फीसदी भारतीय महिलाएं पीसीओएस की समस्या से ग्रसित हैं, जिसकी वजह से उनमें चेहरे पर बाल आना, पीरियड्स में गड़बड़ी, हृदय रोग, स्लीप एपनियां, डायबिटीज, इनफर्टिलिटी, गर्भाशय कैंसर और मोटापे का खतरा बढ़ सकता है। ‌ज्यादातर महिलाओं में कभी ना कभी वजन बढ़ाने की समस्या होती ही है लेकिन इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं के लिए वेट लॉस करना काफी मुश्किल टास्क बन जाता है।

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पीसीओएस के लक्षण

पीसीओएस तब होता है जब आपके हॉर्मोन असंतुलित हो जाते हैं। इससे पीड़ित महिलाएं और एएफएबी लोग सामान्य से थोड़ा ज्यादा पुरुष हार्मोन बनाते हैं जिसे एंड्रोजन कहा जाता है। एंड्रोजन उत्पादन बढ़ने से आपके अंडाशय के काम करने के तरीके पर असर पड़ सकता है। इसके मुख्य लक्षणों में लंबे समय के लिए अनियमित या छूटी हुई माहवारी, उच्च पुरुष हार्मोन के लक्षण, जैसे- मुंहासे और हिर्सुटिज्म और अंडाशय पर अनेक छोटे सिस्ट होना शामिल है। इसके अलावा पीसीओएस के कारण कुछ कारण भी देखने को मिलते हैं जैसे- बांझपन, वजन बढ़ना, आपकी त्वचा का अलग-अलग जगह पर काला पड़ना, सिस्ट, बालों का झड़ना, उच्च कोलेस्ट्रॉल, इंसुलिन प्रतिरोध, अवसाद आदि।

क्यों बढ़ता है पीसीओएस वाले लोगों का वजन

दरअसल पीसीओएस प्रॉब्लम होने की वजह से महिलाओं की बॉडी में एस्ट्रोजन फीमेल हार्मोनल से अधिक एंड्रोजन मेल हॉर्मोन का निर्माण होने लगता है, जिसके कारण शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा होने लगती है। शरीर में अतिरिक्त चर्बी ही वजन बढ़ाने की असली वजह बनता है।

इंसुलिन‌ रेजिस्टेंस

इंसुलिन रेजिस्टेंस यानी इंसुलिन प्रतिरोध, इस अवस्था में हमारा शरीर शुगर पचाने वाले हॉर्मोन इंसुलिक के खिलाफ प्रतिरोध करना बंद कर देता है। इससे ग्रसित महिलाओं में सुलिन रिसेप्टर सेरीन फॉस्फोराइलेशन में वृद्धि होने लगती है, जिसकी वजह से शुगर इंसुलिन के अनुसार शुगर नहीं पचा पाती है और यही वजह है कि बॉडी में शुगर का लेवल बढ़ने के चलते आपका वजन भी बढ़ने लगता है।

हॉर्मोन का असंतुलन

एस्ट्रोजन हॉर्मोन महिलाओं का अपना हॉर्मोन होता है और जब उनका शरीर पीसीओएस से ग्रसित हो जाता है तो उनमें इस हॉर्मोन की कमी बनी रहती है और इस दौरान उनके शरीर में पुरुषों का हॉर्मोन यानी टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ा रहता है और ऐसे में यह हॉर्मोनल असंतुलन की वजह बनता है, जिसकी वजह से महिलाओं में कई परेशानियां देखने को मिलती हैं। इसकी वजह से महिलाओं के अंडाशय पर लिक्विड की अनेकों छोटी-छोटी थैलियां विकसित होने लगती हैं, जो एक तरह का सिस्ट है। सिस्ट के कारण अंडे का उत्पादन असंतुलित होने लगता है और पीरियड्स में रूकावट होने लगती है। वहीं इससे प्रजनन क्षमता और वजन भी प्रभावित होते हैं। ‌

शरीर में सूजन की समस्या

शरीर में सूजन आने के कारण भी इस बीमारी से जूझ रहे लोगों में वजन तेजी से बढ़ सकता है। दरअसल इस दौरान शुगर पच नहीं रहा होता है या हॉर्मोन के असंतुलित होने से भूख बढ़ने लगती है तो इसकी वजह से मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है और इससे शरीर भोजन और वसा को पचा नहीं पाता है, जिससे वजन घटाना काफी मुश्किल भरा हो जाता है।

पीसीओएस में वजन कैसे कम करें

विशेषज्ञों का मानना है कि पीसीएस होने पर योग, व्यायाम और बेहतर आहार से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है। हॉर्मोनल विकारों से जूझ रही महिलाओं में नियमित रूप से एक्सरसाइज करने पर प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाया जा सकता है। पीसीओएस समस्या से निपटने के लिए वजन घटाना ही सबसे बढ़िया तरीका है। वजन घटाने के लिए आप एक्सरसाइज करना शुरू कर दें। पीसीओएस हो जाने पर एक्सरसाइज महिलाओं के लिए गेम चेंजर की तरह काम करता है। शारीरिक गतिविधि और एक्सरसाइज इंसुलिन प्रतिरोध से लड़ने में सहायता कर सकती है। इसके अलावा एक्सरसाइज करने से कोलेस्ट्रॉल कॉर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करने में और टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को नियंत्रण में करने के लिए मददगार होती है। इसके अलावा आप वजन को नियंत्रित करने के लिए हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग वर्कआउट, कार्डियो वर्कआउट्स और ताई वची पिलेट्स जैसी एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। यह कॉर्टिसोल के स्तर को कम करेंगे और तनाव से दूर रखने में मदद करेंगे। इसके साथ ही नियमित रूप से रनिंग, वाकिंग, एरोबिक भी पीसीओएस के कई लक्षणों से निपटने में आपकी काफी हद तक मदद कर सकते हैं।

मलासन

Yoga Asanas for PCOS
Yoga Asanas for PCOS-Malaasan

इस आसन को करने के लिए अपने पैरों को अपने कूल्हों से थोड़ा अधिक चौड़ा करके चटाई या जमीन पर बैठें। इसके बाद अपने घुटनों को मोड़कर मल त्याग करने की बैठने की स्थिति में आ जाएं। अब अपने हाथों को एक साथ लाएं और हथेलियों को ‘नमस्कार की स्थिति में जोड़ें। इसके बाद अपनी कोहनियों को धीरे से अपनी जांघों की ओर लाएं, फिर, अपने कूल्हों को जमीन के करीब लाने की कोशिश करें। इस अभ्यास के दौरान रीढ़ की हड्डी को सीधा बनाए रखें। फिर धीरे-धीरे मूल स्थिति में आ जाएं। रोजाना 10 मिनट खाली पेट इस आसन को करने से कई फायदे मिलते हैं।

सेतु बंधासन

इस आसन को करने से वजन कम करने में काफी मदद मिलती है और पेल्विक की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। इसके साथ ही पीठ के दर्द में भी काफी आराम मिलता है। इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और घुटनों को पैरों के बराबर लाएं और इन्हें कंधे के स्तर पर मोड़ लें। अपनी निचली पीठ को ऊपर की ओर उठाएं। इस पोजीशन में आप 25 से 30 सेकंड तक बन रहें।

भुजंगासन

कोबरा पोज यानी भुजंगासन को करने के लिए रीढ़ की हड्डी का वार्म-अप जरूरी है। सबसे पहले अपने दोनों पैरों को सामने की ओर फैला कर बैठें और अपनी पीठ को झुकाकर अपने दोनों हाथों से पैरों की उंगलियों को छुएं। अब अपने दोनों हाथों को कंधों के पास रखें। इसके बाद अपने शरीर के ऊपर वाले हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं और ऊपर की तरफ देखने का प्रयास करें।

प्रतिमा 'गृहलक्ष्मी’ टीम में लेखक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। डिजिटल मीडिया में 10 सालों से अधिक का अनुभव है, जिसने 2013 में काशी विद्यापीठ, वाराणसी से MJMC (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की। बीते वर्षों...