puraanee aadat, dada dadi ki kahani
puraanee aadat, dada dadi ki kahani

Dada dadi ki kahani : एक मछुआरा था-राजू। उसे बाँसुरी बजाना बहुत अच्छा लगता था। जब वह बाँसुरी बजाता था तो आस-पास के लोग उसे घेर कर खड़े हो जाते थे और ध्यान से उसका मीठा संगीत सुनते थे। उसने सोचा कि जब सभी को उसका संगीत इतना पसंद है तो मछलियों को भी उसकी बाँसुरी की आवाज़ पसंद आएगी।

उसने अपनी बाँसुरी उठाई और एक टोकरी ली। दोनों चीजें लेकर राजू नदी के किनारे बैठ गया। उसने टोकरी पानी के बिल्कुल पास में रख दी और बाँसुरी बजाने लगा। उसे विश्वास था कि बाँसुरी का मीठा संगीत सुनकर मछलियाँ अपने-आप उसके पास आएँगी और टोकरी में कूद जाएँगी। लेकिन एक भी मछली टोकरी के पास तक भी नहीं आई।

आख़िरकार राजू घर से मछली पकड़ने का जाल लेकर आया। उसने जाल नदी में डाल दिया। कुछ ही देर के बाद ढेर सारी मछलियाँ उसके जाल में फँस गईं। इतनी सारी मछलियाँ कि उसकी टोकरी ही छोटी पड़ गई। राजू झल्लाकर बोला, ‘बेवकूफ़ मछलियाँ, मेरी बाँसुरी की आवाज़ सुनकर मेरे पास नहीं आईं और जाल में फँसने के लिए तुरंत आ गईं!!’

लेकिन मछलियाँ क्या करतीं। उन्होंने वही किया, जो हमेशा से करती आई हैं। किसी की आदत को बदलना इतना आसान तो नहीं है न!

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