Yoga For Cyst: उम्र के साथ महिलाओं को फाइन लाइंस, रिंकल्स और मोटापे की समस्या होना आम है लेकिन कई महिलाएं को सिस्ट और पीसीओएस जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। ओवेरियन सिस्ट की समस्या आजकल बेहद सामान्य हो गई है। भारत में पांच में से लगभग एक महिला इसका शिकार है। माना जाता है कि ओवेरियन सिस्ट की समस्या गलत खानपान और खराब जीवनशैली की वजह से उत्पन्न होती है लेकिन इसके लिए कई अंदरुनी कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। ओवेरियन सिस्ट के शुरूआती लक्षणों को पहचानना बेहद मुश्किल होता है जिस वजह से ये समस्या गंभीर और खतरनाक हो जाती है। सिस्ट का साइज बढ़ने के साथ इसमें दर्द और असामान्य पीरियड्स की समस्या हो जाती है। ऐसे में अधिकांश महिलाएं दर्द निवारक और गर्भनिरोधक गोलियों का सहारा लेती हैं। ये गोलियां समस्या को जड़ से खत्म करने की बजाय उसे कंप्रेस कर देती हैं जिससे शरीर में अन्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। ओवेरियन सिस्ट के दर्द से राहत पाने के लिए आप योग का सहारा ले सकते हैं। योग दर्द कम करने के साथ आपकी ओवरऑल हेल्थ के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। तो चलिए जानते हैं कुछ इफेक्टिव योगासनों के बारे में।
क्या है ओवेरियन सिस्ट

ओवेरियन सिस्ट एक तरह की गांठ होती है जो आमतौर पर ओवरी या ऊपरी सतह पर होती है। इस गांठ में पानी जैसा तरल पदार्थ होता है। अधिकांश मामलों में ये साइलेंट होती है जिससे किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती लेकिन कई बार ये आकार में बड़ी हो जाती है और दर्दनाक हो जाती है। कई बार ओवेरियन सिस्ट मुड़ या फट जाते हैं जो कि काफी खतरनाक हो सकते हैं।
ओवेरियन सिस्ट के कारण
– ये सिस्ट ओवरी और फैलोपियन ट्यूब में होने वाले संक्रमण की वजह से बन जाते हैं।
– कई बार गर्भावस्था में ये सिस्ट उत्पन्न हो जाते हैं।
– एंडोमेट्रियोसिस और पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज की वजह से ये सिस्ट बन सकते हैं।
– खराब लाइफस्टाइल और जंक फूड का अधिक सेवन।
ओवेरियन सिस्ट में लाभदायक योगासन

चाइल्ड पोज: चाइल्ड पोज महिलाओं के लिए बेहतरीन आसन होता है। इसका नियमित अभ्यास करने से पीरियड पेन और ऐंठन से राहत मिल सकती है। साथ ही ये पेल्विक की बेहतरीन एक्सरसाइज में से एक है। चाइल्ड पोज का अभ्यास प्रतिदिन किया जा सकता है।
बटरफ्लाई पोज: इस योगासन का नियमित अभ्यास करने से पेल्विक एरिया स्ट्रेच होता है जिससे पेल्विक से जुड़ी समस्याओं में आराम मिलता है। इसके अलावा पेल्विक एरिया में मौजूद इंफ्लेमेशन को कम करने के लिए इस योगासन का अभ्यास किया जा सकता है।
सेतुबंधासन: सेतुबंधासन करने से पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और पाचन संबंधित समस्याओं से भी निजात मिल सकता है। इसके अलावा ये थॉयराइड से जुड़ी समस्याओं में भी लाभकारी है। सेतुबंधासन से पीरियड पेन में भी लाभ पहुंचता है।
विपरीत करणी: इस योगासन से मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद मिलती है। इसके अलावा ये गठिया के दर्द, इंसोमेनिया और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से राहत दिला सकती है। जिन महिलाओं के पैरों में दर्द रहता है उन्हें इसका अभ्यास मुख्य रूप से करना चाहिए।
