पोषक तत्वों से भरी है ओडिशा की लाल चींटियों की चटनी, जीआई का मिला टैग: Red Ant Chutney
Red Ant Chutney

Red Ant Chutney: भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां हर प्रांत का अपना खास पारंपरिक भोजन और बोली-भाषा है। अगर हम ओडिशा के खाने की बात करें तो यहां ओडिशा के मयूरभंज जिले में लाल चींटियों की चटनी बनाकर खाई जाती है। आदीवासी लोग प्रोटीन से भरपूर इस चटनी को बहुत पसंद करते हैं। इसे काई चटनी भी कहा जाता है। इसका औषधीय गुणों को देखते हुए हाल ही में इसे जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन का टैग भी दिया गया है। इसमें प्रोटीन, जिंक कैल्शियम, विटामिन बी-12 आदी पाए जाते हैं। यह जुकाम-खांसी और पीलिया दूर करने में मददगार है। चलिए जानते हैं अपने आप में अनोखी इस चटनी को बनाने का तरीका।

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सरल है विधि

इस चटनी को बनाने का तरीका बड़ा ही पारंपरिक है। इसे चटनी को यहां के आदीवासी बरसों से खाते आए हैं। लाल चीटियों में बुनकर चींटी और उनके अंडों को एकत्र किया जाता है। इसके बाद इन्हें साफ करते हैं। साफ करने के बाद इसे लहसुन, हरी मिर्च, अदरक, नमक डालकर पीसा जाता है। देखा जाए तो इसे बनाने का तरीका बहुत ही सिंपल दूसरी चटनियों की तरह ही है। चूंकि यह चटनी एक पारंपरिक चटनी है। ऐसे में इसे सिल-बट्‌टे पर पीसा जाता है। ओडिशा के अलावा झारखंड के कुछ इलाकों में भी इस चटनी को खाया जाता है।

सुपरफूड में है शामिल

चूंकि यह चींटियों से बनती है ऐसे में यह प्रोटीन का अच्छा सोर्स है। यह सुपरफूड में शामिल है। अगर आपका इसका सेवन करते हैं तो आपको स्ट्रेस कम होता है। आपकी इम्यूनिटी अच्छी रहती है आपका दिमाग तेज काम करता है। गर आपको हर समय थकान की समस्या रहती है तो इस चटनी का सेवन करने से वह भी दूर हो जाएगी। यह स्वाद में तीखी होती है। जीआई टैग मिलने के बाद यह चटनी काफी प्रसिद्ध हो गई है।