World Environment Day: पर्यावरण हैं तो हम हैं। हमारा पर्यावरण जितना स्वच्छ होगा, हमारी सेहत भी उतनी ही अच्छी होगी। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि हम पर्यावरण को समझें और उसे संभालें। यह हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत दोनों पर असर डालता है। हर साल 5 जून को दुनियाभर में वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे मनाया जाता है। 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को मनाने के लिए घोषणा की थी। हर साल इसकी एक थीम तय की जाती है। साल 2023 का थीम रखा गया है बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन। चलिए इस खास दिन पर जानते हैं कि आखिर कैसे पेड़, पौधे और पर्यावरण हमारी सेहत पर असर डालते हैं।
जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं

दुनियाभर के शोध बताते हैं कि पेड़, पौधे और जंगल से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। कई शोध दावा करते हैं कि जंगल हमें जानलेवा बीमारियों तक से बचाते हैं। वनों के बीच में रहने से आप फाइटोनसाइड्स में सांस लेते हैं। फाइटोनसाइड्स वो वायु जनित रसायन होते हैं जिन्हें पौधे खुद को कीड़ों से बचाने के लिए छोड़ देते हैं। फाइटोनसाइड्स में जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुण होते हैं जो पौधों को रोग से लड़ने में मदद करते हैं। जब इंसान इन रसायनों में सांस लेते हैं, तो शरीर में सफेद रक्त कोशिका की संख्या और गतिविधि बढ़ जाती है। इससे शरीर में ट्यूमर और वायरस से संक्रमित कोशिकाएं खत्म होती हैं। जापानी शोधकर्ताओं के अनुसार जंगलों के संपर्क में आने से कुछ प्रकार के कैंसर को रोकने में मदद मिल सकती है।
ब्लड प्रेशर करता है कंट्रोल
पेड़-पौधों के बीच में रहने से तनाव कम होता है और मूड अच्छा होता है। यह ब्लड प्रेशर कम करने में भी मदद करते हैं। कई स्टडी यह साबित करती हैं कि सिर्फ पेड़ों के बीच में व्यायाम करने से और उन्हें देखने से ही ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। इससे तनाव से संबंधित हार्मोन कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन कम होता है। ऐसे में मूड अच्छा होता है, गुस्सा कम आता है, डिप्रेशन दूर होता है और थकान भी दूर होती है। इतना ही नहीं इससे आपका ध्यान केंद्रित होता है। इसलिए ऑफिस डेस्क पर पौधा रखने की सलाह दी जाती है। पेड़—पौधों की इन्हीं जरूरतों और महत्व को देखते हुए अमेरिका के शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक वन बनाए गए हैं। ये सामुदायिक वन प्रकृति और इंसानों के बीच ब्रिज का काम कर रहे हैं। इस ग्रीन स्पेस का लोगों के स्वास्थ्य पर अच्छा असर हो रहा है।
बच्चों के लिए बेस्ट थेरेपी

नौकरी, घर, बच्चे और ढेर सारे कामों के बीच अब लोग बेहद बिजी लाइफ जी रहे हैं। हर क्षेत्र में परफेक्ट रहने की कोशिश में अक्सर दिमाग थक जाता है, जिसे डायरेक्टेड अटेंशन फेटिग कहा जाता है। ऐसे में पर्यावरण आपका मददगार बन सकता है। जी हां, प्रकृति में समय बिताना, पौधों में पानी देना, पक्षियों और प्रकृति के अन्य पहलुओं को देखना, हमारे मस्तिष्क के संज्ञानात्मक हिस्से को आराम देता है, जिससे हम बेहतर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। ऐसे में प्रकृति के बीच में रहना बच्चों के लिए भी अच्छा है। अध्ययन बताते हैं कि जो बच्चे प्राकृतिक बाहरी वातावरण में समय बिताते हैं उन्हें थकान कम होती है। इसी के साथ अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) से पीड़ित बच्चों में संबंधित लक्षणों में कमी देखी जाती है।