आटा गूंथने के बाद क्यों लगाया जाता है उँगलियों के निशान?
वास्तव में शास्त्रों में कही गई हर एक काम और बात का अपना अलग अर्थ व महत्व होता है, जिसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।
Vastu Tips: अक्सर आपने देखा होगा कि आपकी दादी-नानी आटा गूंथने के बाद उसपर उंगलियों के निशान लगाती होंगी और आपको भी लगाने के लिए जरूर कहती होंगी। अगर कभी आप आटा गूंथने के बाद उसपर उँगलियों के निशान लगाना भूल जाती होंगी, तो वे आपको इसके लिए डांटती भी होंगी और आपको उनकी डांट सुनकर गुस्सा आता होगा कि आखिर आपसे इतनी बड़ी क्या गलती हो गई जिसके लिए वे आपको इतना डांट रही हैं। दरअसल आप दादी-नानी की बताई बातों को मान कर भविष्य में होने वाली अनहोनी या अशुभ घटना से बच सकती हैं। वास्तव में शास्त्रों में कही गई हर एक काम और बात का अपना अलग अर्थ व महत्व होता है, जिसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।
आटा गूंथने के बाद क्यों लगाया जाता है उंगलियों के निशान

सनातन धर्म में पिंडदान का विशेष महत्व होता है। पिंडदान करने से पितरों का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितरों को पिंडदान करने के लिए आटे को गूंथकर लोई बनाई जाती है जो बिल्कुल गोल होती है। इस आटे की लोई को ही पिंड कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी भी पदार्थ को गूंथकर जब पिंड की तरह गोल बना दिया बना दिया जाता है तो वह पितरों का हक कहलाता है और पूर्वज किसी भी रूप में उसे ग्रहण करने के लिए आते हैं। इसलिए जब हम अपने लिए आटा गूंथते हैं तो उसे गोल नहीं छोड़ते हैं और उसके ऊपर उंगलियों के निशान जरूर बना देते हैं। गूथे हुए आटे के ऊपर उँगलियों के निशान बना देने से वे पिंड का रूप धारण नहीं करते हैं और इस बात का प्रमाण होता है कि यह आटा पूर्वजों के लिए नहीं बल्कि जीवित लोगों के लिए गूंथा गया है।
पूर्वजों के साथ जुड़ा है संबंध

हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए पिंडदान करने का विशेष महत्व होता है। सनातन धर्म में ऐसा माना जाता है कि पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे स्वर्ग में जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि आटे या फिर चावल से बने पिंड का सीधा संबंध चंद्रमा से होता है और इसी से जुड़ी यह मान्यता है कि चंद्रमा के जरिए ही पिंड पितरों तक पहुंचता है। गूथे हुए आटे के गोले को पूर्वजों का भोजन माना जाता है। ऐसे में इससे बनी रोटी खाने से पाप लग सकता है। इसी पाप से बचने के लिए महिलाएं आटा गूंथने के बाद इसका गोला बनाने के बाद इसके ऊपर अपनी उंगलियों से निशान बना देती हैं, ताकि वह आटा पूर्वजों का भोजन ना बने और वह हमारे खाने योग्य बना रहे। इसके अलावा जब भी बाटी, बाफले या बालूशाही जैसे गोल पकवान बनाए जाते हैं तो उसके ऊपर भी उंगलियों के निशान से गड्ढे बनाए जाते हैं, ताकि वह गोल ना हों और देखने में पिंडदान के लिए इस्तेमाल होने वाले आटे की गोले की तरह बिलकुल भी ना लगे।
