Overview:त्योहारों के मौसम में पटाखों, वाहनों और पराली के धुएं से हवा में जहरीले कण भर जाते हैं, जो बच्चों में खांसी, फ्लू और अस्थमा को बढ़ा देते हैं। विशेषज्ञ डॉ. पूनम सिदाना के अनुसार, बचाव के लिए पटाखों से दूरी, मास्क, फ्लू वैक्सीन और साफ हवा बेहद जरूरी हैं।
त्योहारों के दौरान पटाखों का धुआं, पराली जलाना और वाहनों का प्रदूषण हवा में PM 2.5 और जहरीले केमिकल्स की मात्रा बढ़ा देते हैं, जो सांस की नलियों में सूजन पैदा करके बच्चों में अस्थमा, खांसी और फ्लू के खतरे को गंभीर रूप से बढ़ा देते हैं। बचाव के लिए पटाखों से दूरी, मास्क का Use, फ्लू वैक्सीन और घर में अच्छे वेंटिलेशन जैसे छोटे-छोटे कदम बेहद कारगर साबित हो सकते हैं।
Childhood Under Pollution’s Shadow-त्योहारों का मौसम आते ही, खासकर नवरात्रि, दशहरा और दिवाली के वक्त, उत्तर भारत में सर्दियों की शुरुआत भी हो जाती है। इसी समय पर पराली जलाने की समस्या, गिरता तापमान और हवा की कमी की वजह से हवा में फैला प्रदूषण लंबे समय तक बना रहता है। इस दौरान पटाखों से निकलने वाला धुआं और बारीक कण (PM 2.5 और PM 10) गहरी सांस की नलियों तक पहुंच जाते हैं।
साथ ही सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओज़ोन और तरह-तरह के केमिकल्स मिलकर हवा को और जहरीला बना देते हैं। ऊपर से त्योहारों में गाड़ियों की आवाजाही बढ़ जाती है, जिससे प्रदूषण और ज्यादा बढ़ जाता है। अब जब ये सब प्रदूषक हमारे शरीर में जाते हैं तो नाक, गले, आंखों और फेफड़ों में जलन और सूजन पैदा करते हैं।
ठंडी हवा में सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे सांस बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है। बच्चों में अगर पहले से अस्थमा या एलर्जी जैसी समस्या है, तो ये दिक्कत और बढ़ जाती है। बुजुर्गों में COPD जैसी बीमारियां ज्यादा बिगड़ सकती हैं। इस तरह से प्रदूषण इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है, जिससे बार-बार खांसी, गले में खराश और यहां तक कि मौसमी फ्लू जल्दी पकड़ लेता है।
त्योहारी प्रदूषण के ‘जहरीले’ कारण

नवरात्रि, दिवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों का धुआं, पराली जलाना और वाहनों का धुआं मिलकर हवा में PM 2.5, PM 10, सल्फर डाइऑक्साइड जैसे खतरनाक प्रदूषकों की एक घातक परत बना देते हैं। गिरता तापमान और हवा की कमी इन प्रदूषकों को और भी ज्यादा घना बना देती है।
सांस की बीमारियों को कैसे बढ़ावा?
ये जहरीले कण सीधे हमारे फेफड़ों में पहुंचकर सांस की नलियों में जलन और सूजन पैदा करते हैं। ठंडी हवा के कारण ये नलियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे अस्थमा और COPD जैसी बीमारियां बिगड़ जाती हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से मौसमी फ्लू और लगातार खांसी की समस्या पैदा हो जाती है।
सुरक्षा के हैं ये आसान उपाय
- पटाखों से पूरी तरह दूरी बनाएं और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें।
- बच्चों और बुजुर्गों को समय पर फ्लू का टीका जरूर लगवाएं।
- घर का वेंटिलेशन दिन में करें और जरूरत पड़ने पर एयर प्यूरीफायर का Use करें।
- सेहतमंद खानपान और भरपूर पानी के सेवन से इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएं।
इनपुट्सः डॉ. पूनम सिदाना, डायरेक्टर – नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स, सीके बिरला हॉस्पिटल®, दिल्ली
