लोगों में सांस की बीमारियां होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि सबसे ज्यादा प्रदूषण का प्रभाव बच्चों में दिखाई देता है। वायु प्रदूषण बच्चों में न केवल गंभीर  रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (श्वसन संक्रमण) और ब्रोंकाइटिस का कारण बन रहा है, बल्कि बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी एक प्रमुख कारण है। चिंता, अवसाद और यहां तक ​​कि आत्महत्या के विचार अब केवल वयस्कों से जुड़े नहीं हैं; बल्कि ये समस्याएं छोटे बच्चों को भी सता रही हैं। एक इनवायरनमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव जर्नल का अध्ययन बताता है कि कम अवधि के लिए वायु प्रदूषण से प्रभावित होने और मनोरोग विकारों में सीधा संबंध होता है।  
माता-पिता अपने बच्चों को संतुलित बचपन देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जब बात वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की आती हैं तो वे असहाय महसूस कर सकते हैं। फिर भी कुछ चीजें हैं जो माता-पिता अपने बच्चों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए कर सकते हैं। आइए जानें – 

वायु प्रदूषण के बारे में जागरूक करें

 यदि आप उन्हें वायु प्रदूषण के कारणों और इसके प्रभावों के बारे में बताएंगे, तो वे अपने दैनिक जीवन में जागरूक निर्णय लेने और निवारक उपाय करने की ओर प्रेरित होंगे। किसी भी तरह का कचरा जलाने या नष्ट करने, घर में बिजली की खपत कम करने और दिवाली में पटाखे जलाने आदि जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर आप उनमें पर्यावरण के प्रति चेतना जगा सकते हैं। यह न केवल उन्हें व्यक्ति के रूप में अधिक जिम्मेदार बनाएगा, बल्कि उन्हें तनाव का सामना बेहतर तरीके से करने में मदद करेगा।

इनडोर गतिविधियों में शामिल करें

आपने अक्सर सुना होगा कि बच्चों को एक्टिव बनाए रखने के लिए आउटडोर गेम्स खिलाने चाहिए लेकिन वायु प्रदूषण से बच्चों को बचाना है तो अब उन बातों पर अमल करने के बजाय बच्चों को घर के अंदर रखने की कोशिश करनी चाहिए, खासकर जब शहर में हवा की गुणवत्ता खराब हो। बच्चों के लिए कुछ मज़ेदार इनडोर गतिविधियां तैयार करने का प्रयास करें । आप उन्हें ऐसे पौधे लगाने के लिए प्रेरित करें जो हवा को शुद्ध करें, जैसे कि एलोवैरा, बाम्बू पाम, गोल्डन पॉटहोज, पीस लिली, इंग्लिश आईवी और उन्हें इसके लाभ के बारे में भी बताएं; या उनके साथ योग सत्र और सांस लेने का अभ्यास करें। इस तरह की गतिविधियों से न केवल उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि उन्हें उस दुनिया का एक अलग नजरिया हासिल करने में भी मदद मिल सकती है, जिसमें वे रहते हैं।

 

बच्चों को सिखाने  के लिए पहले खुद मास्क लगाएं 

आप जो कुछ भी कहते हैं वह बच्चों को तब तक समझ नहीं आता जब तक वे उन बातों पर आपको अमल करते हुए नहीं देखते हैं । मास्क पहनने से छोटे कण बाहर रह जाते हैं और शरीर के अंदर खराब हवा का स्तर कम होता है। जब भी बाहर निकलें, खुद मास्क लगाएं। इससे उन्हें भी ऐसा करने की प्रेरणा मिलेगी।
 

शरीर में पानी की  मात्रा भरपूर रखें

 प्रदूषण के कारण जमा हुए विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना है तो शरीर में उतनी मात्रा में तरल पदार्थ भी होना चाहिए। ऐसे में जरूरी है कि आपके आहार में पानी और तरल पदार्थ ज्यादा से ज्यादा मात्रा में होने चाहिए । जरूरी नहीं कि वे दिनभर पानी पीने के लिए तैयार रहें। आप नींबू पानी, नारियल पानी और ताजा रस के तौर पर बच्चों को  पानी दे सकते हैं। बच्चों को तरल पदार्थों के सेवन का महत्व बताना आवश्यक है। 

 बच्चों के आहार में विटामिन सी शामिल करें

 बच्चों के आहार में विटामिन सी और विटामिन ई से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करने से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती देने में मदद मिल सकती है। विटामिन सी शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट है और विटामिन ई रीजनरेशन में भी योगदान देता है। ये शरीर के श्वसन स्वास्थ्य में सुधार कर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों का सामना कर सकते हैं। इस संदर्भ में धनिया पत्ती, चौलाई का साग, खट्टे फल, मछली, सूरजमुखी के बीज आदि कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनका सेवन करना चाहिए। इनका उपयोग विभिन्न व्यंजनों में रचनात्मक रूप से करें ताकि बच्चे स्वेच्छा से इन्हें खा सकें।