टाइप-2 डायबिटीज से बचना है तो प्री-डायबिटीज के मरीज को लेनी चाहिए ऐसी डाइट: Diet for Prediabetes
Diet for Prediabetes

Diet for Prediabetes: प्री-डायबिटीज ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज के शरीर में ब्लड शुगर लेवल नाॅर्मल से थोड़ा ज्यादा होता है, लेकिन वो डायबिटीज की श्रेणी में नहीं आते। मरीज का ग्लूकोज लेवल बिना दवा के कंट्रोल किया जा सकता है और टाइप 2 डायबिटीज होने से रोका जा सकता है।  प्री-डायबिटीज होने के रिस्क फैक्टर में ये लोग आते हैं-40 से अधिक उम्र के व्यक्ति, आरामपरस्त जीवनशैली, एक्टिविटी लेवल बहुत कम है, मोटापा, आनुवांशिक, फैमिली हिस्ट्री, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, बैड कोलेस्ट्राॅल लेवल ज्यादा है। जिन लड़कियों को किशोरावस्था से ही मोटापे की समस्या है खासकर बैली फैट ज्यादा है, पीयर-शेप बाॅडी है, जिन महिलाओं को जेसटेशनल डायबिटीज यानी प्रेगनेंसी में डायबिटीज हुई थी, जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन लेवल कम हैं-उन्हें भी प्री-डायबिटीज होने की संभावना रहती है।

प्री-डायबिटीज अगर सही समय पर पकड़ में आ जाए और उससे बचाव के लिए समुचित कदम उठाए जाएं, तो इसे निश्चय ही कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन अगर कोई मरीज अपना ध्यान नहीं रखता, समुचित डाइट या एक्सरसाइज नहीं करता-तो आगे चल कर टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना रहती है। जहां तक डाइट का सवाल है, इसके लिए हालांकि कोई नियत डाइट नहीं होती, लेकिन मरीज को अपनी डाइट में कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। इसके लिए वह चाहे तो डाॅक्टर, डायटिशियन या हेल्थ केयर प्रोवाइडर से सलाह ले सकता है जो उसकी स्थिति के हिसाब से कस्टमाइज डाइट-प्लान बनाते हैं। जिसे प्री-डायबिटीज की स्थिति से उबरने और टाइप 2 डायबिटीज के शिकार होने से बचने के लिए फोलो करना जरूरी है-

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ग्लाइसेमिक इंडेक्स का रखें ध्यान

Diet for Prediabetes
Diet for Prediabetes-Glucose Index Chart

प्री-डायबिटीज के मरीजों को डाइट-प्लान करते हुए ग्लाइसेमिक इंडेक्स का ध्यान रखना सबसे जरूरी है। इंडेक्स के हिसाब भोजन को रैंक दिया जाता है कि हेल्दी और कौन-से अनहेल्दी फूड हैं। अनहेल्दी फूड कैटेगरी में प्रोसेस्ड, रिफाइंड और बिना फाइबर वाले खाद्य पदार्थ आते हैं जैसे-चीनी, सफेद चावल, मैदा, सफेद ब्रेड, जूस। हेल्दी कैटेगरी में गेंहू, आटा, ब्राउन चावल, होल व्हीट ब्राउन ब्रेड, मल्टी-ग्रेन ब्रेड जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं। इसी तरह ओट्स, गाजर, बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, शकरकंदीे, होल व्हीट पास्ता जैसी चीजें आती हैं।

कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट डाइट

प्री-डायबिटीज के मरीजों को अनहेल्दी फूड वाले खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए क्योंकि ये ब्लड में शुगर लेवल को तेजी से बढ़ा देते हैं। उन्हें प्रोसेस्ड और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट रिच फूड के बजाय कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट या हाई फाइबर डाइट (जैसे-हरी सब्जियां, साबुत अनाज, साबुत दालें) लेनी चाहिए क्योंकि ऐसी डाइट ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करने में मदद करती है। अगर उन्हें अनहेल्दी फूड खाना भी पड़ता है, तो उसमें ज्यादा से ज्यादा सब्जियां या प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करना चाहिए। ताकि उनका डायजेशन धीरे हो और ब्लड ग्लूकोज लेवल धीरे-धीरे बढ़े। जैसे- अगर वो सफेद चावल का पुालाव खाना चाहते हैं, तो उसमें सब्जियां, मूग या उडद धुली दाल, सोयाबीन की बढ़ियां ,अंडा जैसी चीजें डालें ताकि उसका डायजेशन धीरे हो।

पोर्शन-कंट्रोल

ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए प्री-डायबिटीज के मरीजों को डाइट में हेल्दी फूड के साथ-साथ आहार की थाली में पोर्शन-कंट्रोल की नीति पर भी अमल करना चाहिए। आहार विशेषज्ञ पोर्शन के लिहाज से प्लेट को 4 हिस्सों में बांटते हैं। इनमें 2 हिस्से सब्जियों का होना चाहिए जिसमें फाइबर और काॅम्प्लेक्स कार्बोहाइडेªट ज्यादा मात्रा में होता है। एक-चैथाई हिस्सा ऐसी चीजों का होना चाहिए जिनमें प्रोटीन (लीन) अच्छी मात्रा में हो लेकिन फैट कम मात्रा में हो। शाकाहारी मरीज इस हिस्से में दूध और दूध से बने पदार्थ, दालें और बीन्स ले सकते हैं। जबकि मांसाहारी मरीज चिकन, अंडा या लीन मीट ले सकते हैं। प्लेट का दूसरा एक-चैथाई हिस्सा गेंहू, राइस, ओट्स, बाजरा, जौ, ज्वार जैसेे अनाज का होना चाहिए।

40-60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट

Carbs Diet for Prediabetes
Carbs Diet for Prediabetes

प्री-डायबिटीज के मरीजों की डाइट में कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थो (अनाज, दालें, सब्जियां) की मात्रा कम रखी जाती हैै, लेकिन इसे डाइट से पूरी तरह हटाया नहीं जा सकता। क्योंकि जिन खाद्य पदार्थो से फाइबर मिलता है, उनमें कार्बोहाइड्रेट होते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक उनकी डाइट में अगर 40-60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट है तो स्थिति गंभीर होने की संभावना कम रहती है और कोलेस्ट्राॅल नियमित रहता है।

प्रोटीन और सीमित मात्रा में फैट

लेकिन अगर मरीज का ग्लूकोज लेवल ज्यादा है या वो रिस्क फैक्टर की कैटेगरी में आता हैैं, तो ऐसे मरीज को हाई प्रोटीन, सीमित मात्रा में फैट और बहुत कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट लेने की सलाह दी जाती है। शाकाहारी लोग प्रोटीन के लिए बीन्स, दालों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। प्री-डायबिटिक मरीज के लिए नाॅन वेज स्रोतो में भी लीन मीट या चिकन का सेवन करना ही श्रेष्ठ है। यानी जिनमें वसा की मात्रा कम हो या जिसकीे स्किन हटाई गई हो-खाना फायदेमंद है। पूरे दिन में 1-2 अंडे या अंडे का सफेद हिस्सा खा सकते हैं। वे सीमित मात्रा में मछली या सी-फूड भी खा सकते हैं। ये विटामिन ई और विटामिन डी के भी अच्छे स्रोत हैं। ब्लड में ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करने और गुड कोलेस्ट्राल लेवल बढ़ाने में मदद करते हैं।

ऐसे प्री-डायबिटीज के मरीज जिन्हें किडनी संबंधी कोई बीमारी है या जिनका कोलेस्ट्राॅल लेवल बहुत ज्यादा है, स्थिति के हिसाब से उन्हें कस्टमाइज डाइट पर चलना पडता है। ज्यादा से ज्यादा हाई फाइबर डाइट लेने की सलाह दी जाती है जैसे-बीन्स, दालें, साबुत अनाज, फल-सब्जियां, मिलेट्स- जौ, बाजरा, रागी, गेहूं आदि। हाई फाइबर डाइट से एक तो उनका पेट देर तक भरा रहता है, दूसरे पाचन प्रक्रिया सुचारू रूप से चलने से ब्लड शुगर लेवल धीरे-धीरे बढ़ता है।

शुगर से करें परहेज

प्री-डायबिटीज के मरीज को शुगर यानी चीनी से परहेज करना जरूरी है। सिर्फ सफेद चीनी ही नही, ब्राउन शुगर, गुड़, शहद जैसी चीजें बहुत कम मात्रा में लेनी चाहिए। कई लोग मानना है कि गुड़ खाया जा सकता है। हालांकि गुड़ सफेद चीनी के मुकाबले ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम है, लेकिन यह भी सिंपल शुगर कैटेगरी में आता है। इनके अलावा शुगर रिच ड्रिंक्स खासकर साॅफ्ट ड्रिंक्स, शेक्स भी नहीं लेने चाहिए। फ्रेश फ्रूट जूस भी कंसंट्रेटिड शुगर के स्रोत हैं, इसलिए प्री-डायबिटिक मरीज को इनसे परहेज करना चाहिए  बाॅडी को हाइड्रेट रखने के लिए उन्हें दिन में तकरीबन 2-4 लिटर पानी जरूर पीना चाहिए। हाइड्रेट रहने के लिए एनर्जी ड्रिंक्स या नारियल पानी ज्यादा नही लेना चाहिए। सोडा-बेस ड्रिंक्स, एल्कोहल भी सीमित मात्रा में पीना ही बेहतर है।

वजन कंट्रोल

प्री-डायबिटीज से बचने के लिए वजन कंट्रोल करना जरूरी है। मोटापे के शिकार मरीज कोे हैल्दी लाइफ स्टाइल अपनानी चाहिए। इसके लिए नियमित रूप से दिन में 30-45 मिनट की एक्सरसाइज करके और लो-कैलोरी डाइट लेकर वजन कम करने की कोशिश करनी चाहिए। डाइट में फल-सब्जियां ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना होगा। ध्यान रखना होगा कि हाई ग्लासेमिक इंडेक्स वाले फल न हों। लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स और बीन्स रोजाना डाइट में शामिल करने चाहिए। रिफाइंड खाद्य पदार्थो के बजाय साबुत अनाज अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा शामिल करने चाहिए। रेड मीट या प्रोसेस्ड मीट के बजाय मछली, अंडे और लीन मीट खाना चाहिए। मिठाइयां, कोल्ड ड्रिक्स, साॅफ्ट ड्रिंक्स, बिस्कुट, वाइट ब्रेड से परहेज करें।

(डॉ रचना कटारिया, वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ, दिल्ली)