Physiotherapy Benefits: फिजियोथेरेपी यूं तो आधुनिक चिकित्सा पद्धति मानी जाती है। मेडिकल साइंस की पूरक चिकित्सा के तौर पर फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। फिजियोथेरेपी एक तरह का चिकित्सक उपचार है, जो कई तरह की रिकवरी के साथ शरीर की जकड़न और दर्द को कम किया जा सकता है। इसमें किसी दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता और न ही किसी तरह के साइड इफेक्ट होते हैं। प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट शरीर की मांसपेशियों को सही अनुपात में सक्रिय करने के लिए विभिन्न तरह के व्यायाम या एक्सरसाइज का नियत अनुपात में प्रयोग करते हैं।
वास्तव में यह सदियों से हमारे देश में प्रचलित मालिश व कसरत के नुस्खे का ही यह मिलाजुला रूप है। आजकल, फिजियोथेरेपी विभिन्न रूपों में प्रैक्टिस की जाती है, जिसमें बाधा विशेषज्ञ, स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपी, न्यूरोलॉजिकल फिजियोथेरेपी, और अन्य रोगों में विशेषज्ञ फिजियोथेरेपिस्ट काम करते हैं। फिजियोथेरेपी की जरूरत कई स्थितियों में होती है, जब शारीरिक समस्याएं, चोटें, लकवा, पार्किनसन्स, मल्टीपल स्क्लेरोसिस या बिमारियां व्यक्ति की रोजमर्रा की जीवनशैली और स्वास्थ्य पर असर डालती हैं। इसके मुख्य उद्देश्य विकलांगता को कम करना, गतिहीनतां को दूर करना, शारीरिक क्षमता को बढ़ाना, और स्वास्थ्य को सुधारना होता है।
प्रत्येक वर्ष 8 सितंबर, 1996 को वर्ल्ड फिजियो थेरेपी डे के रूप में पूरी दुनिया में मनाया जाता है। वर्ल्ड फिजियोथेरेपी फेडरेशन द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। इस दिन का मुख्य उद्देश्य फिजियोथेरेपी को लेकर जनता में जागरूकता फैलाना है और इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रमोट करना है। फिजियोथेरेपिस्ट्स और चिकित्सक समुदाय फिजियोथेरेपी के लाभों को साझा करते हैं और इसके महत्व को जनता के बीच प्रसारित करते हैं।
फिजियोथेरेपी का मुख्य उद्देश्य दुर्घटना या शारीरिक बीमारियों के कारण कम हुई स्ट्रैंथ को बढ़ाना और उन्हें उनके शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करना है। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए या कई तरह की शारीरिक समस्याएं दूर करने के लिए डॉक्टर अक्सर फिजियोथेरेपी करवाने की सलाह देते हैं। फीजियो डॉट को डॉट यूके के अनुसार अगर आप ये सोचते हैं कि फिजियोथेरेपी सिर्फ खिलाड़ियों के लिए ही होती है, तो यह गलत हैं। दरअसल, फिजियोथेरेपी का फायदा कोई भी उठा सकता है, जोड़ों और हड्डियों के साथ दिल और दिमाग को हेल्दी रखने में फिजियोथेरेपी काफी मददगार है।
फिजियोथेरेपी के फायदे

- दर्द कम करना- मसल्स की अकड़न कम कर उन्हें लचीला बनाने के लिए फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। जोड़ों का दर्द कम होता हैए और उनमें फिर से जान आ जाती है।
- चोटों का इलाज- चोटें, फ्रैक्चर, और शारीरिक आपत्तियों के बाद रिहैबिलिटेशन में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- बढ़ती क्षमता- फिजियोथेरेपी से शरीर को एनर्जी मिलती है। शरीर सक्रिय हाता है, व्यक्ति की शारीरिक क्षमता और सामर्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है, जिससे वे अपने दैनिक गतिविधियों को बेहतर तरीके से संभाल सकें।
- मानसिक स्वास्थ्य- फिजियोथेरेपी से शारीरिक-मानसिक तौर पर व्यक्ति को रिलेक्स होने में मदद मिलती है।
- बीमारियों का प्रबंधन- फिजियोथेरेपी का उपयोग विभिन्न बीमारियों जैसे कि डायबिटीज, दिल की बीमारियों, और अर्थराइटिस के प्रबंधन में भी किया जा सकता है।
इन बीमारियों में सहायक

फिजियोथेरेपी कई प्रकार की शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं और चिकित्सा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग की जाती है। इन स्थितियों में फिजियोथेरेपी का अधिकारिक उपयोग किया जा सकता है।
- बैक पेन (कमर दर्द)- फिजियोथेरेपी कमर दर्द के प्रबंधन और उपचार में मदद कर सकती है, जैसे कि स्पाइनल मैनिपुलेशन, व्यायाम और सॉफ्ट टिश्यू मैनिपुलेशन। सर्वाइकल स्पॉनडिलाइटिस में फिजियोथेरेपी काफी फायदेमंद है।
- अर्थराइटिस- जोड़ों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए फिजियोथेरेपी का उपयोग किया जा सकता है। इससेे अर्थराइटिस के कारण जोड़ों में होने वाली सूजन, दर्द और जकडऩ में आराम मिलता है।
- स्पोर्ट्स इंजरी- खिलाड़ियों को खेल के दौरान लगने वाली चोटों का इलाज और रिहैबिलिटेशन के लिए फिजियोथेरेपी मददगार है।
- सिरदर्द और माइग्रेन- फिजियोथेरेपी से सिरदर्द और माइग्रेन में भी आराम मिलता है। इसमें सिर के विशेष हिस्से को दबाने, मसाज करने से आराम मिलता है।
- विकलांगता रिहैबिलिटेशन- फिजियोथेरेपी की विभिन्न तरह के मूवमेंट और एक्सरसाइज के माध्यम से विकलांग व्यक्तियों की शारीरिक क्षमता को बढ़ावा मिलता है।
- न्यूरोलॉजिकल चिकित्सा- न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे कि स्ट्रोक, पार्किंसंस रोग, और न्यूरोमस्कुलर समस्याओं के प्रबंधन में भी फिजियोथेरेपी की विभिन्न तकनीको का इस्तेमाल किया जाता है।
कैसे की जाती है फिजियोथेरेपी
फिजियोथेरेपिस्ट मरीज की स्थिति के हिसाब फिजियोथेरेपी की विभिन्न विधियों और खास मूवमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं। इसके तहत विभिन्न व्यायाम, मैनुअल थेरेपी, सॉफ्ट टिश्यू मैनिपुलेशियो, स्ट्रैंथनिंग एक्सरसाइज, रैटिफिकेशन थेरेपी, हीट थेरेपी, और अन्य फिजीकल चिकित्सा उपायों का उपयोग किया जाता है। फिजियोथेरेपिस्ट विशेषज्ञ मरीज की स्थिति के हिसाब फिजियोथेरेपी की विभिन्न विधियों के माध्यम से उपचार करते हैं।
कई तरह की होती है फिजियोथेरेपी

फिजियोथेरेपी कई प्रकार की होती है, और इसका चयन मरीज की शारीरिक समस्या और चिकित्सा की आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता है।
- मैनुअल थेरेपी- शरीर की जकड़न को दूर करने के लिए और मांसपेशियों को फिर से एक्टिव करने के लिए एक्टिव मूवमेंट फिजियोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। इसमें मसाज, मैनुअल मानिपुलेशन, और जॉइंट मॉबिलाइजेशन जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
- व्यायाम थेरेपी- मरीज की स्थिति के हिसाब से कई तरह की व्यायामों कराए जाते हैं, जो उसकी शारीरिक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं।
- हीट थेरेपी- फिजियोथेरेेपी की हीट-कम्प्रेसर या हीट पैड का प्रयोग कर जोडों, शरीर में लगी चोटों या बदन दर्द को कम करने में प्रयास किया जाता है।
- न्यूरोलॉजिकल फिजियोथेरेपी- इसे न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के रोगियों के लिए भी फिजियोथेरेपी को डिज़ाइन किया जाता है। आल्ज़ाइमर, पार्किंसंस, ब्रेन स्ट्रोक जैसी मानसिक बीमारियों में शारीरिक-मानसिक नियंत्रण को बढ़ावा देने में फिजियोथेरेपी मदद करती है।
- इलेक्ट्रोथेरेपी- टीइएनएस, लो लेवल लेजर तकनीक जैसी विधियों से सूजन और दर्द से राहत मिलती है। ट्रांसक्यूटेनियम इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (ट्रीइएनएस-ट्रैस) आर्थराइटिस के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है।
कितने समय तक दी जाती है
फिजियोथेरेपी की अवधि मरीज की चिकित्सा की जरूरतों और स्थिति के आधार पर अलग-अलग होती है। कुछ मामलों में, मरीज को फिजियोथेरेपी केवल कुछ हफ्तों तक दी जाती है, तो लकवा जैसी बीमारियों में लंबे समय तक चल सकती है।
किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी

फिजियोथेरेपी के दौरान, मरीज को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- सच्चाई बताएं- उपचार कराने आए मरीज को चिकित्सक या फिजियोथेरेपिस्ट से अपनी केस हिस्ट्री, अन्य बीमारियों के बारे में कुछ छिपाना नहीं चाहिए। क्योंकि फिजियोथेरेपिस्ट उसी के हिसाब से फिजियोथेरेपी तकनीक तय करते हैं।
- लक्षण और दर्द का विवरण- मरीज को अपने लक्षणों और दर्द-निवारण के लिए इस्तेमाल करने वाले उपायों या मेडिसिन के बारे में पूरा विवरण देना चाहिए, ताकि चिकित्सक उसका समुचित उपचार कर सके।
- सुरक्षा का ध्यान रखें- मरीज पेशेंट को व्यायाम और ताड़न के दौरान सुरक्षित रहने के लिए उनके फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह का पालन करना चाहिए।
- प्रैक्टिस और होम एक्सरसाइज़- पेशेंट को फिजियोथेरेपी सत्र के बाद घर पर दिए गए व्यायामों का नियमित रूप से प्रैक्टिस करने की सलाह दी जा सकती है।
- रेगुलर करें- कई मरीज कुछ कारणों से फिजियोथेरेपी का कोर्स बीच में ही छोड़ देते हैं। जबकि पूरी तरह ठीक होने के लिए और अच्छे परिणाम पाने के लिए उन्हें अपने फिजियोथेरेपी के परामर्श पर रेगुलर एक्सरसाइज करना जरूरी है।
(डॉ प्रभात रंजन, सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट, एम्स, दिल्ली)