akbar birbal birbal ki buddhimani
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Birbal Ki Buddhimani Story in Hindi : शाम हो गई थी। सारे दरबारी थक गए थे। बादशाह के चेहरे पर भी थकावट दिखाई दे रही थी। दरबार बरखास्त करने की तैयारी हो रही थी। तभी एक सिपाही ने प्रवेश किया।

‘क्या बात है, अमीर!’ बादशाह ने पूछा।

‘जहाँपनाह! दक्षिण भारत से एक पंडित आपसे और बीरबल से मिलना चाहते हैं।’ सिपाही बोला।

‘मगर क्यों?’ अकबर ने पूछा।

‘जहाँपनाह! उन्होंने आपकी बुद्धिमत्ता और बीरबल की सूझबूझ के बारे में काफी सुना है, इसलिए वह आपसे मिलना चाहते हैं। सिपाही ने निवेदन किया।

‘तो फिर विद्वान पंडित को निराश करना उचित नहीं है। उन्हें आदर के साथ अंदर ले आओ, अमीर।’ बादशाह ने आदेश दिया। इसके बाद उन्होंने बीरबल से कहा, ‘हम बहुत थक गए हैं बीरबल! इन पंडितजी से जरा जल्दी निबटना।’

तभी सिपाही पंडितजी को लेकर अंदर आ गया। अकबर तथा बीरबल ने पंडितजी का स्वागत किया। पंडितजी उनकी उदारता देखकर गद्गद् हो रहे थे।

अकबर बोले, ‘पंडितजी! आप बीरबल जी से प्रश्न पूछिए।’

पंडितजी ने ध्यान से बीरबल को देखा और पूछा, ‘बीरबल, तुम सौ सरल प्रश्नों के उत्तर देना पसंद करोगे या एक कठिन प्रश्न का?’

बीरबल ने विनम्रता के साथ कहा, ‘पंडित जी, सौ सवाल सुनने का समय बादशाह के पास कहाँ है? आप मुझसे एक कठिन प्रश्न है। पूछ लीजिए।’

‘तो ठीक है। तुम बताओ कि पहले मुर्गी पैदा हुई या अंडा?’ पंडित जी ने पूछा।

बीरबल ने एक शब्द का उत्तर दिया, ‘मुर्गी।’

पंडित चौंके। उन्होंने एक और सवाल किया, ‘तुम यह कैसे कह सकते हो, बीरबल?’

‘माफ कीजिएगा पंडितजी! आप यह दूसरा प्रश्न पूछ रहे हैं।’ बीरबल ने पंडितजी से कहा।

बीरबल के कथन से पंडित मुग्ध हो गए। उन्होंने कहा, ‘मैंने बीरबल की जितनी प्रशंसा सुनी थी, उन्हें उससे ज्यादा ही बुद्धिमान पाया।’

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