
ऐसे कुछ बच्चे बहुत इंटेलिजेंट होते हैं या उनका आईक्यू सामान्य बच्चों की तरह ही होता है, पर उन्हें बोलने और सामाजिक व्यवहार में परेशानी होती है। कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सीखने-समझने में परेशानी होती है और वे एक ही तरह का व्यवहार बार-बार करते हैं। जैसे एक ही बात या किसी शब्द को बार-बार दोहराना और दूसरों की बातों को नज़रअंदाज़ कर देना। ऑटिस्टिक बच्चे दूसरों तक अपनी भावनाएं नहीं पहुंचा पाते या उनके हाव-भाव व संकेतों को समझ नहीं पाते । कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो थोड़े से बदलाव से ही हाइपर हो जाते हैं । ऐसे बच्चों की परवरिश में बहुत धैर्य रखने की ज़रुरत है।
- अगर आपका बच्चा नौ महीने का होने के बावजूद न तो मुस्कुराता है और न ही कोई प्रतिक्रिया देता है तो वह ऑटिस्टिक हो सकता है।
- ऑटिज्म पीड़ित बच्चे अपने आप में ही खोए रहते हैं वे किसी एक ही चीज में केंद्रित रहते हैं ।
- सामान्य तौर पर देखा गया है कि बच्चे अपने आस-पास मौजूद लोगों का चेहरा देखकर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं पर ऑटिज्म पीड़ित बच्चे किसी से भी जल्दी नजरें नहीं मिलाते हैं ।
- तेज़ आवाज सुनने के बाद भी ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।
- उनकी सोच बहुत विकसित नहीं होती है. इसलिए वे रचनात्मकता से दूर ही नजर आते हैं।
- अगर बच्चा बोलने के बजाय अजीब-अजीब सी आवाजें निकाले तो यह ऑटिज्म का संकेत हो सकता है।
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