Yoga for Body Warm: प्रतिदिन योग का अभ्यास करने से सर्दियों में ठंड कम लगती है, साथ मांसपेशियों की अकड़न भी कम होती है।
सर्दियों का मौसम हमारे शरीर पर कई तरह के प्रभाव डालता है। ठंडी हवाएं, कम तापमान और धीमी धूप न केवल हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालते हैं, बल्कि इम्युनिटी को भी कमजोर कर सकते हैं। ऐसे में,
सर्दियों में योग अभ्यास न केवल शरीर को गर्माहट प्रदान करता है, बल्कि हमारी इम्युनिटी को भी मजबूत बनाता है। सूर्यनमस्कार का नियमित अभ्यास सर्दियों में शरीर को गर्माहट, ऊर्जा और ताजगी प्रदान
करता है।
सूर्यनमस्कार, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, सूर्य को प्रणाम करने का एक पारंपरिक योग अभ्यास है। इसमें कुल 12 आसन होते हैं, जो एक के बाद एक किये जाते हैं। इन आसनों को करने से शरीर में लचीलापन आता है, मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और रक्तसंचार बेहतर होता है।
कैसे करें-
(क)- प्रारंभिक स्थिति
1.सीधे खड़े हो जाएं, हाथों को शरीर के दोनों किनारों पर रखें और पैरों को एक-दूसरे के पास लाकर रखें।
2.गर्दन को सीधा रखें, पेट सामान्य रूप में हो (नीचे की ओर थोड़ा ढीला, लेकिन अनिवार्य रूप से अंदर खींचा न हो) और ठुड्डी को अंदर खींचें।
3.अपनी आंखों को सामने के किसी एक बिंदु पर केंद्रित करें। मन को शांत रखें और शरीर को आरामदायक स्थिति में रखें।

(बी)- आसन का क्रम
1. दोनों हाथों को नमस्कार मुद्रा में जोड़कर छाती के सामने रखें। कंधों और कोहनियों को आराम से छोड़ें और श्वास का निरीक्षण करें (स्थित प्रार्थनासना)।
2.श्वास छोड़ते हुए, नमस्कार मुद्रा को छोड़ें और हाथों को शरीर के साइड में नीचे लाकर रखें। पैरों को मजबूती से जमीन पर रखें और श्वास लेते हुए हाथों को सीधा ऊपर की ओर उठाएं, साथ ही शरीर को हल्का सा पीछे की
ओर झुका दें (हस्त उत्तानासन)।
3.तुरंत श्वास छोड़ते हुए, कमर से झुककर सिर को हाथों के बीच लाते हुए पैरों के पंजों के पास लाकर हाथों को जमीन पर रखें और माथे को घुटनों के पास लाएं (हस्तपादासन)।
4.श्वास लेते हुए, बाएं घुटने को मोड़कर उसे दोनों हाथों के बीच लाएं (हाथों को जमीन पर रखें) और दाहिने पैर को जितना हो सके पीछे की ओर ले जाएं, दाहिना घुटना जमीन से ऊपर रखें। सिर को ऊपर उठाएं और रीढ़
को हल्का सा मोड़ते हुए पीछे की ओर झुका दें (अश्व संचालनासन)।
5.अब श्वास छोड़ते हुए, बाएं पैर को दाहिने पैर के साथ पीछे लाकर दोनों पैरों के बीच लगभग 1 फुट की दूरी बनाए रखें। हाथों को सीधा रखें और साथ ही कूल्हों को ऊपर की ओर उठाकर सिर को (नीचे की ओर) हाथों
के बीच लाकर रखें। घुटनों और कोहनियों को सीधा रखें और एड़ियों को जमीन पर रखें (अधोमुख श्वानासन)।
6.अब श्वास लेते हुए, शरीर को जमीन की ओर लाएं और श्वास छोड़ते हुए पैर की अंगुलियां, घुटने, छाती, हाथों और ठुड्डी को जमीन पर रखें, कूल्हे को हल्का सा ऊपर रखें। इस स्थिति को श्वास को रोके रखते हुए
बनाए रखें (अष्टांग नमस्कार)।
7.श्वास लेते हुए, कूल्हों को नीचे लाएं और सिर को उठाएं, हाथों को जमीन पर रखें (कंधों को नीचे खींचते हुए और कोहनियों को मुलायम रखते हुए) रीढ़ को आर्च करें (भुजंगासन)।
8.श्वास छोड़ते हुए, धड़ को नीचे लाएं और फिर कूल्हों को ऊपर की ओर उठाकर सिर को (नीचे की ओर) हाथों के बीच लाकर रखें। घुटनों और कोहनियों को सीधा रखें और एड़ियों को जमीन पर रखें (अधोमुख श्वानासन) जैसा कि चरण 5 में है।
9.श्वास लेते हुए, दाहिने घुटने को मोड़कर उसे दोनों हाथों के बीच लाएं (हाथों को जमीन पर रखें) और बाएं पैर को जितना हो सके पीछे की ओर ले जाएं। सिर को ऊपर उठाएं और रीढ़ को हल्का सा मोड़ते हुए पीछे
की ओर झुका दें (अश्व संचालनासन)।
10.श्वास छोड़ते हुए, बाएं पैर को दाहिने पैर के पास लाकर दोनों हाथों को पैरों के पास जमीन पर रखें (हाथों को जमीन पर फ्लैट रखें) और दोनों घुटनों को सीधा करते हुए माथे को घुटनों के पास लाएं (हस्तपादासन)।
11.श्वास लेते हुए, दोनों हाथों और सिर को ऊपर उठाएं, रीढ़ को सीधा करें और फिर हल्का-सा पीछे की ओर झुका दें (हस्त उत्तानासन- जैसा कि चरण 2 में है)।
12.श्वास छोड़ते हुए, शरीर को सीधा करें और दोनों हाथों को नीचे लाकर फिर से नमस्कार मुद्रा में जोड़ें, हाथों को छाती के सामने रखें (स्थित प्रार्थनासना- जैसा कि चरण 1 में है)। पैरों को एक साथ रखें।
13.अब इसी क्रम को फिर से दोहराएं, बाएं पैर को अश्व संचालनासन में दाहिने पैर की जगह लेकर पीछे की ओर ले जाएं, और बाएं पैर को हाथों के बीच लाकर फिर से चरण 9 जैसा कदम दोहराएं। यह एक
चक्र पूरा होता है।
सूर्यनमस्कार रखे निरोग
सुबह के समय खाली पेट सूर्यनमस्कार के 12 आसन करने से शरीर की अधिकतर परेशानियों से आप निजात पा सकते हैं।
