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इन दिनों महिलाएं नकली पलकों यानी आर्टिफिशियल आईलैशेज का जमकर उपयोग कर रही हैं। क्योंकि अब ये अफॉर्डेबल भी हैं, आसानी से ऑर्डर की जा सकती हैं और इन्हें लगाना भी आसान है।
Fake Eyelashes Effects: बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय की आंखों का हर कोई दीवाना है। आंखों के साथ ही उनकी तरह लंबी-लंबी पलकें पाना हर भारतीय महिला और युवती का सपना है। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए इन दिनों महिलाएं नकली पलकों यानी आर्टिफिशियल आईलैशेज का जमकर उपयोग कर रही हैं। क्योंकि अब ये अफॉर्डेबल भी हैं, आसानी से ऑर्डर की जा सकती हैं और इन्हें लगाना भी आसान है। लेकिन इस बीच हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से प्रशिक्षित डॉक्टर ने सभी को चेताया है।
खतरनाक केमिकल का है डर

अमेरिका के डॉक्टर सौरभ सेठी के अनुसार नकली पलकों का लगातार उपयोग करना कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं यह आपकी आंखों की रोशनी तक छीन सकता है। इंस्टाग्राम पर पोस्ट अपने वीडियो में डॉ. सेठी ने बताया कि इन नकली पलकों को चिपकाने वाले पदार्थ यानी लैश ग्लू में अक्सर एक खतरनाक केमिकल होता है। इस केमिकल का नाम है फार्मेल्डिहाइड। इसी केमिकल के कारण न सिर्फ आपकी नेचुरल पलकें पतली होने का डर रहता है। बल्कि यह पलकों को हमेशा के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसी के साथ यह पलकों और आंखों दोनों में एलर्जी का कारण भी बन सकता है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब इसके कारण महिलाओं की आंखों की रोशनी तक प्रभावित हुई है।
इसलिए होता है केमिकल यूज
डॉ. सेठी का कहना है कि यही कारण है कि महिलाओं और युवतियों को नकली पलकों के उपयोग से बचना चाहिए। या फिर इन्हें कभी-कभी ही उपयोग में लेना चाहिए। कोशिश करें कि आप फॉर्मेल्डिहाइड-मुक्त लैश ग्लू काम में लें। डॉ.सेठी ने बताया कि फॉर्मेल्डिहाइड का उपयोग लैश ग्लू की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने और ग्लू को मजबूत करने के लिए किया जाता है। लेकिन इसके साइड इफेक्ट के बारे में अधिकांश लोग नहीं जानते हैं।
जानिए कितना गंभीर है मामला
फॉर्मेल्डिहाइड केमिकल की गंभीरता को बताने के लिए डॉ. सेठी ने यह भी बताया है कि आखिर इस केमिकल का उपयोग होता कहां हैं। डॉक्टर ने बताया कि फॉर्मेल्डिहाइड केमिकल का इस्तेमाल आमतौर पर शवों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। यह सेलुलर फंक्शन यानी कोशिकाओं के काम को बाधित कर सकता है। फॉर्मेल्डिहाइड सिरदर्द, स्किन रैशेज और सांस की तकलीफ को भी ट्रिगर करता है।
प्रोफेशनल लैश ग्लू भी सुरक्षित नहीं
साल 2022 में हुई एक अमेरिकन स्टडी में 37 लैश ग्लू का परीक्षण किया गया। जिनमें से 20 प्रोफेशनल लैश ग्लू में से 75 प्रतिशत ने फॉर्मेल्डिहाइड केमिकल पाया गया। जबकि 17 नॉर्मल लैश ग्लू में से चार में यह खतरनाक केमिकल था। चिंता की बात यह है कि कई लैश ग्लू कंपनियां अपने इंग्रेडिएंट्स लिस्ट में इस केमिकल का जिक्र ही नहीं करती हैं। जिसके कारण ग्राहकों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है।
जापानी शोध ने खोली आंखें
एक जापानी शोध के अनुसार लैश ग्लू यूज करने वाली करीब 40 प्रतिशत महिलाएं एलर्जी का अनुभव करती हैं। शोध में रिपोर्ट की गई सबसे कॉमन समस्या थी केराटोकोनजंक्टिवाइटिस। इस स्थिति में आंखों में सूजन आने लगती है। जिससे कॉर्निया और कंजंक्टिवा दोनों प्रभावित होते हैं। वहीं कुछ महिलाओं को ब्लेफेराइटिस की समस्या हुई। जिससे उनकी पलकों में सूजन आ गई थी। ऐसे में साफ है कि नकली आईलैश का उपयोग बहुत ही सोच समझकर आपको करना चाहिए।
