Disadvantages of Low Calorie Diet: आज के समय में अधिकतर लोग हेल्थ कॉन्शियस हो गए हैं और इसलिए वे अपने वजन को मेंटेन रखना चाहते हैं। हालांकि, अपने वजन का ख्याल रखने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपनी डाइट का खास ख्याल रखें। यही कारण है कि लोग खुद को चुस्त-तंदरुस्त रखने या फिर वजन कम करने के लिए तरह-तरह की डाइट फॉलो करते हैं। इन्हीं में से एक है लो कैलोरी डाइट।
यह एक बेहद ही पॉपुलर डाइट है, जिसे वेट लॉस के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इस डाइट में आप अपने शरीर की जरूरत से कम कैलोरी का सेवन करते हैं। जिससे आपका शरीर पहले से ही जमा फैट को एनर्जी की तरह इस्तेमाल करता है और धीरे-धीरे आपका वजन कम होने लगता है। पूरी दुनिया में लोग खुद को बेहतर शेप में देखने के लिए लो कैलोरी डाइट फॉलो करते हैं। हालांकि, अगर आप बहुत कम कैलोरी लेते हैं या फिर लो कैलोरी डाइट को गलत तरह से लेते हैं, तो इससे आपको फायदा कम और नुकसान अधिक होता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको लो कैलोरी डाइट से होने वाले कुछ नुकसान के बारे में बता रहे हैं-
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पोषक तत्वों की कमी

जब आप लो कैलोरी डाइट लेते हैं तो ऐसे में आप बहुत सी फूड आइटम्स को अपनी डाइट से बाहर कर देते हैं या फिर बेहद ही सीमित मात्रा में लेते हैं। ऐसे में आपको पर्याप्त मात्रा में आवश्यक विटामिन और मिनरल्स नहीं मिलते हैं। जिससे आपकी बॉडी सही तरह से फंक्शन नहीं करती है। साथ ही साथ, इससे आपकी ओवर ऑल हेल्थ पर नेगेटिव असर पड़ने लगता है। जब शरीर में विटामिन डी, कैल्शियम, आयरन और बी विटामिन जैसे आवश्यक विटामिन और मिनरल्स की कमी हो जाती है तो इससे आपको एनीमिया, कमजोर हड्डियां, थकान व अन्य कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
मेटाबॉलिज्म पर नेगेटिव असर
जब आप लो कैलोरी डाइट लेते हैं तो शरीर में पर्याप्त एनर्जी नहीं होती है। ऐसे में शरीर एनर्जी बचाने के लिए अपनी मेटाबॉलिक दर को कम कर सकता है। ऐसे में वजन कम करना वास्तव में काफी कठिन हो जाता है। दरअसल, बहुत कम कैलोरी लेने से शरीर “भुखमरी मोड“ में जा सकता है और इससे मेटाबॉलिज्म पर नेगेटिव असर पड़ता है।
महिलाओं पर बुरा प्रभाव

यूं तो लो कैलोरी फूड किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। इससे शॉर्ट टर्म वेट लॉस तो हो सकता है, लेकिन लंबे समय तक ऐसा करने से सेहत को नुकसान होता है। लेकिन महिलाओं को इससे बहुत अधिक विपरीत प्रभावों का सामना करना पड़ता है। कम कैलोरी वाला आहार हार्मोन उत्पादन और संतुलन को बाधित कर सकता है, जिससे थायरॉइड फ़ंक्शन, सेक्स हार्मोन और कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन प्रभावित हो सकते हैं। इससे महिलाओं में अनियमित मासिक चक्र, कामेच्छा में कमी और तनाव के स्तर में वृद्धि जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
हो सकता है मसल लॉस
आमतौर पर, लो कैलोरी डाइट फॉलो करने से वेट लॉस होता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वह फैट लॉस ही हो। अक्सर जब आप बहुत कम कैलोरी लेते हैं, तो शरीर ऊर्जा के लिए मांसपेशियों के ऊतकों को तोड़ना शुरू कर सकता है। जिससे मसल्स लॉस शुरू हो जाता है। इससे आपके शरीर की ताकत व परफार्मेंस पर नेगेटिव असर पड़ता है। इतना ही नहीं, इससे मेटाबॉलिज्म पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जब भी आप वेट लॉस करते हैं, तो आप कभी नहीं चाहेंगे कि आपका मसल लॉस हो। इस लिहाज से बहुत लो कैलोरी डाइट को फॉलो करने की सलाह नहीं दी जाती है।
होते हैं साइकोलॉजिकल इफेक्ट

जब आप लो कैलोरी डाइट लेते हैं तो यह आपको शारीरिक रूप से ही प्रभावित नहीं करता है, बल्कि इसका मानसिक प्रभाव भी देखने को मिलता है। लो कैलोरी डाइट लेते हुए अगर आपका पेट नहीं भरता है या फिर आप खान-पान को लेकर खुद को प्रतिबंधित करते हैं तो इससे चिड़चिड़ापन, अवसाद, चिंता और अन्य मूड संबंधी विकार हो सकते हैं। इतना ही नहीं, अत्यधिक प्रतिबंधात्मक आहार लेने से आपको बिंज ईटिंग, एनोरेक्सिया या बुलिमिया जैसी समस्याएं होने का खतरा भी बढ़ सकता है।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं
लो कैलोरी डाइट को डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं माना जाता है। जब आप बहुत कम भोजन करते हैं तो संभव है कि आप फाइबर का सेवन कम करें। ऐसे में आपको कब्ज और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इतना ही नहीं, लो कैलोरी डाइट लेने से तेजी से वजन कम होना शुरू हो जाता है, इससे पित्ताशय की गतिविधि में कमी के कारण पित्ताशय की पथरी विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।
लगातार थकान और कमजोरी का अहसास होना

अगर आपको पिछले कुछ समय से हमेशा ही थकान का अहसास होता है या फिर आपको ऐसा लगता है कि आपमें बिल्कुल भी एनर्जी नहीं है तो यह लो कैलोरी डाइट लेने के कारण हो सकता है। दरअसल, जब आप लगातार आवश्यकता से कम कैलोरी का सेवन करते हैं तो इससे आपके शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती है और इससे लगातार थकान और कमजोरी बनी रहती है। यह कमजोरी व थकान आपकी डेली एक्टिविटीज को इफेक्ट कर सकती है। थकान के कारण आपकी मेंटल हेल्थ पर भी नेगेटिव असर पड़ता है और आपकी सही तरह से सोचने-समझने व फैसले लेने की क्षमता प्रभावित होती है।
