लेबर या बर्थिंग रूम के लिए
  • आपके साथी के लिए थोड़ा खान-पान
  • आरामदायक चप्पलें, ताकि टहलते समय दिक्कत न हो।
  • टूथब्रश, टूथपेस्ट, माउथ वाश वगैरह
  • आपकी पसंद का तकिया
  • आपके मनपसंद तेल, लोशन, ये मालिश के काम आएंगे।
  • आपकी मनपसंद ऑडियो-वीडियो सीडी के साथ एम.पी. थ्री प्लेयर व टेपरिकॉर्डर आदि।
  • एक पैन व पैड ताकि आप डॉक्टर के निर्देश, देखभाल करने वाले स्टाफ के नाम वगैरह नोट कर सकें।
  • संकुचन का ध्यान रखने के लिए एक हाथ घड़ी! वैसे कोशिश करें कि आपका साथी इन दिनों घड़ी बाँधें।
  • अगर अस्पताल वाले इजाजत दें तो कैमरा व वीडियो कैमरा, फालतू बैटरी ले जाना न भूलें।
  • पीठ दर्द से राहत के लिए मसाजर या टेनिस बॉल, बॉल काउंटर प्रेशर के काम आएगी।
  • बिना चीनी की लॉलीपॉप या कैंडी
  • भारी जुराबें
  • लंबे बाल समेटने के लिए क्लिप व हैंडब्रश
  • सैल फोन व चार्जर
 
प्रसव के बाद के लिए
  • अब वो समय नहीं रहा जब महिलाएँ दूसरों के बच्चे खिलाती थीं या परिवार में किसी के नवजात को घंटों संभालती थीं।आजकल तो कई गर्भवती माँओं ने इससे पहले किसी नवजात शिशु को गोद में भी नहीं लिया होता। वे शिशु के आने के बाद ही अपनी ट्रेनिंग लेती हैं। आप पेरेंटिंग की किताबों,वेबसाइट या बेबी-केयर क्लास से काफी कुछ सीख सकती हैं। पहले एक-दो सप्ताह में थोड़ी परेशानी होगी लेकिन धीरे-धीरे शिशु की जरूरतें ही आपको बहुत कुछ सिखा देंगी।
  • घर जाते समय शिशु को पहनाए जानेवाले कपड़े। टी.शर्ट, बूट, कंबल, डायपर वगैरह।
  • घर व परिवार वालों के फोन नंबर
  • कुछ किताबें (बच्चों के नाम वाली भी)
  • रात को पहनने के लिए गाउन या खुले कपड़े। स्तनपान कराना हो तो छाती से बटनों वाली कमीज व नर्सिंग ब्रा
  • थोड़े स्नैक्स ताकि अस्पताल में भूख लगने पर उनके खाने के वक्त का इंतजार न करना पड़े।
  • घर जाते समय पहनने के लिए कपड़े, तब तक भी आपका शरीर पाँच महीने की गर्भवती जैसा होगा।
  • छोटी कार सीट। अस्पताल वाले शिशु को कार सीट के बिना जाने नहीं देंगे।

 

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