सर्दियों में होने वाले पेट के इंफेक्शन से बचने के लिए जरूरी है समुचित देखभाल: Norovirus Infection Precaution
Norovirus Infection Precaution

Norovirus Infection Precaution: नोरोवायरस ऐसा ही एक छोटा-सा वायरस है जो सर्दियों में होने वाले पेट के इंफेक्शन गैस्ट्रोएन्टेराइटिस के लिए जिम्मेदार है। आम भाषा में जिसे आंत्रशोथ या पेट फ्लू इंफेक्शन भी कहा जाता है। वैसे तो यह वायरस पूरे साल सक्रिय रहता है लेकिन हीट सेंसेटिव होने के कारण गर्मियों में ज्यादा नहीं पनपता। जबकि सर्दियों में नोरोवायरस अपने चरम पर होता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से संक्रमण फैलाता है। सबसे बड़ी बात है कि कैल्सीविरीडे परिवार के यह वायरस रबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) और प्रोटीन की कोटिंग से घिरा होता है जिसकी वजह से इस पर जीवाणुनाशक एयरोसोल स्प्रे का असर नहीं होता। जिससे यह वायरस वातावरण में मौजूद रहता है और संपर्क में आने वाले दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर लेता है।

सर्दी के कम तापमान में प्रभावी होने के कारण यह वायरस भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में भी मिलता है। वहां तो इसे ‘विंटर वोमिटिंग बग‘ का दर्जा दिया गया है। आंकड़ों के हिसाब से दुनिया भर में हर साल 10 लाख लोग नोरोवायरस का शिकार हो जाते हैं जिनमें से करीब 800 लोगों की अपरिहार्य कारणों से मौत का शिकार भी हो जाते हैं।

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क्या है कारण

Norovirus Infection Precaution
Norovirus Infection

नोरोवायरस संक्रमण दो तरीके से फैलता है-

  • एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। उल्टी या दस्त आने पर नोरोवायरस के कण बीमार व्यक्ति के वातावरण फैल जाते हैं जो मुंह या नाक से सांस के जरिये स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पंहुचते हैं। बीमार पीड़ित व्यक्ति की तीमारदारी या साफ-सफाई करने वाला व्यक्ति इस वायरस का शिकार हो सकता है। या फिर साफ-सफाई करने के बाद पर्सनल हाइजीन का ध्यान न रखना यानी अच्छी तरह हाथ-मुंह धोए बगैर खाना खाने या पानी पीने से, संक्रमित व्यक्ति द्वारा भोजन बनाने से, उसका बचा खाना खाने या पर्सनल चीजें इस्तेमाल करने से दूसरा व्यक्ति भी इसका शिकार हो सकता है।
  • व्यक्ति खुद भी नोरोवायरस कणों से संक्रमित हो सकता है। दूषित भोजन या पानी पीने से, संक्रमित सतह या चीजें छूने से, अगर किसी व्यक्ति को उल्टियां, दस्त हो रहे हैं जिसमें मौजूद नोरोवायरस एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंचने के 12-48 घंटे के इन्क्यूबेशन पीरियड या ऊष्मायन अवधि के बाद अपना असर दिखाना शुरू करते हैं।

क्या है लक्षण

संक्रमित व्यक्ति को इन हालात से गुजरना पड़ता है-

  • अचानक बीमार महसूस करने लगना
  • लगातार उल्टियां आना
  • पानी जैसे पतले दस्त आना
  • बैचेनी, घबराहट होना
  • पेट में आंतों में सूजन, ऐंठन, जलन, दर्द महसूस होना
  • मामूली बुखार
  • सिरदर्द, बदन दर्द होना
  • डिहाइड्रेशन होना
  • कमजोरी महसूस होना

कब जाएं डॉक्टर के पास

अगर पूरा ध्यान रखा जाए और कुछ एहतियात बरती जाएं तो रोगी 2-3 दिन में घर में ही ठीक हो जाता है। घर पर ही ‘वेट और वॉच‘ पॉलिसी अपनानी चाहिए। यानी कि अगर रोगी को दिन भर में 4-5 बार दस्त जाना पड़े या 5-6 बार उल्टियां आएं तो वह कमजोरी तो जरूर महसूस करेगा। लेकिन अगर वह आधे-एक घंटे में यूरिन ठीक पास कर रहा है और एक्टिव है-तो घबराने की जरूरत नहीं है। उसका उपचार घर पर ही आसानी से किया जा सकता है। लेकिन अगर पीड़ित व्यक्ति केा डिहाइड्रेशन, कमजोरी, बुखार हो रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। इससे उसकी किडनी को भी खतरा हो सकता है।

किन लोगों को है खतरा

Norovirus Infection
Norovirus Infection Risk

ब्लड प्रेशर, किडनी, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर नोरोवायरस संक्रमण का ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं, नवजात शिशु या उम्र के पड़ाव पर पहुंचे बुजुर्गों के लिए नोरोवायरस खतरनाक साबित होता है। उनका इम्यून सिस्टम पहले ही कमजोर होेता है, लगातार उल्टियां और दस्त आने से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में मौजूद पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम और पोटेशियम जैसे मिनरल्स) मल के साथ अत्यधिक मात्रा में निकल जाते हैं। इससे उसके शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन गड़बड़ा जाता है और डिहाइड्रेशन हो जाता है।

क्या है उपचार

नोरोवायरस संक्रमण के उपचार के लिए कोई एंटीबॉयोटिक मेडिसिन नहीं दी जाती, समुचित देखभाल और सपोर्टिव ट्रीटमेंट से संक्रमित व्यक्ति 3-4 दिन में ठीक हो जाता है। उसकी स्थिति को देखते हुए एंड्रोकॉनाल, ल्यूकामेड या बुखार के लिए पेरासिटामोल या क्रोसीन जैसी मेडिसिन दी जा सकती है।

गंभीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों केी स्थिति गंभीर होने पर उनका पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) ब्लड टेस्ट कराया जाता है जिससे स्थिति के हिसाब से इलाज किया जाता है। ओरल फ्ल्यूड न ले पाने की वजह से डिहाइड्रेशन की स्थिति में जरूरत पड़ने पर उन्हें ड्रिप भी लगाई जाती है।

जरूरी है समुचित देखभाल

नोरोवायरस संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है पीड़ित व्यक्ति को हाइड्रेट रखने की। इसके लिए उसे ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रोलाइट्स और शर्करा युक्त पेय पदार्थो का सेवन करना चाहिए। लिक्विड या सेमी लिक्विड डाइट लेना जल्दी ठीक होने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर में पौष्टिक तत्वों की आपूर्ति हो जाती है और उसमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। लिक्विड डाइट भी उसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में नियत अंतराल पर दी जानी चाहिए ताकि वो उसे आसानी से डायजेस्ट कर सके और जल्दी आराम पहुंचे। ऐसे ही कुछ डाइट्स इस प्रकार हैं-

  • पानी उबाल कर पिएं। संभव हो तो क्लोरीनेशन ब्लीच करें यानी पानी में क्लोरीन टेबलेट डाल कर साफ करें।
  • चावल का पानी काफी फायदेमंद है। यह हल्का होने के साथ-साथ कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है।
  • एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर नींबू दस्त में आराम पहुंचाता है। नमक और चीनी मिलाकर तैयार किया नींबू पानी डिहाइड्रेशन के खतरे को कम करने में सहायक है।
  • मिनरल्स से भरपूर नारियल पानी पीड़ित को ठंडक प्रदान करता है और डिहाइड्रेशन में राहत पहुंचाता है।
  • बाजार में मिलने वाला रेडिमेड ओआरएस का घोल दे सकते हैं। अगर यह उपलब्ध न हो तो आप घर में ही पानी में नमक-चीनी का घोल बना कर दे सकते हैं। यह शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रख कर पानी की कमी को पूरा करता है।
  • दिन में एकाध बार संतरे और अनार का जूस भी दिया जा सकता है।
  • कम दूध और कम चीनी की हर्बल चाय पीना डायरिया के रोगी के लिए फायदेमंद है।
  • दूषित या अधपका खाना खाने से बचें।
  • नोरोवायरस संक्रमित होने पर भी नवजात शिशु या स्तनपान करने वाले शिशु को स्तनपान कराते रहें।

बरतें सावधानी

नोरोवायरस संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है- सतर्क रहने और अपने चारों ओर के दूषित वातावरण के प्रभाव से खुद को अलग रखने की। विशेषकर पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखकर इससे आासानी से बचा जा सकता है-

  • संक्रमित व्यक्ति या पर्यावरण के संपर्क में आने के बाद सबसे जरूरी है किे अपना चेहरा छूने, खाना बनाने या खाने से पहले एंटीसेप्टिक साबुन से हाथ अच्छी तरह धोएं। एल्कोहल-युक्त सेनिटाइजर के प्रयोग से बचें।
  • पर्सनल हाइजीन और आसपास की सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • किसी के साथ रुमाल, टॉवल, कपड़े जैसी अपनी पर्सनल चीजें शेयर मत करें। कोशिश करें कि डिस्पोजेबल नैपकिन या टॉवल का ही उपयोग करें।
  • कोशिश करें कि नोरोवायरस पीड़ित व्यक्ति के कपड़े अलग धोएं और इन्हें डेटॉल के पानी में जरूर खंगालें।
  • घर में अगर नोरोवायरस पीड़ित व्यक्ति है, तो मुंह पर मास्क का प्रयोग करें।
  • भीड़भाड़ वाले इलाकों, अस्पताल, बाजार जैसी जगहों पर जाने से बचें। संभव हो तो बाहर जाते हुए मास्क जरूर पहनें।
  • ज्यादा से ज्यादा आराम करें।

( डॉ जे रावत, फिजिशियन, सहगल निओ अस्पताल, दिल्ली)