इस साल “प्लास्टिक “को वैश्विक स्तर पर गंभीर खतरा बताते हुए संयुक्त राष्ट्र ने साल 2018 के विश्व पर्यावरण दिवस में प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति का थीम रखा है।
प्लास्टिक से बढ़ते प्रदूषण से आज कोई भी अछूता नही है। प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का जमीन या जल में इकट्ठा होना प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है जिससे वन्य जन्तुओं, या मानवों के जीवन पर बुरा प्रभाव पडता है। प्लास्टिक आमतौर पर लगभग 500-1000 वर्षों में खराब हो जाती है। हालांकि हम वास्तविकता में इसके ख़राब होने का समय नहीं जानते है।
हर साल दुनिया भर में लगभग 100 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है इसमें से 25 मिलियन टन ना नष्ट होने योग्य प्लास्टिक पर्यावरण में जमा हो रही हैं। यह गहरी चिंता का विषय है कि फिलहाल 1500 मिलियन टन का प्लास्टिक पृथ्वी पर एकत्र हो गया है जो लगातार पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। आज प्रति व्यक्ति के प्लास्टिक का उपयोग 18 किलोग्राम है जबकि इसकी रीसाइक्लिंग केवल 15.2 प्रतिशत है।
इसके अलावा प्लास्टिक रीसाइक्लिंग इतना सुरक्षित नहीं माना जाता है क्योंकि प्लास्टिक के रीसाइक्लिंग के माध्यम से अधिक प्रदूषण फैलता है। इसके निर्माण के दौरान, कई खतरनाक रसायन निकलते है, जिससे मनुष्य और साथ ही अन्य जानवरों में भी भयानक बीमारियाँ हो सकती हैं। हमारे द्वारा फेंके गये गंदे कचरे में प्लास्टिक की थैली और बोतलों को कई आवारा जानवरों द्वारा खा लिया जाता है जिससे उनकी मृत्यु हो सकती है।
पूरी दुनिया मे, प्लास्टिक का प्रयोग दिन पर दिन बढ़ने से हर दिन लाखों टन प्लास्टिक कचरा नदी नालों के ज़रिए समुद्र में मिलता है। प्लास्टिक ना केवल इंसानो के लिए नुकसानदायक है बल्कि समुंद्र में रहने वाले जीव जन्तुओ के लिए भी हानिकारक है। दुनिया भर में लगभग 70,000 टन प्लास्टिक महासागरों और समुद्रों में फेंक दिए जाते हैं। मछली पकड़ने के जाल और अन्य सिंथेटिक सामग्री को जेलिफ़िश और स्थलीय और साथ ही जलीय जानवरों द्वारा भोजन समझकर, खा लिया जाता है, जिससे हर साल बड़ी संख्या मे जलीय जीव जंतुओं की मौत हो जाती हैं।
दुनिया में शायद ही कोई समुद्री किनारा बचा हो जहाँ हमें प्लास्टिक का कचरा ना मिलता हो। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है की प्लास्टिक के प्रयोग को प्रतिबंधित किया जाए। अच्छा होगा कि प्लास्टिक के उत्पादन पर ही रोक लगा दी जाए तब जाके दुनियाभर में प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लग सकती है।
विश्वभर में प्लास्टिक के हो रहे प्रदूषण और इससे होने वाली अनेकों स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण इस साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्लास्टिक प्रदूषण और रोकथाम की थीम चुनी है। विश्वभर में प्लास्टिक के बढ़ते प्रयोग और इसके प्रदूषण के खतरे को खत्म करने के लिये यह शुरूआत की गयी है। यह समाज का कर्तव्य है कि वे इस कहावत को सही साबित करें कि प्रकृति भगवान का अनोखा उपहार है। इसलिए लोगों को प्लास्टिक की वजह से प्रदूषण को रोकने के लिए आगे आना होगा और हर किसी को अपने स्तर पर इसका निपटान करने में शामिल होना होगा।
