Journey of Tabassum
Journey of Tabassum

Journey of Tabassum: तबस्सुम एक मधुर और मंद मुस्कान वाला चेहरा, जैसा उनका नाम था वैसा ही उनका स्वभाव भी। अब वे मंद मुस्काता चेहरा केवल तस्वीरों और यादों के पिंजरे में कैद हो गया है। गृहलक्ष्मी पत्रिका की संपादक और फिल्म जगत की अदाकारा तबस्सुम ने 78 वर्ष की उम्र में दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है। वे भले ही हमारे बीच न हो पर उनकी स्मृतियां सदैव हमारे साथ रहेंगी। महज तीन साल की उम्र में करियर शुरुआत करने वाली तबस्सुम कब हम सभी के दिलों पर राज करने लगीं मालूम ही नहीं चला। अदाकारा ने कम उम्र में ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। जिस कारण उनकी रूचि फिल्मी दुनिया में बढ़ती ही चली गई। उनका अब तक का सफर बहुत खूबसूरत रहा…………….

अयोध्या नगरी थी उनकी जन्मस्थली

अयोध्या नगरी में 9 जुलाई 1944 को जन्मी तबस्सुम का बचपन का नाम किरणबाला सचदेव था। उनके पिता अयोध्यानाथ सचदेव और माता असगरी बेगम स्वस्तंत्रता सेनानी थे। पिता को उनका तबस्सुम नाम अत्यधिक लुभाता था जबकि मां ने उनका नाम किरणबाला रखा। उनकी शिक्षा मुंबई में ही संपन्न हुई। 

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Born in the city of Ayodhya, Tabassum’s childhood name was Kiranbala Sachdev.

अरुण गोविल के बड़े भाई से की शादी

तबस्सुम ने रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल के बड़े भाई विजय गोविल से शादी की थी। तबस्सुम और विजय गोविल का बेटा होशांग है जिसने ‘तुम पर हम कुर्बान’ में लीड रोल निभाया। सबसे खास बात ये कि तबस्सुम इसकी प्रोडूसर थीं।

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Married to Arun Govil’s elder brother

बाल किरदार के रूप में ‘बेबी तबस्सुम’ 

साल 1947 में रिलीज होने वाली फिल्म ‘मेरा सुहाग’ में उन्होंने बाल कलाकार का किरदार निभाया था। बाल किरदार के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाली बेबी तबस्सुम ने इसके बाद नरगिस, मझधार, सरगम बहार, अफसाना, दीदार जैसी फिल्मों में काम किया है। इनमें से फिल्म दीदार में नरगिस के रोल में उन्होंने सभी का मन मोह लिया था।

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He played the role of a child artist in the film ‘Mera Suhaag’ released in the year 1947

युवावस्था में की गई फिल्में  

अपनी युवावस्था में अदाकारा ने ‘चमेली की शादी’, ‘नाचे मयूरी’, ‘सुर संगम’ और ‘जुआरी’ आदि फिल्मों में काम किया। वहीं इतिहास से संबंध रखने वाली ‘मुगले आजम’ फिल्म में भी एक छोटी भूमिका में किरदार निभाया। इसके बाद साल 1990 में फिल्म ‘स्वर्ग’ में वे एक मेहमान कलाकार के रूप में नजर आईं।  और फिर उन्होंने कभी किसी फिल्म में तो काम नहीं किया पर अप्रत्यक्ष रूप से सिनेमा जगत से जुड़ी रहीं।

भारत में टॉक शो शुरू करने का मिला श्रेय 

दूरदर्शन पर आने वाला अपने समय का सबसे पॉपुलर शो ‘फूल खिले हैं गुलशन-गुलशन’ एक टॉक शो था जिसे शुरू करने श्रेय भी तबस्सुम को मिला। इससे पहले कभी सिनेमा के लोगों से बातचीत करने के लिए कोई टॉक शो नहीं था। इसमें तबस्सुम कभी शायराना अंदाज में अपने मेहमानों का परिचय करवाती तो कभी हंसी मजाक से मन हल्का किया करतीं। इस शो में वे सिनेमा जगत की जानी-मानी शख्सियत से बातचीत किया करती थीं और उनके दिलचस्प किस्से साझा किए जाते थे। उनकी मधुर आवाज और मन मोह लेने वाली मुस्कान ने दर्शकों के दिलों पर ऐसी छाप छोड़ी कि यह टॉक शो 21 वर्षों तक प्रसारित हुआ। यहां भी वे सभी का दिल जीतने में सफल हुईं। 

‘गृहलक्ष्मी’ के साथ बतौर संपादक कार्य किया

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Worked as editor with ‘Grihalakshmi’

तबस्सुम के करियर का सफर यहीं पर समाप्त नहीं हुआ। तबस्सुम ने टीवी जगत को छोड़ने के बाद महिलाओं की पसंदीदा मासिक हिंदी पत्रिका ‘गृहलक्ष्मी’ में संपादक के रूप में अपना कार्यभार संभाला। अपनी इस नई भूमिका के रूप में उन्होंने पाठकों विशेष महिलाओं पर गहरा प्रभाव छोड़ा। इसके माध्यम से उन्होंने महिलाओं के निजी और सामाजिक जीवन दोनों की ही परेशानियों को उजागर किया ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। पर अब ये सितारा हमारे बीच मौजूद नहीं, उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि। 

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