Summary : यश चोपड़ा की कई फिल्मों में आपने इन्हें देखा है
अचला सचदेव ने देव आनंद से लेकर यश चोपड़ा तक सैकड़ों फिल्मों में काम किया, लेकिन आखिरी साल अकेले गुज़ारे। बच्चों से दूरी और इंडस्ट्री की बेरुखी के बीच उन्होंने घर एनजीओ को दान किया ...
Achla Sachdev: अचला सचदेव…वो चेहरा रहा जिसे कभी बॉलीवुड ने अपनी फिल्मों में खूब जगह दी। बुरा यह रहा कि उनके आखिरी वक्त में पूरी फिल्म इंडस्ट्री और उनके अपने बच्चे उन्हें भुला बैठे। यश चोपड़ा की फिल्मों में नजर आने वाली यह अदाकारा 12 साल तक अकेले रहीं। मरने से पहले उन्होंने अपना घर एक एनजीओ को दान कर दिया।
अचला सचदेव का फिल्मी करियर बेहद शानदार था। उन्होंने देव आनंद, राज कपूर, यश चोपड़ा, राजेश खन्ना जैसे बड़े सितारों के साथ काम किया। फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में वो काजोल की दादी बनीं और फिल्म वक्त का मशहूर गाना “ऐ मेरी जोहरा जबीं” उन्हीं पर फिल्माया गया। उम्र बढ़ने के साथ, जैसे बाकी कलाकारों को सिर्फ मां या दादी के रोल मिलने लगते हैं, वैसे ही उन्हें भी मिलने लगे थे। इसके बावजूद उन्होंने 2000 के दशक तक काम किया। करण जौहर की कभी खुशी कभी गम उनकी आखिरी बड़ी फिल्म रही। 1950 के दशक में करियर शुरू कर इतनी लंबी पारी खेलना अपने आप में बड़ी बात थी।
लेकिन उनके आखिरी कुछ साल सुखद नहीं थे। पुणे में अपने दो-बेडरूम फ्लैट में वो एक अटेंडेंट के सहारे अकेली रहीं। उनके दोनों बच्चे उनसे संपर्क में नहीं थे। मरने से पहले उन्होंने अपना घर जनसेवा फाउंडेशन नामक संस्था को दान कर दिया। इसी संस्था को उन्होंने पैसे देकर “अचला सचदेव इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन” शुरू करवाया था, जहां आदिवासी इलाकों के लोगों को अस्पताल और मरीजों की देखभाल का प्रशिक्षण दिया जाता है। 1920 में पेशावर में जन्मीं अचला सचदेव 2012 में पुणे में 91 साल की उम्र में चल बसीं। जीवन के आखिरी महीनों में वो पूना हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती रहीं। उनके घर पर जनसेवा फाउंडेशन की ओर से एक अटेंडेंट देखभाल करता था।
रितिक के साथ भी फिल्म की

अपने करियर में उन्होंने मेरा नाम जोकर, जूली, हकीकत, हिमालय की गोद में जैसी फिल्मों में काम किया। इसके अलावा नाइन ऑवर्स टू रामा और द हाउसल्डर जैसी अंग्रेजी फिल्मों में भी दिखीं। उनकी आख़िरी फिल्म थी ऋतिक रोशन और ईशा देओल की ना तुम जानो ना हम। 1950 के दशक में वो मदर, राही, फुटपाथ, चांदनी चौक, नौकरी, आजाद, मिस मैरी और अदालत जैसी चर्चित फिल्मों में नजर आईं। लेकिन 1965 की वक्त के बाद उनका करियर तेजी से बढ़ा।
ब्रिटिश से शादी की अचला सचदेव ने

उन्होंने सैकड़ों फिल्मों में अभिनय किया। 1970 के दशक में उन्होंने एक ब्रिटिश नागरिक क्लिफर्ड डगलस पीटर्स से शादी के बाद पुणे में बसने का फैसला किया। अचला को क्लिफर्ड से यश चोपड़ा ने मिलवाया था। दोनों पहले से शादीशुदा रह चुके थे। करियर की शुरुआत उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली में काम से की थी। बंटवारे से पहले वो लाहौर में काम करती थीं। फिल्मों में उनका पहला रोल दिलरुबा में था, जिसमें उन्होंने देव आनंद की बहन का किरदार निभाया।
बेटा अमेरिका में और बेटी नाराज
पति की मौत के बाद अचला अकेली पड़ गईं। उनका बेटा अमेरिका चला गया और सिर्फ फोन पर बात करता था, जबकि बेटी से रिश्ते टूट गए थे। उनके करीबी दोस्त राजीव नंदा ने मुंबई मिरर को बताया था कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में उनके पुराने दोस्तों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन किसी ने खास ध्यान नहीं दिया।
अमिताभ ने दी थी श्रद्धांजलि
अंत में सिर्फ अमिताभ बच्चन और एकता कपूर ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अमेरिका से बेटा ज्योतिन कुछ रिश्तेदारों के साथ अंतिम संस्कार में पहुंचा। बाकी उनकी कहानी उन कई कलाकारों जैसी है, जिन्होंने बॉलीवुड को अपनी जिंदगी दी, लेकिन आखिर में अकेलेपन और बेगानगी का सामना किया। इस लिस्ट में ..ओ.पी. नैयर, भरत भूषण, भगवान दादा जैसे सितारे शामिल हैं। यह इंडस्ट्री हमेशा से बेरहम रही है, खासकर उन लोगों के लिए, जिनके पास सहारा देने वाला कोई नहीं होता।
