जानें फल खाने का वैज्ञानिक तरीका: Scientific Way of Eating Fruits
Scientific Way of Eating Fruits

Scientific Way of Eating Fruits: इस बात को लेकर लोग अक्सर भ्रमित रहते हैं कि फल कब खाने चाहिए और उनका अधिकतम लाभ पाने के लिए सभी फलों को खाने का सही समय क्या है। यह तो हम सभी जानते हैं कि भोजन को अपने आहार में सही तरीके से शामिल करने से हमारे पाचन तंत्र को उनसे बेहतर पोषण प्राप्त करने में मदद मिलती है। फलों के लिए भी यह एकदम सच है।

क्या ये मिथक हैं

अक्सर यह सलाह दी जाती है कि फलों को भोजन के साथ खाने के बजाय अकेले ही खाना बेहतर है। ऐसा माना जाता है कि जब भरपेट भोजन के साथ फल खाया जाता है तो कभी-कभी अपच या सीने में जलन की समस्या पैदा हो सकती है, जबकि अकेले फल खाने पर हमारा जीआई सिस्टम (गेस्ट्रोइन्टेस्टिनल ट्रैक्ट) जठरांत्र तंत्र, सभी पोषक तत्वों, फाइबर और प्राकृतिक शकरा को अधिक आसानी से प्रोसेस कर सकता है। हालांकि, ऐसी कोई वैज्ञानिक रिपोर्ट नहीं है, जो यह साबित करता हो कि शरीर प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट के लिए पाचन एंजाइमों का उत्पादन करता है और उन्हें पैनक्रियाज से निकालता रहता है, इसलिए किसी भी तरह से कोई परेशानी नहीं हो सकती है। बावजूद इसके, यह सलाह दी जाती है कि फल खाने का सबसे अच्छा समय दो मुख्य भोजन के बीच स्नैक्स के रूप में है। इसके अलावा, सोने से ठीक पहले फल खाना अच्छा विचार नहीं है। इससे ब्लड शुगर और इंसुलिन के स्तर में वृद्धि होती है और शरीर के लिए सो पाना मुश्किल हो जाता है इसलिए शाम के समय फल खाने से बचें। याद रखें कि सोने से लगभग 2-3 घंटे पहले कोई भी फल खा लें। उसके बाद कुछ भी खाने से बचें।
कई बार लोग फलों को दूध या दही के साथ ना खाने की सलाह देते हैं। हालांकि कुछ रिपोर्ट इसके ठीक विपरीत बताती है। दही या दूध के साथ फल मिलाना वास्तव में ठीक है, जब तक कि आपको अपच या एसिडिटी जैसी कोई गंभीर पाचन समस्या न हो। वास्तव में दही और केले को मिलाकर खाना काफी अच्छा है क्योंकि केले में इनुलिन नामक विशेष फाइबर पाया जाता है। जब इसे दही के साथ मिलाया जाता है तो इसके प्रोबायोटिक्स और भी अधिक प्रभावी हो जाते हैं। एक साथ खाने पर, वे दही के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ने और आंत में जीवित रहने में मदद करते हैं, जिससे प्रोबायोटिक्स की ताकत बढ़ती है। इससे आपको दूध की तुलना में अतिरिक्त कैल्शियम भी मिलता है। अब आप जान गए हैं कि आपके पेट के खराब होने पर उसे शांत करने के लिए दादी हमेशा आपको केला और दही क्यों देती थीं।

फल को खाने का होता है अपना समय

जहां तक विशिष्ट फलों का संबंध है, जैसे कि केला, इसे खाने के सर्वोत्तम समय के बारे में फिर से कई तरह की थ्योरी चल रही है। इस शानदार फल को खाने के लिए कोई भी समय अच्छा है। इसे सुबह एक गिलास दूध या दही के साथ मिलाकर पीने से पेट में अतिरिक्त एसिड को न्युट्रिलाइज करने में मदद मिलती है। साथ ही इसमें मौजूद ट्रिप्टोफैन (एमिनो एसिड) हमारे मूड को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे हमें पूरा दिन काफी अच्छा महसूस होता है। इसे दो मील के बीच में या कसरत के बाद व पहले लेना भी एक अच्छा विचार है क्योंकि केले से धीरे-धीरे रिलीज होने वाली शुगर आपको लंबे समय तक फुलर होने का अहसास करवाती है। रात में यह आपको बेहतर नींद दिलाने में भी मददगार है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह नींद लाने वाले मेलाटोनिन का एक बेहतरीन प्राकृतिक स्रोत है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि खाली पेट केला खाने से अपच हो सकता है। इसलिए यदि आपका पाचन पहले से ही कमजोर है, तो आपको थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे लोग इसे दोपहर में खा सकते हैं, क्योंकि सुबह के समय हमारी पाचन शक्ति अपने उच्चतम स्तर पर होती है।

वहीं, अनानास को भोजन के बाद खाना काफी अच्छा माना जाता है। अनानास में मौजूद प्रोटीन को पचाने वाले एंजाइम ब्रोमेलैन के कारण इसे भोजन के बाद खाने से पाचन में मदद मिलती है। वहीं दूसरी ओर, खरबूजे को खाली पेट खाया जाता है क्योंकि वे बहुत जल्दी पच जाते हैं, अन्य फलों की तुलना में कहीं अधिक जल्दी पचते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार भी खट्टे फलों को छोड़कर सभी फल (केला, सेब, नाशपाती, खुबानी, आड़ू कीवी और आम) सुबह खाए जा सकते हैं, लेकिन खट्टे फल (नींबू, अंगूर, संतरा और कीनू) और अनार को सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच खाया जाना चाहिए। इन्हें दोपहर के भोजन से पहले खाने पर विचार करना चाहिए।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जितने फल होते हैं उतने ही सिद्धांत होते हैं। हालांकि, एक सिद्धांत के रूप में, फल खाने का सबसे अच्छा समय वह है जब आप भूखे हों और खाने के लिए एक फल हाथ में हो।