Urinary Tract Infection: यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) एक बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन है जो यूरिनरी फंक्शन संबंधी अंगों में होता है- यूरिन बनाने वाली किडनी उससे जुड़ी यूरेटर ट्यूबए यूरिन इकट्ठा रखने वाले यूरिनरी ब्लैडरए यूरिन बाहर निकालने वाले यूरेथरा यूरिनरी टैक्ट। किसी भी उम्र में स्त्री-पुरूष दोनों को हो सकता है। हालांकि शारीरिक बनावट के कारण महिलाओं में यूटीआई होने का रिस्क ज्यादा रहता है क्योंकि उनका यूरेथरा यूरिनरी ट्रैक बहुत छोटा और एनस के बहुत नजदीक होता है। लेकिन इंफेक्शन की गंभीरता पुरूषों में ज्यादा होती है। बैक्टीरिया पुरूषों की यूरेथरा ट्यूब में जाने के बजाय प्रोस्टेट ग्लैंड में चले जाते हैं। उपचार के बावजूद कई बार बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म नहीं हो पाते और यूटीआई इंफेक्शन बार-बार होने की समस्या रहती है।
यूटीआई इंफेक्शन दो प्रकार के होते हैं-
लोअर ट्रैक्ट इंफेक्शन– यूटीआई मूलतः स्टूल में मौजूद ई-कोलाई बैक्टीरिया के कारण होता है जो एनस की दीवार और उसके आसपास रहते हैं। हाइजीन का ध्यान न रखने या दूसरे कई कारणों से ये बैक्टीरिया यूरेथरा यूरिनरी टैªक्ट तक पहुंच जाते हैं। वहां तेजी से मल्टीप्लाई होकर ब्लैडर केा भी संक्रमित कर देते हैं।
अपर ट्रैक्ट इंफेक्शन– ध्यान न देने और समुचित उपचार न होने की स्थिति में यह इंफेक्शन यूरेटर ट्यूब के माध्यम से ऊपर किडनी तक फैल जाते हैं मरीज को तेज बुखार, दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं। कई बार ये किडनी डैमेज भी कर सकते है।
क्या कहते हैं आंकड़े-
अध्ययनों से साबित हुआ है कि हमारे देश की जलवायु की वजह से लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं और 15 प्रतिशत पुरूष अपनी जिंदगी में कभी न कभी इस इंफेक्शन के शिकार होते हैं।
क्या है कारण-
– पानी कम पीने से डिहाइड्रेशन होना और ब्लैडर में इंफेक्शन होना। यूरिन में टाॅक्सिन ज्यादा निकलना।
– वेस्टर्न स्टाइल पब्लिक टाॅयलेट का उपयोग करना। या फिर पब्लिक टाॅयलेट से इंफेक्शन के डर से बहुत देर तक यूरिन रोके रहना। जिससे बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट की दीवार से चिपक़ जाते हैं और धीरे-धीरे मल्टीप्लाई होकर इंफेक्शन फैलाते हैं।
-पर्सनल हाइजीन की कमी खासकर प्राइवेट पाट्र्स की साफ-सफाई का ध्यान न रखना।
– टाइट और सिंथेटिक कपड़े पहनना। खासकर काॅटन अंडरगार्मेंट न पहनना।
– पसीना ज्यादा आना और प्राइवेट पाट्र्स में फंगल इंफेक्शन होना।
-धूप में एक्सपोजर ज्यादा होना।
– कोल्ड ड्रिंक और चाय-काॅफी के अधिक सेवन से डिहाइड्रेशन बढ़ना।

लक्षण-
यूटीआई में मरीज को शुरू में इस तरह की समस्याएं होती हैं-पेशाब करते हुए जलन और दर्द होना, योनी क्षेत्र के आसपास बहुत ज्यादा खुजली होना, बार-बार पेशाब करने की फीलिंग होना लेकिन पेशाब कम मात्रा में आना, पेशाब कंट्रोल न कर पाना, पेशाब पीले रंग का और बदबूदार होना, पेशाब में खून आना।
इंफेक्शन बढ़ने पर मरीज को ठंड लगने के साथ तेज बुखार आना, थकान और चक्कर आना, पेट के निचले हिस्से और पेट के दाई या बाईं तरफ तेज दर्द होना,उल्टियां आना जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं।

उपचार-
फिजीशियन या यूरोलाॅजी डाॅक्टर यूरिन रूटीन और यूरिन कल्चर और सेंसिटिविटी टेस्ट से यह पता लगाते हैं कि इंफेक्शन किस आॅर्गेनिज्म में है। मरीज को 5-14 दिन के लिए एंटीबायोटिक का कोर्स करना पड़ता है।
बचाव के लिए क्या करें-
छोटी-छोटी सावधानियां बड़ी बीमारियों से बचाती हैं।
– समुचित अंतराल पर लिक्विड डाइट लें-पानी, नींबू पानी, नारियल पानी पिएं। इससे पेशाब ज्यादा आएगा और बैक्टीरिया शरीर से बाहर निकल जाएंगे। सामान्य अवस्था में यूरिन का रंग हल्का पीला होना चाहिए। अगर यह ज्यादा गहरा हो तो यह समझ जाना चाहिए कि शरीर डिहाइड्रेट हो रहा है। ज्यादा पानी पिएं।
-ज्यादा देर तक पेशाब न रोकें। इससे यूरिन ब्लैडर में बैक्टीरियल इंफेक्शन होनेे की संभावना बढ़ जाती है। यथासंभव रेगुलर यूरिन करके ब्लैडर कों खाली करते रहना चाहिए।
-यूटीआई समस्या से निजात पाने के लिए आप Chicnutrix Happee का भी सेवन कर सकते हैं। ये इंफेक्शन को बहुत जल्दी ठीक करता है। -प्राइवेट पाट्र्स की हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। एल्कलाइन साबुन के बजाय वजाइना को बाहर से पानी से अच्छी तरह धोएं। बहुत रगड़ कर साफ न करें, हमेशा ड्राई रखें। नहाने या पेशाब करने के बाद टिशू पेपर या मुलायम तौलिये से वजाइना एरिया को आगे से पीछे की दिशा में पौंछे। सूखने के बाद ही अंडरगार्मेन्ट पहनें। विशेषकर रात को सोते समय अंडरगार्मेन्ट न पहनें। -अंडरगार्मेंट हमेशा काॅटन के, ढीले और पूरी तरह सूखे हुए पहनें । - हमेशा साफ टाॅयलेट का ही इस्तेमाल करें। कोशिश करें कि बाहर इंडियन स्टाइल टाॅयलेट में जाएं। वेस्टर्न स्टाइल पब्लिक टाॅयलेट इस्तेमाल करने से पहले टाॅयलेट कवर या टाॅयलेट सीट सेनेटाइजर स्प्रे से साफ करें। या फिर टाॅयलेट सीट पर न बैठ कर स्कवाॅट पोजिशन में पेशाब करें। - हैल्दी डाइट का सेवन करें। मिर्च-मसालेदार भोजन से परहेज करें। आहार में विटामिन सी रिच आहार की मात्रा बढ़ाएं। विटामिन सी यूरिन की एसिडिटी को मेंटेन करता है और बैक्टीरिया को मल्टीप्लाई होने से रोकने में मदद करता है। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए पानी, नारियल पानी, जूस, संतरा, कीनू जैसे रसेदार फल, खरबूजा, तरबूज का सेवन ज्यादा करें। चाय-काॅफी, डार्क चाॅकलेट, चाॅकलेट आइसक्रीम, चाॅकलेट ड्रिंक्स जैसे कैफीनयुक्त पदार्थ से परहेज करें। - आमतौर पर यूटीआई कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। फिर भी जरूरी है कि विशेषज्ञ द्वारा दिया गया एंटीबाॅयोक्सि का कोर्स जरूर पूरा करें।
(डाॅ जे रावत, कंसल्टेंट फिजीशियन, सहगल नियो अस्पताल, नई दिल्ली )
