Benefits of Morning Walk: विज्ञान व तकनीक के इस युग में जीवन भी मशीनी हो गया है। काम की आपाधापी में हम कुदरत से अपना नाता खत्म करते जा रहे हैं। ‘फास्ट लाइफÓ के चलते कोई रोग होने पर टैबलेट लेते हुए हम यह नहीं सोचते कि इस रोग के पीछे क्या कारण है? यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन भी जल्द आ पहुंचेगा जब हम नाश्ते में भी टैबलेट का सेवन करेंगे।
लेकिन कुदरत की बख्शी नेयामत ही ज्यादातर रोगों को भगाने के लिए काफी है और वह नेयामत है ताजा हवा। यानी सुबह-सवेरे घूमने-टहलने से ही ज्यादातर रोग और तनाव शरीर का साथ छोड़ जाते हैं। टहलना एक ऐसा आसान व्यायाम है, जिससे मन कभी नहीं भरता। घूमने से मांसपेशियां मजबूत बनती हैं तथा खून का दौरा सुचारू रूप से चलने लगता है, जिससे हृदय व फेफड़े के लगभग सभी रोगों से निजात पाई जा सकती है। टहलने से शरीर की सफाई होती है और हर अवयव अपना काम अधिक तत्परता और सुचारू रूप से करने लगता है।
सुबह की सैर कई मायनों में शरीर और मस्तिष्क के लिए उपयोगी है। प्रात:काल में वातावरण प्रदूषणमुक्त होने के कारण स्वच्छ वायु सांस के जरिये शरीर की रक्तशिराओं को साफ करते हुए उन्हें बल प्रदान करती है। इससे पाचन क्रिया तो ठीक रहती ही है, भूख भी खुलकर लगती है और कब्ज जैसे रोग कभी पास नहीं फटकते।
टहलने से शरीर की चर्बी व विषैले कीटाणु शरीर से बाहर निकलते हैं, जिससे मोटापा कम होता है। साथ ही शरीर में लाल रक्त कणों का निर्माण अधिक होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। टीबी व दमा के मरीजों के लिए सुबह की सैर किसी वरदान से कम नहीं। अगर आप किसी मानसिक तनाव से ग्रसित हैं तो टहलने से बेहतर इलाज और कोई नहीं। फेफड़ों में ताजी हवा भर तेज कदम बढ़ाइए और फिर देखिए कि आप खुद को कितना हल्का-फुल्का महसूस करते हैं। किसी बात पर आपको बहुत गुस्सा आ रहा हो तो निकल जाइए सैर पर, लौटते हुए आप अनुभव करेंगे कि आप का गुस्सा कहीं दूर काफूर हो गया है।
टहलने से हर बार आपको लाभ ही होगा। वैज्ञानिक अनुसंधानों के अनुसार जो गर्भवती महिलाएं नियमित रूप से टहलती हैं, उन्हें प्रसव के दौरान ज्यादा पीड़ा नहीं होती और नवजात शिशु भी स्वस्थ व निरोग होता है। रोजाना टहलने वाले बच्चे भी तंदुरूस्त रहते हैं। विद्यार्थियों के लिए सुबह की सैर वरदान के समान है।
लेकिन टहलने का यह मतलब नहीं कि आप किसी वाहन पर सवार होकर सैर को निकल जाएं। इसके लिए आपका पैदल चलना बहुत जरूरी है। हल्के-फुल्के सूती कपड़े पहनने चाहिए तथा तेज कदम बढ़ाने चाहिए ताकि शरीर से निकले पसीने के साथ ही प्रदूषित तत्त्व भी बाहर निकल सकें। इस दौरान अपना सीना ताने रहें। हाथों को पूरी तरह से हिलाते रहें। थक जाने पर सुस्ताएं और फिर आगे बढ़ें। यह अभ्यास नियमित रूप से करें।
महात्मा गांधी भी नियमित रूप से टहलते थे। वह टहलने को एक ऐसा सरल व्यायाम बताते थे जिसे हम सब आसानी से कर सकते हैं। हां, सैर के दौरान अपनी शारीरिक क्षमता के हिसाब से ही टहलने की दूरी तय करें। कहीं ऐसा न हो कि अत्यधिक श्रम के कारण आप बीमार हो जाएं।
वरदान से कम नहीं सुबह की सैर: Benefits of Morning Walk
