प्रदूषित जहरीली हवाओं से अपने बच्चों को बचाएं: Air Pollution Precaution
Protect Your Child from Air Pollution

Air Pollution Precaution: इन दिनों हम सभी न चाहते हुए भी वातावरण में फैल रहे स्मॉग या वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं। आलम यह है कि जहां तक नजर जाती है प्रदूषण यानी स्मॉग या धुंध की सफेद चादर दिखाई देती है। दिल्ली में एक्यूआई लेवल तकरीबन पीएम-500 हो गया है। राजधानी दिल्ली की सड़कों पर निकलना आम जनता के लिए किसी बड़े जोखिम से कम नहीं है।

दरअसल, प्रदूषक तत्वों का लेवल पीएम-2.5 से पीएम-10 लेवल तक होता है। इनमें पीएम-2.5 से बड़े प्रदूषक तत्व हमारी सांस के जरिये शरीर के अंदर पहुंचकर फेफड़ों को सबसे ज्यादा प्रभावित करतेे हैं। जबकि सांस की नली में मौजूद कई प्रदूषक तत्व विघटित होकर पीएम-2.5 से छोटे होकर रक्त में मिल जाते हैं। रक्त प्रवाह प्रक्रिया के साथ शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंच जाते हैं और उन्हें नुकसान पहुचाते हैं। सांस लेने में दिक्कत होना, गले में खराश या जलन, सिर दर्द, आंखों में जलन या खुजली होना, उल्टी, पेट दर्द जैसी समस्याएं देखी जा सकती हैं। जो कालांतर में अस्थमा और सांस संबंधी दिक्कतें हो जाती हैं, फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज, साइनोसाइटिस जैसे-गले या फेफडों मे इंफेक्शन जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।

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किसे है ज्यादा खतरा

Air Pollution Precaution
Air Pollution Risk

सबसे ज्यादा खतरा कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (बच्चों और बुजुर्गों ) और पहले से गंभीर बीमारियों जूझ रहे लोगों को होता है। बच्चों का शरीर व्यस्कों से 7-8 गुना छोटा होता है जिससे वो किसी बीमारी की जल्दी पकड़ में भी आ सकते हैं। इसलिए पेरेंट्स को उनका विशेष ध्यान रखना जरूरी है-

बच्चों की देखभाल के लिए अपनाएं ये टिप्स

  • बच्चों के रोल मॉडल बनें। बच्चों के साथ सख्ती न बरतकर नरम रवैया अपनाएं। प्रदूषण-लेवल जानने के लिए मोबाइल पर एयर क्वॉलिटी मॉनीटरिंग ऐप डाउनलोड करें। उन्हें प्यार से वायु प्रदूषण, बिगड़ते एक्यूआई इंडेक्स की जानकारी दें। उन्हें बचाव के लिए भरसक प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • बहुत जरूरी न हो, बाहर जाने से बचें और बच्चों को भी बाहर न भेजें। इन दिनों आउटडोर गेम, एक्सरसाइज, जिमिंग, वॉकिंग, जॉगिंग जैसी फिजीकल एक्सरसाइज के लिए न जाए। क्योंकि फिजीकल एक्सरसाइज करते समय ऑक्सीजन की जरूरत ज्यादा बढ़ जाती है। जितना ज्यादा सांस लेने पर टॉक्सिक हवा अंदर जाने का अंदेशा रहता है। नतीजतन फेफड़ों को नुकसान अधिक होता है। मास्क पहनकर फिजीकल एक्सरसाइज नहीं कर सकते, बेहतर है कि इन्हें घर में ही किया जाए।
  • बच्चों को अपना क्वालिटी टाइम दें ताकि बच्चे बिजी रहे। दिनचर्या नियत करें जिसमें उन्हें पसंदीदा एक्टिविटीज या हॉबीज करने के लिए प्रेरित करें जैसे- पेंटिंग, किताबे पढना, म्यूजिक-डांस, कुकिंग। घर पर बच्चों के साथ गेम्स खेलें, एक्टिविटीज करें, एक्सरसाइज करें। बच्चों के साथ योगा, एक्सरसाइज, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें। इससे एक्टिव रहेंगे तो इम्यूनिटी अच्छी होगी। फेफडों की मजबूत बनाने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज कराएं। जैसे- गुब्बारे फुलाना, बच्चों के टम्बलर में पानी भरकर बुलबुले बनाना।
  • बाहर जाना बहुत जरूरी हो तो टाइट फिटिंग वाले एन 95 और एन 99 मास्क पहनाकर ही भेजें और उन्हें मास्क न उतारने के लिए कहें। स्मॉग ज्यादा होने पर सुबह 11 बजे से पहले और शाम 6 बजे के बाद बाहर जाने से बचें।
  • घर में खासकर बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले व्यक्ति वायु-संचरण का पूरा ध्यान रखें। बाहर वातावरण में प्रदूषण का स्तर कम हो और सनलाइट आ रही हो, तो सुबह उठने पर खिड़की-दरवाजें थोड़ी देर के लिए खोल दें। खाना बनाते समय बनने वाले धुंए को निकालने के लिए चिमनी या एक्जास्ट जरूर चलाएं। अगर घर ऐसी जगह हो जहां वायु प्रदूषण स्तर बहुत ज्यादा है और घर में वायु-संचरण व्यवस्था की कमी है, तो एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। नियमित रूप से डस्टिंग करें। हैवी कार्पेट्स, हैवी फरनिशिंग, पर्दे, बेड कवर इस्तेमाल न करें क्योंकि इनमें धूल कण बहुत ज्यादा इकट्ठे होते हैं। यहां तक कि वैल्वेट की चादरें, रजाई, कंबल,पर्दों, डोर मैट्स, कालीन को भी नियत अंतराल के बाद बराबर धोते रहें या वैक्यूम क्लीनर से साफ करते रहें।
  • घर में अगर पालतू जानवर हों, तो उनसे यथासंभव दूरी बनाकर रखें। क्योंकि उनके बाल आपके श्वसन तंत्र में पहुंचकर सांस संबंधी समस्याएं ट्रिगर कर सकते हैं।
  • घर और आसपास मनी प्लांट, स्नैक प्लांट, पाम जैसे प्रदूषण प्रतिरोधी पौधे लगाएं। ये पौधे कार्बनडाई ऑक्साइड और वातावरण में मौजूद गहरीली गैसों को अवशोषित करने में सहायक होते हैं। साथ ही ऑक्सीजन रिलीज कर वातावरण को साफ रखने में मदद करते हैं।
  • सर्केडियन रिदम का ध्यान रखें यानी स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं क्योंकि प्रदूषण से उपजने वाली समस्याओं से बचने के लिए अंदरूनी मजबूती जरूरी है। दिनचर्या यानी समय पर सोने-जागने, खाने-पीने और काम करने का विशेष ध्यान रखें।
  • इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बच्चों को रोजाना यथासंभव पोषक और संतुलित आहार दें। एंटी ऑक्सीडेंट रिच डाइट लें। जो हाई फैट या हाई कार्बोहाइड्रेट डाइट के बजाय विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन, कैल्शियम से भरपूर हो। इसके लिए उन्हें मौसमी और ताजे फल-सब्जियां ज्यादा से ज्यादा खाने के लिए प्रोत्साहित करें। जरूरत हो तो पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए डॉक्टरी परामर्श से सप्लीमेंट्स दंें।
  • बच्चों को रोजाना कम से कम 5 गिलास पानी पीने को दें। संभव हो तो गुनगुना पानी पीने के लिए दें। पानी और लिक्विड डाइट बढ़ाएं- दही, लस्सी , नारियल पानी, शेक, जूस, सूप। इससे शरीर में मौजूद विषैले प्रदूषक तत्व यूरिन के जरिये बाहर निकल जाएं।
  • प्रदूषक हानिकारक तत्वों से बचाव के लिए आयुर्वेदिक उपायों पर अमल करें। जैसे- बच्चों को दिन में किसी भी समय 5 ग्राम गुड़ या गुड़-तिल के लड्डू खाने को दें। खाना फायदेमंद है। रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला शहद, गुनगुने पानी या दूध के साथ लें। बच्चों को एक चम्मच त्रिफला सिरप भी दे सकते हैै। आधा चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच शहद मिलाकर दें। संभव हो तो अदरक की चाय पीने को दें। नाक के वायु मार्ग को साफ रखने के लिए नोजट्रिल्स में गाय का शुद्ध घी की एक-एक बूंद सुुबह-शाम डालें।
  • बच्चे की पर्सनल हाइजीन, साुफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • अगर बच्चे को अस्थमा, डस्ट एलर्जी, क्रोनिक पल्मोनिस्ट डिजीज हो, या डायबिटीज जैसी बीमारियां हैं, तो सतर्क रहें। फिजीशियन की सलाह पर नियमित दवाईयां दें ताकि समस्या न बढ़े।
  • ध्यान रखें कि बच्चे कम से कम 10-12 घंटे की भरपूर नींद लें।

(डॉ विनी कांतरू, सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली)