Yoga for Air Pollution: योग मनुष्य के लिए अति आवश्यक है क्योंकि यह हमारे शरीर में प्राण ऊर्जा का संचार करता है।
वर्तमान समय में प्रदूषण का प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहा है। यह शारीरिक तथा मानसिक
स्वास्थ्य दोनों के लिए चुनौती उत्पन्न कर रहा है। वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और मानसिक तनाव के कारण अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। योग न केवल शरीर को शक्ति प्रदान करता है, बल्कि यह श्वास प्रणाली को मजबूत करता है साथ ही रक्त संचार को बेहतर बनाता है, और मानसिक शांति प्रदान करता है। लेख में 3
मुख्य आसन दिए गए हैं जिनके नियमित अभ्यास से सांस की आवाजाही को नियंत्रित किया जा सकता है।
1.तालासन
यह आसन शरीर को लंबा और मजबूत बनाता है, साथ ही श्वास और हृदय गति को नियंत्रित करता है। यह प्रदूषण से प्रभावित श्वसन प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करता है।
1. सीधा खड़ा होकर दोनों हाथों को शरीर के दोनों ओर रखें। पैरों को समानांतर रखें और दोनों पैरों के बीच एक फुट की दूरी बनाए रखें।
2. गर्दन को सीधा रखें, कंधे सीधी स्थिति में,पेट सामान्य रूप में और ठुड्डी अंदर खींची हुई रखें। आंखें सामने एक बिंदु पर केन्द्रित करें।
3. श्वास लेते हुए दोनों हाथों को आगे की ओर उठाएं और पूरी तरह से ऊपर की ओर खींचते हुए हाथों को एक लंबवत स्थिति में लाएं, बिना हथेली की दिशा बदले।
4. एक साथ दोनों एड़ी को उठाकर शरीर को पूरी तरह से खींचने की कोशिश करें।
5. पहले दो कदमों को श्वास लेते हुए समन्वित करें।
6. अब पैरों की उंगलियों पर संतुलन बनाकर,हाथों और शरीर के पूरे खींचाव के साथ,आंखों को सीधे सामने रखते हुए इस स्थिति में श्वास को रोके रखें, श्वास लेने के समय से दुगने समय इस आसन को बनाए रखें।
7. हथेली को बाहर की ओर घुमाएं और फिर श्वास छोड़ते हुए (श्वास लेने के समान समय) हाथों को सीधा रखते हुए नीचे लाकर वापस शुरुआती स्थिति में आ जाएं।
8. एक साथ दोनों एड़ी को नीचे लाकर प्रारंभिक स्थिति में लौटें।

9. श्वास रोके रखते हुए, दाएं हाथ को छोड़कर बाएं हाथ से यही प्रक्रिया दोहराएं,जिससे एक पूरा चक्र पूरा होगा।
2.उष्ट्रासन
यह आसन शरीर को लचीलापन देता है और श्वास को नियंत्रित करने में मदद करता है। प्रदूषण से होने वाली श्वसन संबंधित समस्याओं को दूर करने में भी सहायक है।
1.एक योग मैट पर घुटनों के बल बैठें, पैरों के अंगूठे अंदर की ओर मुड़े हों।
2. धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें और दोनों हाथों को पीछे की ओर लेकर जाएं।
3. दोनों हथेलियों को फर्श पर इस तरह रखें कि उंगलियां बाहर की ओर और अंगूठा पैरों
की ओर हो।
4. हाथों को सीधा रखें, आंखें खुली रखें और एक बिंदु पर ध्यान लगाएं।
5.श्वास लेते हुए, धीरे-धीरे कमर को ऊपर उठाएं और शरीर के ऊपरी हिस्से को बाहर
और ऊपर की ओर खींचे।
6. गर्दन को धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकने दें। पहले दो कदमों को श्वास लेते हुए समन्वित करें।
7. इस स्थिति को श्वास रोके रखते हुए श्वास लेने के समय से दुगने समय बनाए रखें।
8.श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे ऊपरी धड़ को पीछे की ओर खींचें और फिर गर्दन को सीधा करें। हथेलियों को छोड़ते हुए घुटनों के बल वापस बैठ जाएं।
3.भुजंगासन
यह आसन श्वास नलिकाओं को खोलने, श्वसन प्रणाली को मजबूत करने और प्रदूषण से होने वाली सांस की तकलीफों को कम करने में मदद करता है। यह पीठ और गर्दन के लिए भी फायदेमंद है।
1. पेट के बल आसन में लेटें, पैरों को सीधा रखें, एड़ियां एक-दूसरे से जुड़ी हुई और अंगूठे बाहर की ओर मुड़े हों।
2. कोहनी को मोड़कर शरीर के पास रखते हुए हथेलियों को फर्श पर रखें, जो छाती के पास हों।
3. माथे को फर्श पर रखें।
4. धीरे-धीरे सिर और गर्दन को कुछ इंच ऊपर उठाएं, फिर श्वास लेते हुए धीरे-धीरे कंधे, सीने
और पेट के ऊपरी हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं, धीरे-धीरे और रुक-रुक कर।
5. पीठ के गहरे मांसपेशियों का उपयोग करते हुए, रीढ़ की हड्डी को धीरे-धीरे पीछे की ओर मोड़ें और प्रत्येक कशेरुक (vertebra ) को एक-एक करके ऊपर उठाएं, ताकि रीढ़ की हड्डी पर दबाव धीरे-धीरे नीचे तक जाए।
6.इस स्थिति को श्वास रोके रखते हुए बनाए रखें।
7. श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे और सावधानी से शरीर को वापस नीचे लाएं।
8. रीढ़ की हड्डी पर दबाव को धीरे-धीरे कम करते हुए, पहले कोकसीज (tailbone) और
फिर पीठ के ऊपरी हिस्से को नीचे लाएं।
प्राण शक्ति बढ़ाता है योग
योग के प्रतिदिन अभ्यास से आप सर्दी जुकाम और सांस की दिक्कत को कम कर सकते हैं।
