Plants Related To Life
Plants Related To Life

Plants Related To Life: मानव संस्कृति को विकसित करने व जीवित रखने में भी पेड़-पौधों ने प्रमुख भूमिका अदा की है। स्वर्ग में पाए जाने वाले कल्पतरू वृक्ष, रामायण में अशोक वाटिका तो दूसरी तरफ सिन्धु घाटी सभ्यता से प्राप्त पशुपतिनाथ के मोहरों में अंकित पेड़-पौधों, सांची स्तूप के तोरहणद्वार, अंजता एलोरा की गुफाओं में पाए जाने वाले पेड़-पौधों के चित्र इस बात को सिद्ध करते हैं कि चाहे वैदिककाल हो आदिकाल, प्राचीनकाल या फिर नवीनकाल सभी में प्राय: पेड़- पौधों का योगदान व महत्त्व रहा है।

तुलसी-

basil

भारतीय समाज व हिन्दू जाति में तुलसी का पौधा बहुत पूजनीय माना जाता है। इसलिए ही तुलसी चौरा को आंगन के मध्य में प्रमुख स्थान दिया जाता है। तुलसी के पौधे पर प्रात: होते ही पूर्व दिशा में मुंह करके जल चढ़ाने की प्रथा रही है। वास्तुशास्त्र में भी इसको शुभ बताया गया है। हमारे ऋषि मुनि इस बात को जानते थे तभी तो उन्होंने इसे घर में लगाने की सलाह दी क्योंकि तुलसी का पौधा ऑक्सीजन छोड़ता है।

पीपल

Ficus religiosa

पीपल के पौधे की सबसे बड़ी खूबी ये ही है पीपल का पेड़ ऑक्सीजन छोड़ता व कार्बन डाईऑक्साइड लेता है। साथ ही पीपल में जल चढ़ाने से धन समृद्धि बढ़ती है तो शनिवार को तेल का दीपक जलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।

गरुण-

proud

मान्यता है कि नाग गरुण व हंस गरुण दोनों के फल व लकड़ी का उपयोग सांप को घरों से दूर रखने में होता है। 

चंदन-

Sandalwood

चंदन विष व्यापै नहीं लिपटै रहत भुजंग कहते हैं चंदन पर हजारों सांप लिपटे रहते हैं परन्तु फिर भी चंदन ना तो अपनी शीतलता छोड़ता है और ना ही अपनी खुशबू कम करता है। सुबह-सुबह माथे पर चंदन लगाने से ललाट को शीतलता मिलती है। पूजा अर्चना में भी चंदन तिलक का प्रयोग करने की वैदिक परंपरा रही है।

नीम-

Neem tree

नीम के पत्तों का प्रयोग छोटी माता में शीतला माता को शंत करने में किया जाता है। इसमें नीम के पत्तों को रोमी के चारों तरफ रख देते हैं। इसके पत्तों को कपड़ों में कीड़ा ना लगे इसलिए रखा जाता है। इसके पत्तों का रस खून साफ करता है, कील मुंहासे दूर करता है। नीम की निमोली को पीसकर घावों पर लगाया जाता है तो नीम की टहनी से दांत साफ होते हैं। शीतला माता की पूजा में भी नीम के पेड़ व पत्तियों का प्रयोग किया जाता है।

पलाश-

Palash

इसके फूलों की आभा बसंत के आगमन को बताती है। इसके फूलों को सुखाकर होली में पीला रंग बनाया जाता है। श्री कृष्ण राधा जी के साथ पलाश के फूलों से ही होली खेलते थे।

दूब-

dub

भगवान गणेश को दूब बहुत पसंद हैं। कहते है कि गणेश जी के चरणों में इसे रखकर अपने सारे पापों को धोया जा सकता है। धार्मिक व मांगलिक कार्यों में दूब का बहुत महत्त्व माना गया है। पूजा, कथा, प्रवचन आदि के समय जल शुद्धि करते वक्त हरी-हरी दूब का प्रयोग किया जाता है। सुबह-सुबह हरी दूब पर चलने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

केला-

banana
Banana tree with a bunch of growing bananas, Alanya, Turkey

केले को प्राचीनकाल से ही शुभ पौधे का दर्जा दिया गया है। हर शुभ वैदिक कार्य में इसका प्रयोग सर्वोपरि है विवाह, नामकरण, गृहप्रवेश सभी में इसके पत्तों से यज्ञवेदी व द्वार को सजाया जाता है तो दूसरी ओर केले के पत्तों पर भोजन भी परोसा जाता है।

काशी-

kashi

भगवान राम के बड़े पुत्र कुश का नाम इसी काशी के ऊपर रखा गया है। कुश का अर्थ होता है तेज, कुश का प्रयोग पितृ मास अमावस्या के समय पूर्वजों को जल चढ़ाने की विधि में तर्पण या श्राद्ध करने हेतु किया जाता है।

आम-

mango plant

आम का संपूर्ण पेड़ लाभकारी शुभ माना जाता है। क्योंकि आम के पत्तों से बंदरवार बनती है जो कि शुभ कामों में घरों पर टांगी जाती है। आम का फल खाया जाता है तो आम की लकड़ी का प्रयोग हवन में किया जाता है।

नींबू-

lemon plant

नींबू का पेड़ हर तरफ से उपयोगी माना जाता है। नींबू स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होता है। काली माता की पूजा व तांत्रिक पूजा में भी नींबू का प्रयोग होता है। रसोईघर में नींबू का विशेष महत्त्व है। 

महुआ-

mahua plant

महुआ के पत्तों का धार्मिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है। महुआ के फूलों का कमरछट की पूजा में प्रयोग किया जाता है। इसके फूल सुंदर तो होते ही हैं साथ ही इनका प्रयोग सब्जी बनाने व शराब बनाने में भी किया जाता है। इसके फल की गिरी से तेल निकाला जाता है।

भृंगराज-

bhringraj plant

भृंगराज वैदिक काल से ही एक प्रसिद्ध पौधा है भृंगराज पौधे को पीसकर कृष्ण जन्माष्टमी पर कन्हैया को नीले रंग में रंग दिया जाता है, स्लेटो को काला करने के लिए भी भृंगराज को पीसकर प्रयोग किया जाता है। भृंगराज को सिर पे लगाने से बाल काले व घने मुलायम होते हैं।

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