भोजन से संबंधित ध्यान रखें ये बातें – 

  • घी और शहद समान मात्रा में मिलाकर खाने से वो सांप के जहर से भी ज्यादा जहरीला हो जाता है। शहद का गर्म करके खाना भी जहर खाने जैसा ही होता है।
  • रात में दही नहीं खानी चाहिए। दही रात में खाने से श्लेष्मा अधिक बढ़ती है।
  • रात में हरी पत्तेदार सब्जी नहीं खानी चाहिए। क्योंकि हरी पत्तेदार सब्जी खाने से पित्त कुपित होता है।
  • दूध के साथ मांस, मछली, नमक, खट्टी चीजें न खाएं, मूली, लहसुन, तुलसी पत्र भी दूध के साथ न खाएं।
  • मांस के साथ शहद-शक्कर नहीं खाना चाहिए, इससे दृष्टिहीनता व बधिरता आती है।
  • केले के साथ बेल व दही नहीं खानी चाहिए।

 

इसके साथ ही कुछ ऐेसे भोज्य पदार्थ हैं जो कि दिनों व महीनों के हिसाब से वर्जित हैं जैसे –

  • रविवार के दिन मांस, मछली, शराब का सेवन वर्जित है। इस दिन उड़द, लाल मसूर, दाल, नीम भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि रविवार सूर्य का प्रतीक है और सूर्य गर्म होता है। उपरोक्त सभी पदार्थ भी गर्म होते हैं। उपरोक्त चीजें भी शरीर में गर्मी को और अधिक बढ़ा देती हैं।
  • चैत्र माह में गुड़ नहीं खाना चाहिए, मिश्री, शक्कर भी कम मात्रा में ही खाना चाहिए, इससे पेट खराब हो जाता है उसमें कृमि हो जाते हैं।
  • कार्तिक माह में अल्प भोजन करना चाहिए क्योंकि इस माह में जठराग्नि कमजोर रहती है, जिससे पाचन कम होता है।
  • एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, महाअष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी शिव चतुर्दशी को चावल नहीं खाना चाहिए। इन दिनों चंद्रमा के पृथ्वी के समीप होने से शरीर में श्लेष्मा अधिक होती है इसलिए इन दिनों उपवास का विधान भी है।

 

 

(साभार – शशिकांत सदैव, साधना पथ)

 

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